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हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़े पंजाब के नार्को-टेरर मामले में चार लोगों को हाईकोर्ट से राहत, इन शर्तों पर मिली जमानत

Punjab News 10 लाख रुपये के बॉन्ड और 10-10 लाख रुपये के दो जमानती जमा कराने की शर्त पर जमानत दी गई है। वे किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे और अगर मुकदमे के दौरान वे एनडीपीएस अधिनियम या यूएपीए के तहत दंडनीय किसी अपराध में शामिल पाए जाते हैं तो अभियोजन एजेंसी इस आदेश को वापस लेने के लिए स्वतंत्र होगी।

By Dayanand Sharma Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 15 Jul 2024 07:56 PM (IST)
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Punjab News: हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़े चार लोगों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़े व पंजाब के नार्को-टेरर मामले में जम्मू-कश्मीर के एक व्यक्ति समेत चार लोगों को नियमित जमानत दे दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को गुरसंत सिंह उर्फ गोरा, मनप्रीत सिंह उर्फ मान, हिलाल अहमद शेरगोजी उर्फ हिलाल अहमद और बिक्रम सिंह उर्फ बिक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की समेत सभी चार आरोपितों को जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए।

हाई कोर्ट ने कहा कि सभी लगभग चार साल से न्यायिक हिरासत में हैं, जो अपीलकर्ताओं के उनके सहयोगियों से संपर्क तोड़ने के लिए पर्याप्त अवधि है। जस्टिस जी एस संधावालिया और जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने आरोपितों द्वारा दायर जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए ये आदेश पारित किए हैं। इस मामले में एनआईए ने 2020 में आरोपितों के खिलाफ चालान दाखिल किया था।

हिज्बुल मुजाहिद्दीन के लिए कर रहा था काम

हालांकि, 16 मई 2024 को आरोप तय किए गए, वह भी 26 अप्रैल 2024 के अंतरिम आदेश के बाद, जिसे हाईकोर्ट ने यह देखते हुए पारित किया था कि 2 दिसंबर 2021 से आरोप मुक्त करने के लिए आवेदन लंबित थे। आरोपों के अनुसार, उन्होंने भारत में हेरोइन की तस्करी और व्यापार करने और हेरोइन की आय अर्जित करने और आगे उक्त आय को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन तक पहुंचाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची। उन पर एनडीपीएस अधिनियम, यूएपीए और आईपीसी की 120-बी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।

अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र

उन्हें 10 लाख रुपये के बॉन्ड और 10-10 लाख रुपये के दो जमानती जमा कराने की शर्त पर जमानत दी गई है। साथ ही शर्त यह भी है कि वे किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे और अगर मुकदमे के दौरान वे एनडीपीएस अधिनियम या यूएपीए के तहत दंडनीय किसी अपराध में शामिल पाए जाते हैं, तो अभियोजन एजेंसी इस आदेश को वापस लेने और उनकी जमानत रद्द करने के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र होगी।

हालांकि, हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अपीलकर्ताओं को जमानत पर रिहा करते समय ट्रायल कोर्ट हिलाल अहमद के मामले में अतिरिक्त शर्तें लगाने के लिए स्वतंत्र होगा, क्योंकि वह पंजाब राज्य से संबंधित नहीं है।

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