Lok Sabha Election: पंजाब में लोकसभा सीट को लेकर बदल रहे हालात, खालसा पंथ की सृजनहार धरती पर हिंदू चेहरे की तलाश
Lok Sabha Election आनंदपुर साहिब की धरती पर हालात बदलते जा रहे हैं। खालसा पंथ की सृजनहार धरती पर अब हिंदू चेहरे की तलाश है। इस समय इस सीट पर कांग्रेस के मनीष तिवारी सांसद हैं। आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मालविंदर सिंह कंग भी इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। सीट की रूपरेखा को देखते हुए नाम पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। खालसा पंथ की स्थापना करने वाली श्री आनंदपुर साहिब की धरती पर बदलते समय के साथ लोकसभा सीट पर हालात बदलते जा रहे हैं। किसी समय दो -दो संसदीय सीटों का हिस्सा रहने वाली यह सीट साल 2012 में जब सीटों की नई हदबंदी हुई तो होशियारपुर और रोपड़ सीट से इसके कुछ कुछ हिस्से निकालकर श्री आनंदपुर साहिब के रूप में नई सीट बनी। तभी से इस सीट का स्वरूप भी बदल गया है।
इस सीट पर हैं कांग्रेस के मनीष तिवारी
इस समय इस सीट पर कांग्रेस के मनीष तिवारी सांसद हैं। उनको पिछले चुनाव में मिली जीत को देखते हुए अब शिरोमणि अकाली दल को छोड़कर तमाम राजनीतिक पार्टियां किसी न किसी सशक्त हिंदू नेता की तलाश कर रही हैं ताकि जीत को सुनिश्चित कर सकें। इस सीट का काफी हिस्सा दोआबा में भी आता है और दोआबा में ग्रामीण इलाकों जो सिख बाहुल थे उनके बच्चे विदेशों में जा बसे हैं जबकि शहरों में हिंदू वर्ग का रूझान विदेशों की तरफ अपेक्षाकृत कम है।
इसके अलावा चूंकि यह सीट चंडीगढ़-मोहाली के आसपास भी लगती है इसलिए वहां की कुछ विधानसभा सीटों में दूसरे राज्यों से पलायन करके आने वाले लोगों की आबादी भी बढ़ी है। खासतौर पर खरड़ और मोहाली ऐसे इलाके हैं जहां पर हिमाचल प्रदेश की बड़ी गिनती में आबादी यहां पक्के तौर पर बस गई है।
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राजनीतिक पार्टियों ने बदलनी शुरू की रणनीति
बच्चों की पढ़ाई के कारण ये आबादी पहाड़ों से उतरकर इस तलहटी इलाके में आई हो या प्राइवेट सेक्टर में नौकरी के चलते ... कारण कोई भी रहा हो लेकिन यह साफ है कि इनके वोट बढ़ते जा रहे हैं जिस कारण अब राजनीतिक पार्टियों ने अपनी रणनीति बदलनी शुरू कर दी है।इस लोकसभा सीट के अधीन मोहाली, खरड़, नवांशहर व कुराली आदि में हिंदू आबादी ज्यादा है। नंगल और नूरपुरबेदी पहले से ही हिंदू बाहुल इलाके रहे हैं। हालांकि इस सीट पर सैणी बिरादरी का भी जोर है और यह वर्ग लंबे समय से सीट की मांग करता रहा है लेकिन कभी कामयाब नहीं हुआ।
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