Move to Jagran APP

बात पते की: Navjot Singh Sidhu का कहने में क्या जाता है, तालियां तो बज गई, पढ़ें पंजाब की और भी रोचक खबरें

पंजाब कांग्रेस की कमान संभालने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू खूब सक्रियता दिखा रहे हैं। वह कमेंट भी खूब कर रहे हैं लेकिन उनका कहने में क्या जाता है। आइए पंजाब के साप्ताहिक कालम बात पते की में कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sat, 07 Aug 2021 03:31 PM (IST)
Hero Image
नवजोत सिंह सिद्धू की फाइल फोटो ।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। नवजोत सिंह सिद्धू ने घोषणा की है कि विधानसभा का सत्र बुलाकर कृषि सुधार कानून व बिजली समझौते रद किए जाएंगे। मोगा में जब सिद्धू ने यह घोषणा की तब लोगों ने खूब तालियां बजाईं। सिद्धू ने वही बोला जो लोग सुनना चाहते थे, जबकि सिद्धू को भी पता है कि हकीकत इसके विपरीत है। सिद्धू प्रदेश कांग्रेस के प्रधान हैं और कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री हैं। वैसे भी समझौते रद करना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं है। जहां तक कृषि सुधार कानूनों की बात है वो तो केंद्रीय कानून है। केंद्र सरकार के कानून को राज्य सरकार कैसे रद कर सकती है। कमोवेश बिजली समझौते की स्थिति भी ऐसी ही है। पूरा समझौता रद किया जाए तो सरकार कि छवि खराब होती है। बात पते की यह है कि भले ही हकीकत कुछ भी हो, लेकिन कहने में क्या जाता है। तालियां तो बज ही गई।

क्रेडिट लेना ही कला है

भले ही आप कुछ करें या न करें, लेकिन अगर आपको क्रेडिट लेने की कला आती है तो सब ठीक है। टोक्यो ओलिंपिक गेम्स में भारत भले ही पदक तालिका में 65वें स्थान पर है, लेकिन जो पांच मेडल आए भी हैं, उसमें ही क्रेडिट और क्षेत्रवाद चल रहा है। भारतीय पुरुष हाकी टीम ने ओलिंपिक के सेमीफाइनल में प्रवेश किया तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाकी टीम में शामिल पंजाब के खिलाड़ियों के नाम को लेकर ट्वीट कर दिया। लोगों ने इस मंच पर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की बैंड बजाकर रख दी। भले ही लोगों ने कैप्टन को क्षेत्रवाद से ऊपर उठने की सलाह दे डाली, लेकिन बात पते की यह है कि हम राज्य, जिला और मोहल्लों में बंटते जा रहे हैं। अब जब हम ही बंटे हुए है तो खेल और खिलाड़ियों को बांटने में क्या लगता है। अपनी ढपली ही तो बजानी है।

लग गई फ्री की मंडी

पंजाब में फ्री की मंडी लग गई है। यह इस बात के संकेत हैं कि विधानसभा के चुनाव आ गए हैं। चुनाव हैं इसलिए राजनीतिक पार्टियों ने फ्री की मंडी लगाकर वोट को खरीदने के लिए अपने 'वादों' को सजाना शुरू कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 300 यूनिट फ्री बिजली की घोषणा की तो शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल 400 यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा कर डाली। 100 यूनिट फ्री बिजली देने पर राज्य को प्रत्येक माह 400 करोड़ रुपये का बोझ उठाना पड़ता है। अकाली दल अपना वादा पूरा करता है तो 1600 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा, जबकि राज्य की अपनी आमदनी मात्र 37433 करोड़ रुपये है। बात पते की यह है कि फ्री बिजली कैसे दी जाएगी इसका मास्टर प्लान केवल उन्हीं राजनीतिक पार्टियों के पास है जो वादे कर रही हैं। बाकी तो इस बारे में सोचते रह जाएंगे।

लग गया पांच लाख का फटका

कई बार किसी के साथ जाना भी भारी पड़ जाता है। दाखा में एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने आत्महत्या कर ली। यह बात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू तक पहुंची। सिद्धू जालंधर से निकल रहे थे। चूंकि सिद्धू ने कांग्रेस की कमान पिछले माह ही संभाली है। अत: वे जल्द कांग्रेस कार्यकर्ताओं में घुलना-मिलना चाहते हैं। सिद्धू ने लुधियाना में एक कैबिनेट मंत्री को फोन किया कि वह उनके पास आ रहे हैं और आत्महत्या करने वाले कार्यकर्ता के घर जाना है। सिद्धू ने कार्यकर्ता के घर जाकर 10 लाख की आर्थिक मदद करने की घोषणा कर दी। चारों तरफ वाह-वाह हो गई। दुख व्यक्त करके सिद्धू और मंत्री वापस अपनी गाड़ी में बैठकर वापस निकल लिए। रास्ते में सिद्धू ने मंत्री से कहा, 10 लाख की घोषणा की है। पांच लाख मैं पा दूंगा, पांच तुसीं पा दिओ। मंत्री सोचने लगे, यह तो साथ आने की सजा हुई।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।