Punjab Politics: पंजाब में SAD के साथ BSP का गठबंधन रहेगा कायम, सुखबीर बादल और मायावती के बीच बनी ये रणनीति; BJP ने बनाई दूरी
पंजाब में शिअद और बसपा का गठबंधन कायम रहेगा। खबीर बादल और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के बीच शुक्रवार को दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद यह तय हो गया है। हालांकि अभी कुछ दिन पहले ही बसपा के प्रांतीय प्रधान जसबीर सिंह गढ़ी ने कहा था कि अकाली दल के साथ समझौता अब मात्र थ्योरेटिकल रह गया है इसमें प्रेक्टिकल जैसा कुछ नहीं है।
इन्द्रप्रीत सिंह , चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के बीच शुक्रवार को दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद यह लगभग तय हो गया है कि लोकसभा चुनाव में शिअद और बसपा का समझौता कायम रहेगा। हालांकि अभी कुछ दिन पहले ही बसपा के प्रांतीय प्रधान जसबीर सिंह गढ़ी ने कहा था कि अकाली दल के साथ समझौता अब मात्र थ्योरेटिकल रह गया है, इसमें प्रेक्टिकल जैसा कुछ नहीं है।
सीटें हुई तय
लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और दोनों पार्टियों में कोई तालमेल के लिए मीटिंग नहीं हुई है और न ही यह पता चला है कि किस पार्टी ने कौन सी सीट लड़नी है। उन्होंने बसपा की ओर से सभी 13 सीटें लड़ने की घोषणा भी कर दी थी लेकिन अब उसके कुछ ही दिन बाद सुखबीर बादल की मायावती के साथ हुई दो मुलाकातों के बाद जसबीर सिंह गढ़ी कहते नजर आ रहे हैं कि शिरोमणि अकाली दल के साथ उनका पक्का समझौता है। उन्होंने कहा कि काडर कैंप के माध्यम से बसपा काडर पूरे पंजाब में बूथ कमेटियां बनाएगा और गठबंधन के सभी उम्मीदवारों की जीत के लिए काम करेगा।
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शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच समझौता कैंसिल
यह घटनाक्रम इसलिए महत्वपूर्ण है कि पिछले दिनों ही अभी बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन के अवसर पर उनके आइएनडीआइए में शामिल होने की चर्चा के बीच साफ कर दिया था कि पार्टी देश में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि बाद में पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी ने कहा कि पंजाब में उनका शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ गठबंधन कायम रहेगा। मायावती के साथ सुखबीर बादल की दो मुलाकातों से अब यह भी स्पष्ट हो गया है कि लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच कोई समझौता नहीं हो रहा है।
भाजपा ने झाड़ा पल्ला
भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर शिअद की बात आगे नहीं बढ़ पाई है। शिअद , जो पिछले कई महीनों से बसपा से दूरी बनाकर रखे हुए था और उसे लग रहा था कि राष्ट्रीय स्तर पर आईएनडीआईए में पार्टियों के एकजुट होने के बाद भाजपा पार्टी की ओर से फिर से हाथ मिलाने को आगे आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
तीन कृषि कानूनों को लेकर अढ़ाई दशक पुराने इस गठबंधन के टूटने के बाद दोनों पार्टियों के हाथ कुछ खास नहीं लग रहा है। अब जबकि 2024 में एनडीए और आईएनडीआईए के लिए एक -एक सीट कीमती है ऐसे में शिरोमणि अकाली दल, बहुजन समाज पार्टी , उड़ीसा में नवीन पटनायक का बीजू जनता दल आदि पार्टियों का रुख अभी साफ नहीं है कि उन्हें एनडीए और आईएनडीआईए में किसकी ओर जाना है।