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पंजाब में बिना परिसीमन के होंगे नगर निकाय चुनाव, हाईकोर्ट ने दिए निर्देश; सरकार के पास केवल 15 दिन की मोहलत

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार (Punjab News) को निर्देश दिया है कि वह उन सभी नगर पालिकाओं और नगर निगमों में चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित करके चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करे जहां लंबे समय से चुनाव होने हैं। हाईकोर्ट ने राज्य को नए सिरे से परिसीमन किए बिना चुनाव कराने के लिए 15 दिन की समय सीमा तय की है।

By Inderpreet Singh Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Sat, 19 Oct 2024 07:04 PM (IST)
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पंजाब में बिना परिसीमन के नगर निकाय चुनाव कराने के हाईकोर्ट ने दिए निर्देश। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वह उन सभी नगर पालिकाओं और नगर निगमों में चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित करके चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करे, जहां लंबे समय से चुनाव होने हैं।

शनिवार को जारी अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने राज्य को नए सिरे से परिसीमन किए बिना चुनाव कराने के लिए 15 दिन की समय सीमा तय की है। इसके साथ ही, राज्य में फगवाड़ा, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, लुधियाना के नगर निगमों और 42 नगर परिषद-नगर पंचायतों के चुनाव होंगे, जहां चुनाव पांच साल की अवधि समाप्त होने के बाद होने थे। 

हाईकोर्ट ने नए सिरे से परिसीमन कराने के नहीं दिए आदेश 

हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इस न्यायालय को पंजाब राज्य चुनाव आयोग और पंजाब राज्य को निर्देश देने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वे संवैधानिक आदेश का पालन करें और इस आदेश की तिथि से 15 दिनों के भीतर सभी नगर पालिकाओं और नगर निगमों में चुनाव कार्यक्रमों को अधिसूचित करके चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करें, बिना नए सिरे से परिसीमन की प्रक्रिया शुरू किए।

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मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायाधीश अनिल खेत्रपाल की खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए, जिसमें  मुद्दा यह था कि 'क्या वार्डों के परिसीमन की लंबित प्रक्रिया के कारण नगर पालिकाओं/नगर परिषदों/नगर निगमों/नगर पंचायतों के चुनाव कराने में देरी करना जायज है'। 

बिना परिसीमन चुनाव कराने के दिए आदेश 

पीठ के समक्ष दलील देते हुए पंजाब के महाधिवक्ता (एजी) ने कहा कि विभाग को डोर-टू-डोर सर्वेक्षण करने, रफ मैप तैयार करने और उस पर परिसीमन करने के लिए प्रत्येक नगर पालिका के लिए परिसीमन बोर्ड गठित करना आवश्यक है।  कहा गया कि 47 में से 44 नगर पालिकाओं के लिए परिसीमन बोर्ड गठित किए जा चुके हैं और तीन नगर पालिकाओं, यानी नगर निगम, जालंधर, नगर परिषद, तलवाड़ा और नगर पंचायत भादसो के गठन की प्रक्रिया बहुत जल्द जारी की जाएगी।

'कार्यकाल खत्म होने की वजह से ठप पड़े विकास कार्य'

एजी ने यह भी कहा कि वार्डों के परिसीमन की पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कुल सोलह सप्ताह की अवधि की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी दलील दी कि  परिसीमन करने का पिछला फैसला 17 अक्टूबर 2023 को रद्द कर दिया गया था, इसलिए वार्डों का नए सिरे से परिसीमन करना आवश्यक है। हालांकि, दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य को परिसीमन प्रक्रिया आयोजित किए बिना चुनाव कराने का आदेश दिया है।

इस मामले में मलेरकोटला निवासी बेअंत सिंह ने दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब की 42 म्युनिसिपल काउंसिल का कार्यकाल कई महीनों पहले खत्म हो चुका है। कई का तो कार्यकाल खत्म हुए दो साल से ही ज्यादा का समय हो चुका है, जिसके कारण यहां के सभी विकास कार्य रुके पड़े हैं।

याचिका के अनुसार राज्य की अधिकतर म्युनिसिपल काउंसिल का कार्यकाल दिसम्बर 2022 में खत्म चुका है। लेकिन अभी तक चुनाव नहीं कराए गए।

2023 में चुनाव करवाने के लिए जारी हुई थी अधिसूचना

कोर्ट को बताया गया कि एक अगस्त 2023 को स्थानीय निकाय विभाग ने म्यूनिसिपल काउंसिल के चुनाव करवाने के लिए अधिसूचना जारी की थी, जो एक नवम्बर 2023 को आयोजित करने थे। लेकिन आज तक चुनाव नहीं करवाए गए।

याचिका के अनुसार उसने सरकार को यह चुनाव करवाने के लिए पांच जुलाई को एक कानूनी नोटिस भेजा था लेकिन सरकार की तरफ से उसे अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। इसलिए अब उसे मजबूरी में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार को चुनाव करवाने के निर्देश देने की मांग की है।

अवधि खत्म होने से पहले ही हो जाना चाहिए म्युनिसिपल काउंसिल

संविधान के अनुसार म्युनिसिपल काउंसिल के चुनाव उसकी अवधि खत्म होने से पहले करने जरूरी होते है लेकिन सरकार ने अभी तक इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। एक अन्य याचिका में कोर्ट को यह भी बताया गया कि कि अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और फगवाड़ा नगर निगम के चुनाव भी सरकार ने नहीं कराया है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि ये चुनाव जनवरी 2023 में नगर निगमों का कार्यकाल पूरा होने से पहले आयोजित किए जाने की आवश्यकता थी, क्योंकि यह अनिवार्य है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 249-यू के साथ-साथ पंजाब नगर निगम की धारा सात के तहत भी ऐसा करना जरूरी है।

इन चुनावों का संचालन न करके, राज्य ने मतदाताओं को लगभग एक वर्ष के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुनने के उनके मूल्यवान लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित कर दिया है।

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