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पंजाब कांग्रेस में नए समीकरण, दो 'सियासी दुश्‍मन' बाजवा व अमरिंदर में 'दोस्‍ती' का क्‍या है माजरा

Punjab Congress पंजाब कांग्रेस में नए समीकरण बन रहे हैं। पंजाब की सियासत में एक दूसरे के कट्टर दुश्‍मन रहे सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के राज्‍यसभा सदस्‍य प्रताप सिंह बाजवा में नई दोस्‍ती नजर आ रही है। पूरे मामले में चर्चाओं का बाजार गर्म हो रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Mon, 10 May 2021 06:52 PM (IST)
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पंजाब के कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा और सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। Punjab Congress: पंजाब कांग्रेस में नए समीकरण सामने आ रहे हैं। पंंजाब की सियासत में बरसों से 'कट्टर दुश्‍मन' रहे दो दिग्‍गज नेताओं के बीच 'दोस्‍ती' ने सियासी जानकारों को अचंभे में डाल दिया है। यह आकलन शुरू हो गया है कि इस नई 'दोस्‍ती' का माजरा क्या है। हम बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा की। दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं है, लेकिन इन दिनों इसमें खासा बदलाव नजर आ रहा है। प्रताप सिंह बाजवा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जो सुझाव दे रहे हैं, कैप्टन अमरिंदर सिंह अगले ही दिन उस पर अमल करते हुए आदेश जारी कर देते हैं। इसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो रहा है।

प्रताप सिंह बाजवा के सुझाव पर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह जारी कर रहे हैं अगले दिन आदेश

कोटकपूरा गोलीकांड की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) को 9 अप्रैल को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया और अपने आदेश में इसके प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह के बारे में सख्त टिप्पणियां कीं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने नई एसआइटी में कुंवर विजय प्रताप सिंह को शामिल न करने को कहा।

एक महीने तक नई एसआइटी का गठन नहीं हुआ तो प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर इसके लिए सुझाव दिया। एक महीने से शांत बैठे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसके बाद तुरंत आदेश जारी करके नई एसआइटी का गठन कर दिया। साथ ही जो आदेश जारी किए गए उन सभी बातों का ध्यान रखने को कहा गया जो अदालत के आदेश में कहा गया था। इसमें एक निर्देश यह था कि इस जांच को छह महीने के अंदर पूरा किया जाए।

इसके बाद प्रताप सिंह बाजवा ने बीते शनिवार को मुख्यमंत्री को एक और पत्र लिखा और इसमें उन्होंने दो सुझाव दिए। पहला यह कि जांच पूरी करने के लिए छह महीने का समय तो अधिकतम है, लेकिन एसआइटी को एक महीने के अंदर-अंदर जांच पूरी करने को कहा जाए। बाजवा ने दूसरा सुझाव दिया कि नई एसआइटी में जिन तीन पुलिस अफसरों को नियुक्‍त किया गया है वे तीनों अलग-अलग जगहों पर तैनात हैं ऐसे में जांच जल्दी कैसे होगी। अतएव, तीनों को एक ही जगह पर तैनात किया जाए।

इसके बाद मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने अगले ही दिन एक आदेश जारी करके कहा है कि एसआइटी अपनी जांच पहले भी पूरी कर सकती है और वह छह महीने का इंतजार न करे। हालांकि दूसरे सुझाव पर अभी अमल नहीं किया गया है, लेकिन लगता है कि तीनों अफसरों को फरीदकोट में लगाने संबंधी आदेश भी किसी भी वक्त आ सकते हैं।

बाजवा पहले भी मुख्यमंत्री को सुझाव देते हुए पत्र लिखते रहे हैं लेकिन तब तो कैप्‍टन अमरिंदर सिंह जवाब तक नहीं देते थे। लेकिन, अब अचानक हालात बदल गए हैं। इस बारे में बाजवा ने कहा कि वह विरोध के लिए विरोध नहीं करते बल्कि सरकार की कंस्ट्रक्टिव (सकारात्‍मक) आलोचना करते हुए सुझाव देते हैं। अब यह सरकार पर है कि वह इन्‍हें माने या न माने।

बाजवा ने कहा, मैंने तो मुख्यमंत्री से एडवोकेट जनरल को तुरंत हटाने की भी कई बार मांग की है। नई एसआइटी के गठन के बाद इसके पीड़ित कृष्ण भगवान सिंह ने इसे खारिज कर दिया। उसने कहा कि एजी अदालत में हमारा पक्ष रखने में नाकाम रहे हैं। बाजवा ने इसको लेकर आज ट्वीट भी किए हैं। उन्होंने आज अपने ट्वीट में फिर से मांग की, कि एडवोकेट जनरल को हटाया जाए। यह पार्टी और सरकार दोनों के लिए उपयुक्त होगा । चुनाव से पहले हम श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों को सजा दिलाने का वादा करके आए हैं।

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