Navjot Sidhu Resigns: नवजोत सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, नाराजगी के छह कारण
Navjot Singh Sidhu Resigns नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। सिद्धू ने यह जानकारी खुद ट्वीट कर दी है। हालांकि सिद्धू कैप्टन को हिलाने में कामयाब हो गए लेकिन सीएम न बनाए जाने से नाराज थे।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 28 Sep 2021 07:41 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Navjot Singh Sidhu Resigns: कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में बड़ी खबर है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सिद्धू ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा है कि वह कंप्रोमाइज नहीं कर सकते हैं, इसलिए वह पार्टी के प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा दे रहे हैं। इस बीच एएनआइ के अनुसार कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। शीर्ष नेतृत्व ने राज्य नेतृत्व से पहले अपने स्तर पर मामले को सुलझाने को कहा है।
सिद्धू ने तीन माह पहले ही पंजाब में पार्टी की कमान संभाली थी। सिद्धू से पहले सुनील जाखड़ प्रदेश प्रधान थे। बताया जाता है कि प्रियंका गांधी सिद्धू को मनाने का प्रयास करेंगी। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का भी कहना है कि वह सिद्धू के साथ बैठ कर बात करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर मेरे से कोई नाराजगी होगी तो वह सेटल हो जाएगा। इस बीच, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ''मैंने पहले ही कहा था कि सिद्धू स्थिर आदमी नहीं हैं। वह सीमावर्ती राज्य के लिए फिट नहीं हैं।''नवजोत सिंह सिद्धू अभी अपने नजदीकी लोगों के साथ पटियाला स्थित आवास पर आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। मंत्री पद न मिलने से नाराज चल रहे कुलजीत सिंह नागरा भी सिद्धू के पटियाला आवास पर पहुंचे हैं।बताया जा रहा है कि सिद्धू पंजाब के एडवोकेट जनरल के पद पर एपीएस देयोल की नियुक्ति से नाराज थे। देयोल बेअदबी मामलों में सरकार के खिलाफ केस लड़ चुके हैं। इसके अलावा वह कैप्टन अमरिंदर सिंह व पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी का केस भी लड़ चुके हैं। सिद्धू नहीं चाहते थे कि देयोल को एजी का पद दिया जाए।
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 28, 2021
नवजोत सिंह सिद्धू लंबे समय से कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने के लिए आतुर थे। अंत में वह पार्टी के भीतर कैप्टन के खिलाफ माहौल तैयार करने में कामयाब हो गए। कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। नवजोत सिंह सिद्धू को उम्मीद थी कि हाईकमान कैप्टन के विकल्प के रूप उन्हें सीएम के तौर पर पेश करेगी, लेकिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पहले नंबर सुनील जाखड़ रहे। सुनील जाखड़ को सीएम बनाने के पक्ष में 40 विधायक थे, जबकि रंधावा को सीएम बनाने के पक्ष में 20 विधायक थे। सिद्धू को मात्र 12 विधायकों का ही समर्थन मिला। पार्टी ने काफी जिद्दोजहद के बाद सीएम के रूप में चौथे चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मोहर लगा दी। चन्नी ने अब सीएम पद की कमान संभाल ली है। वह अपने मंत्रिमंडल का गठन भी कर चुके हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को उम्मीद थी कि पार्टी हाईकमान उन्हें अगले सीएम के रूप में पेश करेगा। इस संबंध में पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने भी पहले कहा था कि सिद्धू अगले चुनाव में सीएम पद का चेहरा होंगे। हालांकि, बाद में रावत भी अपने बयान से पलट गए।
चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद 21 सितंबर को सिद्धू ने कहा था चन्नी भाई जिस प्रकार से काम कर रहे हैं। उससे पता चलता है कि कोई मुख्यमंत्री कर काम कर रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। चन्नी ने उस दिन कहा था कि आज कैबिनेट बैठक होगी। जिसके बाद मुख्यमंत्री कुछ बड़ी घोषणा करेंगे। सिद्धू इस बात को लेकर भी नाराज थे कि माइनिंग को लेकर कोई काम नहीं हुआ।
सिद्धू की नाराजगी के छह कारण1. राणा गुरजीत सिंह को नवजोत सिंह सिद्धू के विरोध के बावजूद मंत्री बनाना2. सुखजिंदर रंधावा को गृह विभाग देना3. एपीएस देयोल को एडवोकेट जनरल4. कुलजीत नागरा को मंत्रिमंडल में शामिल न करना5. मंत्रिमंडल के गठन ओर मंत्रियों के पोर्टफोलियो बंटवारे में सिद्धू की राय न लिए जाना6. सीएम न बनाए जाने से नाराजगी
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