Punjab News: 10 सीटों पर कम मतदान बिगाड़ सकता है जीत-हार का गणित, जानिए पिछले चुनाव में किस पार्टी को मिला था फायदा
पंजाब की 13 में से 10 लोकसभा सीटों पर इस बार कम मतदान हुआ है जो लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की हार-जीत का खेल बिगाड़ सकती है। अहम बात यह है कि इस बार पंजाब में चार पार्टियां सीधे मुकाबले में थीं जबकि कई जगहों पर पांच कोणीय मुकाबला भी बना हुआ था। हालांकि इस मुकाबले के बाद भी मतदाताओं ने कोई खास रुचि नहीं ली।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। प्रदेश में 13 लोकसभा सीटों पर हुआ मतदान लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़ों को नहीं छू पाया। पिछली बार की तुलना में 2,29,178 कम लोगों ने मतदान किया, जबकि इस बार मतदाताओं की संख्या 6.80 लाख बढ़ गई थी। राज्य की दस सीटों पर पिछली बार से भी कम मतदान हुआ, जबकि अमृतसर, लुधियाना और फरीदकोट ही मात्र ऐसी सीटें हैं, जहां पर पिछले चुनाव के मुकाबले मतदान में थोड़ी वृद्धि हुई है।
कम हुए मतदान का असर जीत-हार के आंकड़ों पर भी पड़ेगा। अहम बात यह है कि इस बार पंजाब में चार पार्टियां सीधे मुकाबले में थीं, जबकि कई जगहों पर पांच कोणीय मुकाबला भी बना हुआ था। इसके बावजूद मतदाताओं ने मतदान में कोई खास रुचि नहीं दिखाई।
पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में हुआ कम मतदान
चुनाव आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में मतदान का औसत 62.82 प्रतिशत रहा। वर्ष 2019 में 1.37 करोड़ लोगों ने मतदान किया था, जोकि इस बार घट कर 1.34 करोड़ हो गया है। आंकड़े बतातें हैं कि इस बार 2.29 लाख वोट पिछले बार के मुकाबले कम पड़े हैं। कम मतदान ने प्रत्याशियों की चिंताएं बढ़ा दी है, क्योंकि 2014 के चुनाव में जब मतदान 70.63 प्रतिशत हुआ था, तब सत्तारूढ़ अकाली-भाजपा ने छह सीटें जीती थी और कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत मिली थी। यह वहीं वर्ष था जब आम आदमी पार्टी का पंजाब में उदय हुआ था और उसने चार सीटों पर जीत प्राप्त की।ये भी पढ़ें:
साल 2019 में कम मतदान का कांग्रेस को मिला था लाभ
साल 2019 में मतदान में लगभग पांच प्रतिशत की गिरावट आई। इसका लाभ सत्तारूढ़ कांग्रेस को मिला। कांग्रेस के आठ प्रत्याशी सांसद बने। यह वह समय था जब शिअद बेअदबी कांड में बुरी तरह उलझा हुआ था और प्रदेश की कमान कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों में थी। ऐसे में कम मतदान ने राजनीतिक पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है।क्योंकि अनुमान यह लगाया जा रहा था कि चार पार्टियों के बीच मुकाबला होने की वजह से मतदान का औसत बढ़ सकता है। कम मतदान ने चिंता इसलिए भी बढ़ा दी हैं, क्योंकि इससे स्पष्ट है कि जीत हार का अंतर बेहद कम होने वाला है। अहम बात यह है कि कि अमृतसर और लुधियाना जैसी हाट सीटों को छोड़ दे तो बठिंडा, पटियाला, संगरूर जैसी लोकसभा सीटों पर भी कम मतदान हुआ है।ये भी पढ़ें: Punjab News: 'जो राम को लाएं हैं, हम उनको लाएंगे...', मुक्तसर में जागरण में भजन गाने पर भाजपा नेता पर FIR दर्ज
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