'दिल्ली पैटर्न पर नहीं मिल सकती राहत', सांसद मनीष तिवारी ने हाउसिंग बोर्ड पर लोकसभा में पूछे सवाल; तो मिला ये जवाब
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (Chandigarh Housing Board) के मकानों में किए गए बदलाव और वित्तीय संकट को लेकर सांसद मनीष तिवारी (Manish Tiwari) ने लोकसभा में गृह मंत्रालय से सवाल किया है। जिसको लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद ने जवाब दिए हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि हाउसिंग बोर्ड के द्वारा कुछ बदलावों को मंजूर किया गया है लेकिन प्रशासन दिल्ली पैटर्न पर राहत नहीं दे सकती है।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों में किए गए जरूरत के अनुसार बदलाव और सीएचबी के प्रोजेक्ट्स के अलावा वित्तीय संकट पर सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में गृह मंत्रालय से सवाल पूछे। जिसका जवाब केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद ने दिए।
नीड बेस्ड चेंज पर गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा चंडीगढ़ बिल्डिंग नियम, 2017 के तहत समय-समय पर कुछ बदलावों की सिफारिशों को मंजूर किया है।
लेकिन प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि दिल्ली पैटर्न पर वन टाइम राहत नहीं दी जा सकती क्योंकि चंडीगढ़ अद्वितीय वास्तुशिल्प चरित्र वाला एक योजनाबद्ध शहर है और भूकंप के प्रति उच्च संवेदनशीलता है क्योंकि यह भूकंपीय क्षेत्र-IV में आता है और इस तरह के अवैध निर्माण को नियमित करने से मानव जीवन और सार्वजनिक संपत्ति के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
शहर में 68 हजार हाउसिंग बोर्ड के मकान
मालूम हो कि इस समय हाउसिंग बोर्ड के मकानों का सबसे बड़ा मुद्दा भी यह है कि यहां पर रहने वाले लोग सभी तरह के बदलाव को एक मुश्त नियमित करवाना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव में भी सभी राजनीतिक दलों ने लोगों से यह वायदा किया था। शहर में 68 हजार हाउसिंग बोर्ड के मकान है।
तिवारी ने सांसद बनने के बाद सबसे पहले गृह मंत्रालय से इस संबंध में सवाल पूछा है। उनकी तरफ से विभाग के वित्तीय हालात पर पूछे गए सवाल पर केंद्रीय राज्य मंत्री ने जवाब दिया है कि सीएचबी कोई भी वित्तीय संकट की समस्या से जूझ नहीं रहा है।
हाउसिंग बोर्ड को किसी भी तरह की केंद्र सरकार से कोई ग्रांट और बजट नहीं मिलता है। सीएचबी अपना राजस्व खुद अपने आय के स्रोत से पैदा करता है। गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए सवालों के जवाब में पिछले पांच साल में हुई 13 हाउसिंग बोर्ड की बैठकों की भी जानकारी दी गई है।
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चार में से तीन प्रोजेक्ट्स किए होल्ड
इसके साथ ही यह जानकारी भी दी गई है कि हाउसिंग बोर्ड के कुल पास हुए चार प्रोजेक्ट है। जिनमें से एक प्रोजेक्ट का काम पूरा हो चुका है जबकि तीन प्रोजेक्ट प्रशासनिक कारणों के कारण होल्ड कर दिए गए हैं। मालूम हो कि पिछले साल ही प्रशासन ने सेक्टर-53 में लांच होने वाली हाउसिंग स्कीम को खारिज कर दिया था।
इससे पहले आईटी पार्क में बनने वाले प्रोजेक्ट को भी स्थगित कर दिया था। इस समय प्रशासन ने अपनी तरफ से 3930 कर्मचारियों की हाउसिंग इंप्लाइज स्कीम को भी खत्म कर दिया था लेकिन कर्मचारियों ने 16 साल संघर्ष करने के बाद पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट से प्रशासन से लड़ाई जीती।
लेकिन अब प्रशासन हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहा है। सांसद मनीष तिवारी के अनुसार हाउसिंग बोर्ड के मकान में रहने वाले लोगों को राहत देने के लिए वन टाइम नीति क्यों नहीं लाई जा सकती।
देश के छह राज्य पहले ही अपने यहां पर हाउसिंग बोर्ड के मकानों में हुए बदलाव को नियमित करने के लिए नीति ला चुके हैं तो चंडीगढ़ में इस तरह से वन टाइम पॉलिसी क्यों नहीं बन सकती। चंडीगढ़ में भी लोगों को राहत मिल सकती है लेकिन अफसरशाही इसके लिए तैयार नहीं है। गृह मंत्रालय ने जो राहत देने से इंकार किया है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। राहत न देने से 95 फीसद हाउसिंग बोर्ड के मकानों में प्रशासन वायलेशन मानता है।
निर्मल दत्त, चेयरमैन, सीएचबी फेडरेशन
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