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नवजोत सिंह सिद्धू की याचिका पर हाई कोर्ट ने जारी किया Income Tax विभाग को नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू की इनकम टैक्स संबंधी याचिका पर इनकम टैक्स विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। नवजोत सिद्धू ने उसकी आय का गलत असेसमेंट करने का आरोप लगाया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 27 Jul 2021 01:28 PM (IST)
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पंजाब कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का फाइल फोटो।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इनकम टैक्स विभाग द्वारा उनकी वित्त वर्ष 2016-17 की आय की गलत असेसमेंट करने के मामले में इनकम टैक्स कमिश्नर के समक्ष रिवीजन दायर की थी। इनकम टैक्स कमिश्नर ने इस रिवीजिन को रद कर दिया था। इसके बाद सिद्धू ने इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट की जस्टिस अजय तिवारी एवं जस्टिस विकास बहल पर आधारित खंडपीठ ने सिद्धू की इस याचिका पर आयकर विभाग को 11 अगस्त के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

नवजोत सिंह सिद्धू ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बताया है कि उन्होंने 2016-17 की अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में अपनी आय 9 करोड़ 66 लाख 28 हजार 470 बताई थी और इसे 19 अक्टूबर 2016 को जमा करवा दिया था और उन्हें इसकी एक्नॉलेजमेंट भी आ गई थी। सिद्धू ने बताया कि उन्हें तब हैरानी हुई जब इनकम टैक्स विभाग ने 13 मार्च 2019 को उन्हें सूचित करते हुए बताया कि उनकी इस दौरान की आय 13 करोड़ 19 लाख 66 हजार 530 रूपये है।

सिद्धू के मुताबिक इस तरह इनकम टैक्स विभाग ने उनकी आय में 3 करोड़ 53 लाख 38 हजार 67 रुपये और जोड़ दिए। सिद्धू ने इनकम टैक्स विभाग द्वारा उनकी आय की गलत असेसमेंट किए जाने के खिलाफ इनकम टैक्स कमिश्नर (अपील) के सामने रिवीजन दायर कर इसे ठीक करने का आग्रह किया, लेकिन इनकम टैक्स कमिश्नर ने इसी साल 27 मार्च को उनकी इस रिवीजन को ख़ारिज कर दिया था।

इनकम टैक्स कमिश्नर द्वारा 27 मार्च के इसी फैसले को नवजोत सिंह सिद्धू की रिवीजन ख़ारिज किए जाने के फैसले को सिद्धू ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा है कि उन्होंने जो रिवीजन दायर की थी, वह बेहद ही मामूली आधार पर कमिश्नर ने ख़ारिज कर दी है। उन्हें कहा गया है कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा-264 के तहत विशेष परिस्थिति में ही रिवीजन दायर की जा सकती है। सामान्य परिस्थिति में नहीं। इस पर सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट को हाई कोर्ट के कुछ आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि धारा-264 के तहत वह रिवीजन दायर कर सकते हैं, लेकिन कमिश्नर ने उनकी दलीलों को सुना तक नहीं। ऐसे में कमिश्नर के इस आदेश को रद किए जाने की सिद्धू ने हाई कोर्ट से मांग की है।

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