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'SIT भ्रष्टाचार के पहलू से भी करे जांच', लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में हाईकोर्ट का आदेश

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में साक्षात्कार मामले में भ्रष्टाचार के पहलू की जांच के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने पाया कि पुलिस अधिकारियों ने अपराधी को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करने की अनुमति दी और साक्षात्कार के लिए स्टूडियो जैसी सुविधा प्रदान की जो अपराध को महिमामंडित करने जैसा है।

By Inderpreet Singh Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Wed, 30 Oct 2024 08:07 PM (IST)
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लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा आदेश। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का पुलिस हिरासत में साक्षात्कार जैसी घटना को पुलिस अधिकारियों और अपराधियों के बीच सांठगांठ और साजिश की ओर इशारा करते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ आईपीएस प्रबोध कुमार की अध्यक्षता वाली एसआईटी को इस मामले में भ्रष्टाचार के पहलू की जांच करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट ने लॉरेंस के खरड़ में पुलिस स्टेशन के अंदर साक्षात्कार के संबंध में एसआईटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की जांच के बाद ये आदेश दिए हैं। जिसके लिए एसआईटी ने मोहाली की एक अदालत में धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत चालान पहले ही पेश कर दिया है।

मामले में आगे की जांच की आवश्यकता: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट के जज अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने यह आदेश पारित करते हुए पाया कि पुलिस अधिकारियों ने अपराधी को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करने की अनुमति दी और साक्षात्कार के लिए स्टूडियो जैसी सुविधा प्रदान की, जो अपराध को महिमामंडित करने जैसा है। जिससे अपराधी और उसके सहयोगियों द्वारा जबरन वसूली सहित अन्य अपराधों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

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पीठ ने मामले की आगे की जांच के निर्देश देते हुए कहा, पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता से अपराधी या उसके सहयोगियों से अवैध रिश्वत प्राप्त करने का पता चलता है और यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध बनता है। इसलिए, मामले में आगे की जांच की आवश्यकता है।

इंटरव्यू के लिए कार्यालय को स्टूडियो के रूप में किया गया इस्तेमाल

न्यायमूर्ति ग्रेवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने विस्तृत आदेश में यह भी कहा कि पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग के विशेष डीजीपी प्रबोध कुमार ने कहा था कि एसआईटी के पास पहले भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अन्य अपराधों की जांच करने का अधिकार नहीं था और उन पहलुओं के संबंध में जांच नहीं की गई थी क्योंकि एसआईटी ने फिशिंग एंड रोविंग जांच करना उचित नहीं समझा था।

एसआईटी द्वारा अदालत के समक्ष प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट का हवाला देते हुए, पीठ ने अपने आदेश में यह भी दर्ज किया कि एसआईटी यह स्थापित करने में सक्षम है कि साक्षात्कार पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में सीआईए स्टाफ खरड़ के परिसर में हुआ था। साक्षात्कार आयोजित करने के लिए पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी के कार्यालय को स्टूडियो के रूप में इस्तेमाल किया गया था।

19 नवंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित

साक्षात्कार आयोजित करने के लिए सीआईए स्टाफ के परिसर में आधिकारिक वाईफाई प्रदान किया गया था, जो आपराधिक साजिश की ओर इशारा करता है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर के लिए स्थगित कर दिया। इस मामले में आगे की जांच की जरूरत है कि यह किस विचार से किया गया था और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों के अलावा अन्य अपराधों की ओर विभिन्न पहलुओं की जांच की जानी चाहिए।

पंजाब के महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया है कि आदेश के अनुपालन में वैश्विक स्तर पर स्थित सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से साक्षात्कार को हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे और प्रतिबंधित सामग्री को अपलोड करने और अग्रेषित करने में मदद करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि समय-समय पर जांच होनी चाहिए और यदि 21 दिसंबर, 2023 के आदेश के तहत प्रतिबंधित साक्षात्कार फिर से सामने आते हैं, तो उन्हें इस अदालत के किसी भी आदेश के बिना तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।

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