Lok Sabha Elections: पंजाब में AAP से गठबंधन पर कांग्रेस को सत्ता विरोध का डर, अलग-अलग लड़ने पर होगी कुछ ऐसी स्थिति
आइ.एन.डी.आई.ए घटक दलों में अभी तक सीट शेयरिंग का मामला फंसा हुआ नजर आ रहा है। खासतौर पर पंजाब जैसे राज्य में जहां आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस दोनों ही इस गठजोड़ के हिस्सेदार हैं। कांग्रेस की राज्य इकाई का मानना है कि दो साल सत्ता में रहने के बाद लोगों का मोह अब आप से भंग हो गया है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। आइ.एन.डी.आई.ए घटक दलों में अभी तक सीट शेयरिंग का मामला फंसा हुआ नजर आ रहा है। खासतौर पर पंजाब जैसे राज्य में जहां आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस दोनों ही इस गठजोड़ के हिस्सेदार हैं। कांग्रेस की राज्य इकाई का मानना है कि दो साल सत्ता में रहने के बाद लोगों का मोह अब आप से भंग हो गया है। अगर कांग्रेस, आप से समझौता करती है तो उसे लोगों की नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं, अगर दोनों दल अलग-अलग लड़ते हैं तो सत्तारूढ़ पार्टी से नाराज लोग प्रमुख विपक्षी दल यानी कांग्रेस की तरफ ही मुड़ेंगे, जिसका फायदा कांग्रेस को हो सकता है।
आप से मोह हुआ भंग, कांग्रेस में कर रहे वापसी
चूंकि, दोनों दल आइ.एन.डी.आई.ए के घटक दल हैं, ऐसे में चाहे आप जीते या कांग्रेस यह सीटें गठबंधन के हिस्से में ही आएंगी। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा की माने तो 2022 के विधानसभा चुनाव में लोगों ने सभी पार्टियों को हराकर आप को केवल इसलिए चुना था, क्योंकि यह बिल्कुल नई पार्टी थी। कांग्रेस का वोट बैंक जो आमतौर पर 36 से 40 प्रतिशत बीच में रहता है, वह घटकर 17 प्रतिशत तक आ गया था, लेकिन जिस तरह से दो साल आप के सरकार में गुजरे हैं, उससे लोगों का इस पार्टी से मोहभंग हो चुका है। इससे अब 10 से 12 प्रतिशत मतदाता वापस कांग्रेस की तरफ आ जाएंगे।
पार्टी किसी भी कीमत पर नहीं गंवाना चाहती कैडर
यदि कांग्रेस आप से समझौता करती है तो यह वोट बैंक शिअद या भाजपा की ओर मुड़ सकता, जिसका आइ.एन.डी.आई.ए को नुकसान होगा। कांग्रेस को दूसरा खतरा इस बात से भी लग रहा है कि यदि आप और कांग्रेस में समझौता हो जाता है तो आप को सत्ता में होने का फायदा मिल सकता है और कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेस का कैडर समझौते में आप को चला जाए और वह वापस ही न आए। इसलिए पार्टी किसी भी स्तर पर अपने कैडर को नहीं गंवाना चाहती।नहीं हो पा रहा पार्टी में समझौता
पार्टी हाईकमान के चाहने के बावजूद दोनों पार्टियों में समझौता नहीं हो पा रहा है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं, जिनमें खुद नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, भारत भूषण आशु, पूर्व मंत्री परगट सिंह और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। यह नेता किसी भी स्थिति में आप से समझौता नहीं चाहते।
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