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Punjab: अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू भाजपा से शुरू कर सकते हैं राजनीतिक पारी, अमृतसर से ठोक सकते हैं दावेदारी

अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू भारतीय जनता पार्टी से अपना राजनीतिक सफर शुरू कर सकते है। संधू 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे है। 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी अमृतसर के रहने वाले है। भाजपा अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें अपना प्रतिनिधि भी बना सकती है। भाजपा को अमृतसर सीट के लिए एक सिख चेहरे की तलाश है।

By Kailash Nath Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Sun, 28 Jan 2024 08:19 PM (IST)
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अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू भाजपा से शुरू कर सकते हैं राजनीतिक पारी
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू भारतीय जनता पार्टी से अपना राजनीतिक सफर शुरू कर सकते है। संधू 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे है। 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी अमृतसर के रहने वाले है। भाजपा अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें अपना प्रतिनिधि भी बना सकती है। भाजपा को अमृतसर सीट के लिए एक सिख चेहरे की तलाश है।

संधू की छवि न सिर्फ साफ-सुथरी है बल्कि राजदूत होते हुए उनके एनआरआईज के साथ अच्छे संबंध भी है। यही कारण है कि अमेरिका में उनके सेवानिवृत्त होने से पहले उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है।

संधू के रिटायर होने का इंतजार कर रही भाजपा

भाजपा संधू के सेवानिवृत्त होने का इंतजार कर रही है। इस बात की पुष्टि पार्टी के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता ने भी की है। उनका कहना हैं कि इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि तरणजीत सिंह संधू भाजपा से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत करें। क्योंकि पार्टी साफ-सुथरी छवि वाले लोगों को आगे लाना चाहती है। बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू के बाद अमृतसर सीट भाजपा के लिए दुखद सपना रही है। सिद्धू अमृतसर सीट से लगातार तीन बार लोक सभा का चुनाव जीते थे। उसके बाद भाजपा के इस सीट पर लगातार हार ही मिल रही है। 

ये है पंजाब में भाजपा की हार का बड़ा कारण

2014 में भाजपा ने अपने सबसे कद्दावर नेता व तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वह कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह से हार गए थे। 2019 में पार्टी ने एक बार फिर अपने भारी-भरकम नेता व केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को चुनाव मैदान में उतारा था। उन्हें भी कांग्रेस के गुरजीत औजला से हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण बाहर से लाए गए नेता रहें हैं। क्योंकि जेटली और पुरी का पंजाब से कोई सीधा संबंध नहीं था। 

तरनजीत सिंह संधू पर टिकी भाजपा की नजर

यही कारण है कि भाजपा की तलाश स्थानीय चेहरा है। ऐसे में पार्टी की नजर तरनजीत सिंह संधू पर टिकी हुई है। चूंकि संधू के एनआरआईज़ के साथ अच्छे संबंध है और बतौर राजदूत उनकी छवि भी अच्छी रही है। सिख होने के साथ-साथ वह अमृतसर के है। इससे पहले भाजपा ने तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी जगमोहन सिंह राजू के विधानसभा चुनाव में लड़वाया था। 

राजू अमृतसर पूर्व से चुनाव लड़े थे। हालांकि इस चुनाव में वह बुरी तरह से हार गए थे। भाजपा अब लोक सभा चुनाव में तरणजीत सिंह संधू पर दांव खेल सकती है।

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