आसान नहीं है पंजाब में केंद्रीय कृषि कानून को बेअसर करना, जानिये पंजाब बिल व केेंद्र के कानूनों में अंतर
पंजाब सरकार ने राज्य में केंद्रीय कृषि कानूनों को बेअसर करने के लिए विधानसभा में चार विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित कराया गया है। इन विधेयकों में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिससे केंद्रीय प्रावधान के कई बिंदु प्रभावहीन होंगे। जानिये दोनों में क्या है अंतर।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 21 Oct 2020 10:51 AM (IST)
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब विधानसभा में केंद्र सरकार के तीन नए कृषि सुधार कानूनों को प्रभावहीन करने के लिए चार विधेयक पारित किए गए हैं। ये सभी सर्वसम्मति से पारित किए गए। विधानसभा में इन विधेयकों पर करीब साढ़े पांच घंटे की बहस हुई। इन विधेयकों के माध्यम से केंद्र सरकार के कानूनों के प्रावधानों को बेअसर करने के कई प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार के कानूनों और पंजाब सरकार के विधेयकों में अनेक महत्वपूर्ण अंतर हैं। जानिये दोनों में क्या हैं महत्वूपूर्ण अंतर।
केंद्र सरकार के कानूनों और पंजाब सरकार के विधेयकों में अंतर- 1.
केंद्रीय कानून : किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (प्रोमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020 के तहत कृषि उपज विपणन समितियों के तहत बनी मंडियों के बाहर अगर कोई कंपनी, व्यापारी फसल की खरीदते हैं तो उन्हें टैक्स नहीं देने होंगे। वह किसी भी कीमत पर खरीद कर सकते हैं।
- पंजाब सरकार काि विधेयक :किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (प्रोमोशन एंड फैसिलिटेशन) विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन बिल, 2020 के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे (धान और गेहूं) बेचने या खरीदने पर तीन साल की सजा और जुर्माने का उपबंध किया गया है।
----2.केंद्रीय कानून : किसानों के (सशक्तिकरण और सुरक्षा) कीमत के भरोसे संबंधी करार और कृषि सेवाएं एक्ट, 2020 के तहत अनुबंध आधारित कृषि को वैधानिकता प्रदान की गई है। इससे बड़े व्यवसायी और कंपनियां अनुबंध के जरिये कृषि के विशाल भू-भाग पर ठेका आधारित कृषि कर सकें।
- पंजाब सरकार का विधेयक : किसानों के (सशक्तिकरण और सुरक्षा) कीमत के भरोसे संबंधी करार और कृषि सेवाएं (विशेष प्रस्तावों और पंजाब संशोधन) बिल, 2020: पंजाब सरकार ने धारा 1(2), 19 और 20 में संशोधन करते हुए नई धाराओं 4, 6 से 11 को शामिल करने का प्रस्ताव किया है। इसके लिए दो बिल पास किए हैं। पहला, इसके तहत किसान और कंपनी में आपसी विवाद होने पर 2.5 एकड़ जमीन वाले किसानों की जमीन की कुर्की नहीं होगी। पशु, यंत्र, पशुओं के बाड़े आदि जायदाद भी कुर्की से मुक्त होंगी। दूसरा, विवाद के निपटारे के लिए सिविल कोर्ट में भी जाया जा सकेगा।
----3.केंद्रीय कानून: अनिवार्य वस्तुएं अधिनियम: निजी कंपनियां जितना मर्जी अनाज खरीद सकती हैं और उसका भंडारण कहा किया है, यह बताने की जरूरत नहीं है।- पंजाब का विधेयक : अनिवार्य वस्तुएं (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल, 2020 के तहतपंजाब में खरीदी जाने वाली फसल के बारे में निजी कंपनियों को सरकार को बताना होगा। सरकार को खास परिस्थितियों जैसे बाढ़, महंगाई और प्राकृतिक आपदा में स्टॉक लिमिट तय करने का अधिकार होगा।
----------आगे क्या..विधानसभा में पारित बिलों पर राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरीविधानसभा में पारित कृषि बिलों को कानून बनने के लिए अब राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी। जानें पंजाब विधानसभा में पारित किए गए विधेयकों की क्या राय है-
-- राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरीप्रसिद्ध कानूनविद जेएस तूर का कहना है कि क्योंकि यह समवर्ती सूची का मामला है और इस विषय पर केंद्र सरकार ने पहले ही कानून बना दिए हैं, ऐसे में पंजाब विधानसभा में पारित विधेयकों को लागू करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होगी। राज्यपाल के माध्यम से ही ये विधेयक राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे। राज्यपाल केवल इस पर कानूनी राय लेकर कृषि मंत्रालय को भेजेंगे। उसके बाद मंत्रालय ने यह राष्ट्रपति को भेजना है। इस विषय पर अब केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने ही कानून बना दिए हैं, अब फैसला राष्ट्रपति को करना है। राष्ट्रपति के लिए समय की कोई पाबंदी नहीं है।
