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लद्दाख और हिमालय के संरक्षण के लिए सोनम वांगचुक की 850 KM की पदयात्रा पूरी, 27 दिन बाद पहुंची चंडीगढ़

पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने लद्दाख और हिमालय के संरक्षण के लिए लेह से चंडीगढ़ तक 850 किलोमीटर की पदयात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा लोकतंत्र की बहाली और छठी अनुसूची के सुरक्षा उपायों पर ध्यान आकर्षित करना है। वांगचुक ने कहा कि सीमा सुरक्षा के लिए हो रहे विकास कार्यों से लद्दाख के लोगों को कोई आपत्ति नहीं है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 28 Sep 2024 02:53 PM (IST)
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लद्दाख और हिमालय के संरक्षण के लिए सोनम वांगचुक की 850 KM की पदयात्रा पूरी

विकास शर्मा, चंडीगढ़। पैरों से रिसते छालों की परवाह नहीं, हिमालय को बचाना जरूरी है। यह कहना है पर्यावरणविद सोनम वांगचुक का। लद्दाख बचाओ, हिमालय बचाओ नारे के साथ लेह से पहली सितंबर को शुरू हुई यह यात्रा 27 दिन में 850 किलोमीटर का सफर तय कर चंडीगढ़ पहुंची।

पदयात्रा की अगुवाई कर रहे वांगचुक ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य लद्दाख का संरक्षण, लद्दाख में लोकतंत्र की बहाली और छठी अनुसूची के सुरक्षा उपायों पर ध्यान आकर्षित करना है।

उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा के लिए हो रहे विकास कार्यों से लद्दाख के लोगों को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचने के लिए हिमायली क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। विकास की अंधाधुंध दौड़ के बीच पर्यावरण संरक्षण की जरूरत है।

लोगों के हितों को खतरा

मौजूदा समय में लद्दाख के स्थानीय लोगों की उपेक्षा हो रही है। वांगचुक ने कहा कि लद्दाख में 13,000 मेगावाट का सोलर प्रोजेक्ट लगाने के लिए सभी चारगाहें कंपनियों को दी जा रही हैं, जिससे स्थानीय लोगों के हितों का नुकसान होगा। कंपनियां मुनाफा कमा लेंगी और पर्यावरणीय क्षति का भार स्थानीय लोगों और देश के करदाताओं पर पड़ेगा।

उन्होंने हिमाचल, उत्तराखंड और सिक्किम में आई प्राकृतिक आपदाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि हिमालय क्षेत्र के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में बड़ा नुकसान न हो।

कहा कि पांच महीनों में पांच लाख से अधिक पर्यटक लद्दाख आते हैं, जिससे क्षेत्र में पर्यावरणीय संकट बढ़ता जा रहा है। इससे लद्दाख की जमीन, पानी और हवा सब प्रदूषित हो रहे हैं। लद्दाख की संस्कृति को भी नुकसान हो रहा है।

वांगचुक ने कहा कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद सभी फैसले अफसरशाही से हो रहे हैं। लेह-लद्दाख को अपनी विधानसभा मिलनी चाहिए, ताकि स्थानीय लोग अपने भविष्य का निर्णय खुद कर सकें। यह पदयात्रा 2 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी, जहां वह अपनी मांगे सरकार और राष्ट्रपति के सामने रखेंगे।

सोनम ने लद्दाख में बिताई पूरी उम्र

हरियाणा में चुनाव के मद्देनजर पदयात्रा नहीं जाएगी। लद्दाख में दिखने लगा प्रदूषण का असरयात्रा में शामिल बुजुर्ग रिगजिन वांगचुक और सोनम वांगचुक अपने पांव के छाले दिखाते हुए कहा कि उन्होंने पूरी उम्र लद्दाख में बिता दी, अब वह अपने लिए नहीं लद्दाख के भविष्य के लिए दिल्ली की पदयात्रा कर रहे हैं।

वह कार खरीदने की क्षमता रखते हैं, लेकिन फिर भी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए लिफ्ट मांग (हिचहाइकिंग) यात्रा करते हैं। मैं इन लोगों का साथ देने के लिए आया हूं।

लद्दाख एपेक्स बाडी के युवा नेता पदमा स्तांग जिन ने कहा कि लद्दाख में बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है, इससे स्थानीय युवा खासे उत्साहित हैं, केंद्र सरकार को जल्द से जल्द जल्द ही लद्दाख पब्लिक सर्विस कमीशन की स्थापना करनी चाहिए।

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