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प्रेमी जोड़ों के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण सुझाव, शिकायत के लिए बने आनलाइन माड्यूल

प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा को लेकर आने वाली शिकायतों पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। कहा कि प्रेमी जोड़े कहीं से भी शिकायत दर्ज करा सकें इसके लिए वेबसाइट या आनलाइन माड्यूल बनाया जाना चाहिए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 08:43 PM (IST)Updated: Fri, 12 Mar 2021 11:56 AM (IST)
प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का सुझाव। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। घर से भाग कर विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने चिंंता जाहिर करते हुए पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ प्रशासन को प्रेमी जोड़ों को आश्रय घर व कानूनी सहायता उपलब्ध करवाने को कहा है। हाई कोर्ट के जस्टिस अवनीश झिंगन ने यह भी कहा कि दोनों राज्य व केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ कानूनी सेवा प्राधिकरण, स्थानीय स्तर पर टेलीफोन सेवा और इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले 2437 हेल्प डेस्क स्थापित करें।

पंजाब के एक प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को आदेश दिया 22 मार्च को रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। हाई कोर्ट ने कहा कि रोजाना दायर होने वाले ऐसे कई मामलों के बीच खतरे के वास्तविक मामलों की अक्सर अनदेखी हो जाती है और कोर्ट पर केसों का अनावश्यक बोझ बढ़ रहा है। कोर्ट ने सुझाव दिया है जो ऐसे जोड़ों को सुरक्षा प्रदान करने का काम प्रशासन करे ताकि कोर्ट पर बोझ कम हो सके।

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चंडीगढ़ सहित पंजाब और हरियाणा के प्रत्येक जिले में सेफ हाउस उपलब्ध कराए जाने चाहिएं। ऐसे जोड़ों के लिए एक वेबसाइट या एक आनलाइन माड्यूल बनाया जाना चाहिए ताकि वह फिजिकली पेश हुए बिना अपनी शिकायत दायर कर सकें। शिकायत दाखिल करने के लिए तहसील स्तर पर 2437 हेल्प डेस्क उपलब्ध होना चाहिएं। किसी भी मामले में 48 घंटे से ज्यादा समय न लिया जाए।

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हाई कोर्ट ने दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरलों, चंडीगढ़ के लिए वरिष्ठ स्थायी वकील और कानूनी सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों को इस मुद्दे से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास करने का निर्देश दिया। इस बात को लेकर नाराजगी भी जताई कि हाई कोर्ट ने दोनों राज्यों के सभी जिला जजों को 31 मार्च, 2010 के आदेश के तहत निर्देश दिए थे कि प्रेमी जोड़ों को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की जाए, परंतु उनका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए जिन प्रेमी जोड़ों को पहले ही खतरा होता है उन्हें याचिका दायर करने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए हाई कोर्ट आना पड़ता है, जो उन्हें और खतरे में डालता है।

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सुनवाई के दौरान पंजाब राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव डा. मनदीप मित्तल ने कोर्ट को बताया कि पंजाब के हर जिले में एक-एक स्टाप सेंटर (सखी सेंटर) हैं, जो सेहत व परिवार कल्याण विभाग की ओर से उपायुक्त की निगरानी में चलाए जा रहे हैैं। इस पर कोर्ट ने सुझाव दिया कि इन केंद्रों के काम का दायरा बढ़ाकर प्रेमी जोड़ों के मुद्दों से निपटने के लिए इनकी सेवाओं का उपयोग किया जाए।

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