-- राष्ट्रपति भेज सकते हैैं सुप्रीम कोर्ट कोपंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर सिंह का भी कहना है कि इससे संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है। राज्यपाल इसे राष्ट्रपति को भेजेंगे और राष्ट्रपति इस पर सालिसिटर जनरल से सलाह लेंगे या फिर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को भी रेफर कर सकते हैं। वहां से सलाह आने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है। इसकी कोई समय सीमा नहीं है।
-- पंजाब विधानसभा में पारित विधेयक गैर संवैधानिककेंद्रीय एडिश्नल सालिसिटर जनरल चेतन मित्तल ने पंजाब विधानसभा में पारित विधेयकों को गैर संवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि इन बिलों में ही केंद्रीय कानूनों का जिक्र किया गया है इसलिए इसे केंद्रीय एक्ट के संशोधन के रूप में ही माना जा सकता है। केंद्रीय कानूनों में संशोधन का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास ही है। इसमें सिर्फ आर्टिकल 254 की क्लाज दो में गया है यदि केंद्र किसी भी कानून में कोई राज्य संशोधन लाना चाहता है तो उसे विधानसभा में पेश करने के बाद उसे राष्ट्रपति से पास करवाना जरूरी है। चेतन मित्तल ने कहा कि जब तक इसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल जाती ये गैर संवैधानिक हैैं।
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बता दें कि पंजाब विधानसभा में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तीनों कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव कर केंद्र सरकार से तीनों कानून वापस लेने की अपील भी की। प्रस्ताव को भी सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और भाजपा के दोनों विधायक अरुण नारंग और दिनेश सिंह बब्बू सदन में उपस्थित नहीं थे।विधेयक पारित होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से अपील की कि सरकार उनके साथ खड़ी है और वह सरकार का साथ देते हुए रेल ट्रैक को खाली कर दें। पंजाब का पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है।
इसके बाद भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों के विधायकों ने कैप्टन के नेतृत्व में राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात करके उन्हें बिलों की कापियां सौंपी और अपील की कि किसानी व कृषि को बचाने के लिए इन बिलों पर हस्ताक्षर कर दें। कैप्टन ने आशंका जताई कि राज्यपाल इन बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति से 2 से 5 नवंबर के बीच मिलने के लिए समय मांगा गया है। समय मिलने पर पंजाब का सर्वदलीय शिष्टमंडल राष्ट्रपति से मिलने के लिए जाएगा।
-------केंद्र के पास ही आएगा प्रस्ताव: अश्वनी शर्माभाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा ने कहा कि कैप्टन अमरिेंदर सिंह की सरकार ने जो विधेयक विधानसभा में पारित कराया है उन्हें लागू करना या न करना फिर केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। कैप्टन विशेष सत्र में कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक लाकर लोगों को बहला रहे हैं।कैप्टन बेवकूफ बना रहे हैं : चीमा कैप्टन के साथ संयुक्त तौर पर राज्यपाल से मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता और नेता विपक्ष हरपाल चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के बनाए गए कानूनों को रद कर सकती है?यह भी पढ़ें: Punjab Assembly Session: पंजाब ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर राज्यपाल को सौंपा,MSP पर फसल न खरीदी तो 3 साल जेल यह भी पढ़ें: नवजोत सिद्धू का फिर पंजाब सरकार पर हमला, कहा- MSP नहीं दे सकते तो माफिया राज बंद करो
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