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Maharaja Ranjit Singh Death Anniversary: 50 साल की आयु में 18 वर्षीय नर्तकी के प्यार में दीवाने हो गए थे रणजीत सिंह, इश्क में कोड़े भी पड़े, ऐसे रचाई थी शादी

Ranjeet Singh Death Anniversary महाराजा रणजीत सिंह का जन्म गुजरांवाला में हुआ था। यह इलाका अब पाकिस्तान में चला गया। महाराजा रणजीत सिंह ने पंजाब पर कई सालों तक राज किया। उनकी दहाड़ से दुश्मन थर्रा जाते थे। उनकी प्रेम कहानी भी बहुत दिलचस्प है। वे शिख धर्म के होकर मुस्लिम नर्तकी के साथ शादी की थी। यह प्रेम कहानी काफी चर्चा में थी।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 27 Jun 2024 12:19 PM (IST)
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Ranjeet Singh Death Anniversary: जानिए महाराजा रणजीत सिंह की दिलचस्प प्रेम कहानी।
सुशील कुमार, चंडीगढ़। Maharaja Ranjeet Singh Death Anniversary, Maharaja Ranjit Singh: शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की आज पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने बहुत ही कम आयु में अपने हाथों में तलवार थाम ली। उन्होंने अपने समय में कई युद्ध किए।

वे खालसा साम्राज्य के पहले महाराजा थे। शेर-ए-पंजाब की प्रेम कहानी भी बहुत दिलचस्प है। वे 18 वर्षीय मुस्लिम नर्तकी के प्रेम में इस तरह डूबे कि कुछ भी करने को तैयार हो गए। उन्होंने कोड़े तक भी खाये। उन्होंने प्यार की हर कसौटी को पार कर अमृतसर की मुस्लिम नर्तकी गुल बहार के साथ शादी भी की।

पहली मुलाकात में दिल हार बैठे रणजीत सिंह

बता दें कि गुल बहार ने रोपड़ में ब्रिटिश गवर्नर जनरल के साथ मुलाकात के समय महाराजा के अंग्रेजी मेहमानों के सामने नृत्य पेश किया था। गुल बहार की आवाज, सुंदरता और नृत्य से रणजीत सिंह घायल हो गए और पहली ही मुलाकात में दिल हार बैठे। उस वक्त गुल बहरा की उम्र 18 साल थी वहीं, महाराजा की आयु 50 साल से अधिक थी।

महाराजा के सामने क्या थी शर्त

महाराजा रणजीत सिंह गुल बहार के प्यार में दीवाने हो गए थे। वे गुल बहार को प्रेमिका बनाना चाहते थे। लेकिन गुल बहार ने साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर रणजीत सिंह चाहें तो हम शादी कर सकते हैं। महाराजा तुरंत तैयार हो गए। इश्क में इस तरह डूब गए कि वे शादी के लिए कोड़े खाने को तैयार हो गए थे।

कई इतिहासकारों ने अपनी किताब में इस प्रेम कहानी का जिक्र किया है। गुल बहार के कहने पर जब महाराजा रणजीत सिंह उनके घरवालों से उनका हाथ मांगा तो उनके सामने बड़ी शर्त रख दी गई थी। घरवालों ने कहा कि महाराजा को पैदल चलकर लाहौर से अमृतसर जाना होगा।

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अकाल तख्त में हंगामा, जताई नाराजगी

महाराजा रणजीत सिंह की प्रेम कहानी से अकाल तख्त में हंगामा मच गया था। वे सिख धर्म के थे और गुल बहार मुस्लिम थी, दोनों की शादी आसान नहीं था। सिख धर्म के कई लोगों ने इसको लेकर नाराजगी जताई। महाराजा को तुरंत अकाल तख्त में पेश होने का हुकुम दिया गया।

इतिहासकार इकबाल कैसर के मुताबिक, अकाल तख्त ने महाराजा रणजीत सिंह को कोड़े मारने की सजा दी। उन्होंने इस सजा को स्वीकार कर लिया। अब उन्हें कोड़े मारेगा कौन, इसके लिए बीच का रास्ता निकाला गया। रेशम का कोड़ा तैयार किया गया। इससे कोड़े भी लग गए और अकाल तख्त का आदेश भी पूरा हो गया साथ ही उन्होंने गुल बहार को भी नहीं छोड़ा।

धूमधाम से हुई शादी

महाराजा रणजीत सिंह ने 27 सितंबर 1832 को गुल बहार के साथ शादी की। अदालत के डायरीकार सोहन लाल सन लिखते हैं कि महाराजा ने भगवा वस्त्र पहने, खुद को आभूषणों और गहनों से सजाया। गुल बहार ने पीले वस्त्र पहने हुए थे, हाथों और पैरों में मेंहदी रची हुई थी। एक कुर्सी पर महाराजा बैठे, दूसरी कुर्सी पर गुल बेगम को बैठाया। वह महाराजा के साथ एक ही हाथी पर सवार हुईं, बिना घूंघट के आंगन में बैठीं और महाराजा पर अन्य पत्नियों के प्रभाव को कम कर दिया।

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