यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय जर्नल वाटर, एयर एंड सॉयल पॉल्यूशन में प्रकाशित हुआ है। यह अध्ययन पीजीआईएमईआर के कम्युनिटी मेडिसिन और मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी विभाग तथा पंजाब यूनिवर्सिटी के पर्यावरण अध्ययन विभाग द्वारा किया गया।
एलर्जी होने का रहता है खतरा
विशेष तौर पर पंखों की सफाई न करने पर पैदा होने वाली धूल का अध्ययन किया गया है। जो डाइनिंग एरिया, बेडरूम, किचन और पूजा स्थलों से एकत्र की गई थी। इसमें पाया गया कि धूल में कैल्शियम, आयरन और एल्युमिनियम सबसे अधिक मात्रा में पाए गए।अध्ययन के अनुसार हालांकि आयरन सेहत के लिए आवश्यक है, लेकिन अत्यधिक संपर्क से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। अध्ययन में विशेषज्ञों ने सफाई के समय क्या क्या एतियात बरतनी चाहिए इस पर भी सुझाव दिए हैं। दीवाली पर हर व्यक्ति का अपने घर की सफाई पर विशेष फोकस होता है।
हर 15 दिन में करनी चाहिए सफाई
अध्ययन के अनुसार एहतियात न बरतने पर बैक्टरिया होने पर एलर्जी होने का खतरा रहता है। इसके साथ ही खिड़कियों, पर्दे, एसी की सफाई न होने पर पैदा होने वाली धूल भी स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है। इससे सांस लेने में दिक्कत पैदा होती है।ऐसे में हर 15 दिन में सफाई करने का सुझाव दिया गया है। अध्ययन करने वाली टीम के अनुसार सफाई करने समय एन-95 मास्क और दस्ताने पहनना चाहिए ताकि धूल के संपर्क में आने से बचा जा सके।
बाहर के प्रदूषण से अधिक खतरनाक घर का प्रदूषण
अध्ययन के अनुसार सबसे ज्यादा इनडोर प्रदूषण किचन और पूजा स्थल में पैदा होता है। अध्ययन में पाया गया कि पूजा स्थलों में एल्युमिनियम और आयरन का स्तर सबसे अधिक है, इसके बाद डाइनिंग रूम में यह सबसे ज्यादा होता है। पूजा स्थलों में अगरबत्तियों और मोमबत्तियों के जलने से यह तत्व इनडोर वातावरण में उत्सर्जित होते हैं।इनके अलावा कैल्शियम, सिलिकान, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सोडियम और पोटेशियम जैसे तत्व भी शामिल हैं। अध्ययन में बताया गया है कि घर के अंदर का प्रदूषण स्तर, जहां लोग अपना अधिकतर समय बिताते हैं, बाहर के प्रदूषण स्तर से अधिक हो सकता है।
ऐसे में सफाई और वेंटिलेशन को बेहतर करने की आवश्यकता है। अध्ययन में पाया गया कि एल्युमिनियम का स्रोत टैल्क और पेंट्स हैं और पुराने मकानों में पुराने पेंट और पाइप फिटिंग्स के कारण लीड भी मौजूद हो सकता है।
इन विशेषज्ञों ने किया अध्ययन
विशेषज्ञों ने फिल्टर वाले वैक्यूम का उपयोग करने, बिस्तरों को नियमित रूप से धोने और सतहों को गीले कपड़े से साफ करने जैसे प्रभावी सफाई उपायों की सिफारिश की है। इसके अलावा भाप या उबालकर खाना पकाने की विधि और एग्जॉस्ट फैन व खिड़कियों के माध्यम से अच्छी वेंटिलेशन का पालन करके इनडोर वायु गुणवत्ता को अच्छा किया जा सकता है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है।
यह अध्ययन पीजीआई के प्रोफेसर रविंद्र खेरवाल, पंजाब विश्वविद्यालय की पर्यावरण विभाग की डॉ सुमन मोर, पीजीआई के मेडकिल माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एम बिसवाल और पीजीआई के मेडकिल पेरासाइटोलॉजी के प्रोफेसर आर सहगल ने की है।
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अध्ययन के लिए यहां से लिए गए नमूने
इस अध्ययन के लिए विभिन्न घरों के डाइनिंग रूम, ड्राइंग रूम, बेडरूम, किचन और पूजा स्थलों से पांच नमूने लिए गए। इन नमूनों का विश्लेषण एक्स-रे डिफ्रेक्शन , स्कैनिंग इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी और इंडक्टिवली कपल्ड प्लाज़्मा मास स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीकों से किया गया।कैल्शियम और आयरन की अधिकता पाई गई, जो निर्माण गतिविधियों से संबंधित मानी गई है। एक्स-रे डिफ्रेक्शन में कैल्साइट और क्वार्ट्ज के कण प्रमुख रूप में पाए गए। स्कैनिंग इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी में धूल के नमूनों में गोल और अनियमित टुकड़े मिले, जो घर के अंदर कोयले के जलने से जुड़े तत्वों की उपस्थिति को दर्शाते हैं।
विश्लेषण एक्स-रे डिफ्रेक्शन में धूल के नमूनों में अनियमित और कुछ गोलाकार कण दिखाई दिए।अध्ययन में इनडोर प्रदूषकों और घरेलू धूल को कम करने के लिए उपायों पर भी चर्चा की गई है।
धूल में यह पाया गया
इस अध्ययन के अनुसार घरेलू धूल में भारी धातुओं जैसे कैल्शियम, लोहा और एल्युमिनियम की उच्च मात्रा पाई गई है, जबकि चांदी और थोरियम की मात्रा सबसे कम पाई गई।अध्ययन में बताया गया कि घरेलू धूल में कैल्शियम, लोहा, और एल्युमिनियम जैसे तत्वों की उच्च मात्रा है, जो स्वास्थ्य के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं।
इन धूल के कणों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया, जैसे पेनिबेसिलस बार्सिनोनेंसिस और बैसिलस मेगाटेरियम, ने धूल के भीतर जैविक प्रदूषकों की उपस्थिति का संकेत दिया है। हालांकि, धूल में धूल के कीटाणु (माइट्स) की पहचान नहीं हो पाई।यह अध्ययन विशेष रूप से बच्चों और वयस्कों के स्वास्थ्य पर धूल में पाए जाने वाले तत्वों के संभावित जोखिम का आकलन करने पर केंद्रित था। अध्ययन से पता चला कि बच्चों और वयस्कों के लिए गैर-कार्सिनोजेनिक और कार्सिनोजेनिक जोखिम मानक सीमा के भीतर हैं, जो अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं।
अध्ययन ने सुझाव दिया कि घरेलू धूल के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए घरेलू वातावरण में स्वच्छता और हवादार माहौल बनाए रखना आवश्यक है।
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