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85 साल की मां की फरियाद पर हाईकोर्ट ने बेटे को दिया अनोखा आदेश, जानें क्‍या है पूरा मामला

बेटा अपनी 85 साल की बुजुर्ग मां की देखभाल नहीं करता था। इस पर बेटे से मकान खाली कराने को मां कोर्ट पहुंच गई। हाईकोर्ट ने बेटे को मकान में रहने के लिए किराया देने का आदेश दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 28 Mar 2019 08:49 AM (IST)
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85 साल की मां की फरियाद पर हाईकोर्ट ने बेटे को दिया अनोखा आदेश, जानें क्‍या है पूरा मामला
चंडीगढ़, [कमल जोशी]। अपनी 85 साल की मां की देखभाल नहीं करना एक व्‍यक्ति को काफी महंगा पड़ गया है। उसे मां का मकान खाली करना होगा और मकान में रहने तक उसका किराया देना होगा। यह अनोखा आदेश पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दिया है। मां देखभाल नहीं करने पर बेटे से अपना मकान खाली कराने के लिए काफी समय से कानूनी लड़ाई लड़ रही है। बुजुर्ग महिला ने लाठी के सहारे खड़ी होकर हाईकोर्ट में रो-रोकर अपनी फरियाद रखी।

मां के मकान में रहने के लिए बेटे को देना होगा किराया, लाठी के सहारे खड़ी हो अदालत को सुनाई व्यथा

दरअसल अदालती आदेशों के बावजूद अमृतसर का जगमोहन सिंह अपनी मां का मकान खाली नहीं कर रहा है। वह घर में रहने के लिए लगभग दो वर्ष से अपनी 85 वर्षीय मां से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। जगमोहन सिंह को अब मां के के मकान में फिलहाल एक कमरे में परिवार के साथ रहना होगा और इसके लिए 1500 रुपये महीने किराया देना होगा।

वृद्धा मां और बेटे के बीच पिछले लगभग एक साल से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जारी इस कानूनी विवाद में सुनवाई हुई तो अजीब सी स्थिति उत्पन्न हो गई। 85 वर्षीय हरबंस कौर बिना वकील अदालत पहुंचीं और लाठी के सहारे खड़ी होकर रो-रो कर अदालत से फरियाद की।

हाईकोर्ट में गूंजी अमृतसर की वृद्ध मां की वेदना, बेटे से घर खाली कराने की लगाई गुहार

हरबंस कौर बेटे जगमोहन सिंह की अपील पर सुनवाई के लिए हाईकोर्ट अदालत पहुंची थीं। जगमोहन सिंह ने हाईकोर्ट में दायर इस अपील में अमृतसर जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी है। इसमें जिला मजिस्ट्रेट ने उसे अपनी मां का मकान खाली करने के आदेश दिए थे। वृद्धा हरबंस कौर ने अपने बेटे के दुर्व्‍यवहार से परेशान होकर अमृतसर जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दायर की थी।

दो वर्ष से बेटे के साथ लड़ रही कानूनी लड़ाई, अदालत ने वृद्धा को चैंबर में बुलाकर की सुनवाई

इस याचिका पर 27 जुलाई, 2017 के फैसले में जिला मजिस्ट्रेट ने मेंटेनेंस एंड वेल्फेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजंस एक्ट, 2007 के प्रावधानों के तहत जगमोहन सिंह को मां का मकान खाली करने के आदेश दिए थे। हरबंस कौर ने अदालत को बताया कि उसके मकान में उसके बेटे का परिवार जबरदस्ती रह रहा है।  उसके पास  जीवनयापन के संसाधन नहीं है और बेटा उसकी देखभाल नहीं करता है।

हाईकोर्ट ने इसी मामले में अक्टूबर, 2018 में जगमोहन सिंह को मकान में तीन कमरों का कब्जा हरबंस कौर को देने के आदेश दिए थे लेकिन इसके बावजूद मां-बेटे के बीच विवाद नहीं सुलझा। इसके बाद चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ को एक बार फिर इस मामले की मंगलवार को सुनवाई अपने चैंबर में की।

चीफ जस्टिस के चैंबर में लगभग एक घंटे तक सुनवाई चली। इसके बाद हाईकोर्ट ने जगमोहन सिंह को आदेश जारी करते हुए कहा है कि वह अदालत के अगले आदेश तक हरबंस कौर के मकान में एक कमरे में रह सकता है इस कमरे के उपयोग के लिए उसे हर महीने अपनी मां को 1500 रुपये अदा करने होंगे।

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अतुल नंदा को एमिकस क्यूरी बनाया अदालत ने

हरबंस कौर की ओर से किसी वकील के न होने के चलते पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने अदालत को उनकी सहायता के लिए किसी न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति की जाने की गुजारिश की। इस पर नंदा को ही इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया गया।

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अमृतसर से लाठी लेकर अकेले ही पैरवी के लिए आती हैं हरबंस

अपने ही बेटे के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हरबंस कौर अपनी लाठी टेकते हुए हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए अकेले ही बस पर बैठ कर आती हैं। हरबंस कौर का कहना है कि उसका बेटा अगर उसका ध्यान नहीं रखता तो उसे उसके घर में रहने का भी हक नहीं है।

चार कमरों का है वृद्धा का मकान

हरबंस कौर का अमृतसर में चार कमरे का मकान है, जिसमें दो कमरे ग्राउंड फ्लोर और दो फर्स्‍ट फ्लोर पर हैं। इनमें से दोनों तलों पर जगमोहन सिंह और हरबंस कौर के पास एक-एक कमरा थे। हाईकोर्ट ने अक्टूबर में जगमोहन सिंह को फर्स्‍ट फ्लोर वाला कमरा हरबंस कौर को देने के आदेश दिए थे।

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