CM तीर्थयात्रा योजना की याचिका पर HC में सुनवाई, पंजाब सरकार ने जवाब किया तलब; कहा- 'अन्य राज्यों में चलाई जा रही है स्कीम'
मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि इस तरह की स्कीम मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के अलावा कई अन्य राज्य भी चला रहे है। पंजाब सरकार ने इसके लिए सिर्फ 40 करोड़ रूपये ही रखे हैं। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि आम लोगों के पैसे कैसे इस तरह को स्कीम में लगाए जा रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने जवाब तलब किया। सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि इस तरह की स्कीम मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के अलावा कई अन्य राज्य भी चला रहे है।
पंजाब सरकार ने इसके लिए सिर्फ 40 करोड़ रूपये ही रखे हैं। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि आम लोगों के पैसे कैसे इस तरह को स्कीम में लगाए जा रहे हैं, यह राशि अन्य कामों में लगाई जा सकती है।
सरकार के मुताबिक संतुलन बनाने की कोशिश जारी
कोर्ट ने कहा कि राज्य में जेलों का बुरा हाल है, वहां क्यों नही कोई स्कीम लाई जाती। भावी पीढ़ी को शिक्षा और रोजगार की जरूरत है, उस पर पैसे क्यों नहीं खर्च नहीं होते। इस पर सरकार की तरफ से बताया गया कि हम संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे। सरकार ने बताया, एक रेल यात्रा पर जा चुकी है पर दूसरी की टिकट बुक हो चुकी हैं। कुछ देर चली बहस के बाद हाई कोर्ट ने फिलहाल बिना कोई निर्देश दिए सुनवाई दो हफ्तों के लिए स्थगित कर दी।
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27 नवंबर 2023 को शुरू की गई थी योजना शुरू
हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायाधीश निधि गुप्ता की पीठ ने दायर जनहित याचिका पर यह आदेश जारी किए। पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से यह भी पूछा था कि क्यों न वह इस योजना पर रोक लगा दे। इस मामले में होशियारपुर निवासी परविंदर सिंह किटना ने अपने वकील एचसी अरोड़ा के माध्यम से पंजाब राज्य सरकार द्वारा 27 नवंबर 2023 को शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना को चुनौती दी।
40 करोड़ रुपये का इस योजना में रुपये का खर्च शामिल
इस योजना में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 13 सप्ताह की अवधि के दौरान 13 ट्रेनें चलाना और प्रत्येक ट्रेन में 1000 तीर्तयात्रियो को शामिल करना शामिल है। इसके अलावा, पंजाब राज्य के विभिन्न स्थानों से विभिन्न गंतव्यों के लिए प्रतिदिन 10 बसें और प्रत्येक बस में 43 यात्रियों को ले जाना होता है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 13 सप्ताह की अवधि की 40 करोड़ रु. का इस योजना में रुपये का खर्च शामिल है।
50,000 लोगों को योजना से किया लाभान्वित
चालू वित्तीय वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 50,000 लोगों को योजना से लाभान्वित किया जाना है। याचिकाकर्ता ने उपरोक्त योजना को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह करदाताओं के पैसे की भारी बर्बादी है और इससे कोई विकास या कल्याण नहीं होगा।
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बल्कि, यह योजना भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारत संघ और अन्य बनाम रफीक शेख भी और अन्य शीर्षक वाले फैसले में जारी निर्देशों की मूल भावना के खिलाफ है। जिसमें 2022 में मुस्लिम समुदाय के विभिन्न व्यक्तियों को हज यात्रा के लिए सब्सिडी देने में होने वाले खर्च पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह हज सब्सिडी को कम करे और 10 साल की अवधि के भीतर इसे पूरी तरह खत्म कर दे।
तीर्थ यात्रा योजना पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि सब्सिडी का पैसा शिक्षा और सामाजिक विकास व अन्य उत्थान के लिए अधिक लाभप्रद रूप से उपयोग किया जा सकता है। खंडपीठ ने राज्य सरकार को राज्य के खर्च पर मुफ्त तीर्थ यात्रा योजना का औचित्य बताने का भी निर्देश दिया है , जब कि राज्य में युवा नौकरियों और रोजगार के लिए लड़ रहे है।
हाई कोर्ट बेंच ने राज्य सरकार को यह बताने का भी निर्देश दिया है कि इस तीर्थ यात्रा योजना को फिर से क्यों शुरू किया गया है, जबकि पंजाब राज्य द्वारा वर्ष 2017 में शुरू की गई इसी तरह की योजना को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के नोटिस के बाद वापस ले लिया था।