कांग्रेस और AAP के बीच सीट बंटवारे में हैं कई पेंच, गठबंधन में लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं पंजाब Congress
I.N.D.I.A के घटक दल कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन में कई पेंच फंसे हुए है। कांग्रेस की पंजाब इकाई इस गठबंधन में लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। हालांकि पंजाब इकाई को भी पता हैं कि अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान ने ही करना है। हाईकमान ने पहले भी पंजाब इकाई की इच्छा के विपरीत राज्यसभा में दिल्ली में तबादला-पोस्टिंग के बिल का विरोध किया था।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Fri, 08 Sep 2023 10:29 PM (IST)
चंडीगढ़, कैलाश नाथ। इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के घटक दल कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) के बीच गठबंधन में कई पेंच फंसे हुए है। कांग्रेस की पंजाब इकाई इस गठबंधन में लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। हालांकि पंजाब इकाई को भी पता हैं कि अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान ने ही करना है। हाईकमान ने पहले भी पंजाब इकाई की इच्छा के विपरीत राज्यसभा में दिल्ली में तबादला-पोस्टिंग के बिल का विरोध किया था।
कांग्रेस के कई विधायकों पर भ्रष्टाचार के मामले
पंजाब इकाई के विपरीत अगर कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर को देखते हुए आप के साथ समझौता करती है तो भी इसमें कई पेंच फंस सकते है। कांग्रेस और आप में समझौता होता है तो न सिर्फ कई धारणाएं टूट जाएंगी बल्कि कई नई धारणाएं बनेंगी। सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने कांग्रेस के एक दर्जन से ज्यादा पूर्व मंत्रियों व विधायकों पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए। इसमें से कांग्रेस के तीन मंत्रियों व तीन चार विधायकों को जेल भी जाना पड़ा।
एसे में यह धारणा टूट जाएगी कि सरकार के कदम भ्रष्टाचार को मिटाने की तरफ बढ़े। बल्कि यह धारणा बन जाएगी कि आप कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहती थी। इसके अतिरिक्त सीटों के बंटवारे में अगर दोनों पार्टियां 2019 के लोक सभा चुनाव का माॅडल उठाती है तो सत्तारूढ़ आप को नुकसान होगा। क्योंकि 2019 में कांग्रेस के 8 सांसद चुनाव जीत कर आए थे। जबकि आप का एक ही सांसद (भगवंत मान) को जीत मिली थी।
9 से 10 सीटों का नुकसान हो सकता है
उस समय विधान सभा में कांग्रेस के 77 विधायक थे। जबकि अगर 2022 के विधान सभा के परिणामों पर सीट शेयरिंग का फार्मूला तय किया गया तो कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि आप के पास 92 विधायक है। जबकि कांग्रेस के पास मात्र 18 ही हैं। ऐसे में कांग्रेस को 13 लोकसभा सीटों में से 9 से 10 सीटों का नुकसान हो सकता है।
वहीं, अगर एक-एक सीट पर समझौते का फार्मूला तय होता है तो आप को नुकसान हो सकता है। क्योंकि पटियाला सीट को छोड़ दिया जाए (जहां परनीत कौर सांसद हैं, कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निलंबित किया हुआ है)। तो भी कांग्रेस के 6 सांसद है (जालंधर सीट आप ने कांग्रेस से छीन ली थी)। वहीं, जालंधर, अमृतसर, लुधियाना और बठिंडा ऐसी लोक सभा सीटें हैं, जहां पर पेंच फंसना तय है।
क्योंकि जालंधर दलित राजनीति का धुरा है। यहां पर वर्तमान में आप के सांसद सुशील रिंकू (जो पहले कांग्रेस के विधायक रहे थे) है। लुधियाना पंजाब का आर्थिक रूप से मजबूत सीट है। जबकि बठिंडा से शिरोमणि अकाली दल की राजनीति चलती रही है और अमृतसर पंथक राजनीति का गढ़ है। ऐसे में दोनों पार्टियों में सीटों को लेकर कई पेंच फंस सकते है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।