चंडीगढ़ की नवनियुक्त मेयर सरबजीत कौर आज संभालेंगी कुर्सी, विपक्ष को साथ लेकर चलने की चुनौती
मेयर सरबजीत राजनीति में नई हैं। ऐसे में नगर निगम को चलाने में उनके पति पूर्व डिप्टी मेयर जगतार जग्गा उनकी मदद करेंगे। निगम में इस समय भाजपा के 13 पार्षद हैं बाकी 22 पार्षद विपक्ष में हैं। ऐसे में मेयर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Mon, 10 Jan 2022 11:49 AM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। इस बार विपक्ष सतापक्ष से ज्यादा मजबूत है। इसलिए इस बार के नगर निगम में काम कम और राजनीति ज्यादा होने की संभावना है। नगर निगम पहले से ही वित्तीय संकट से गुजर रहा है। चंडीगढ़ नगर निगम हर साल एक हजार करोड़ रुपये का खर्चा करता है। नवनियुक्त सरबजीत कौर चुनाव जीतने के बाद सोमवार को अपना पद संभालेगी। मेयर सभी विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगी। मेयर सरबजीत राजनीति में नई हैं। ऐसे में नगर निगम को चलाने में उनके पति पूर्व डिप्टी मेयर जगतार जग्गा उनकी मदद करेंगे। निगम में इस समय भाजपा के 13 पार्षद हैं बाकी 22 पार्षद विपक्ष में हैं। ऐसे में पक्ष और विपक्ष को साथ लेकर चलने में नवनियुक्त मेयर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
सोमवार को कुर्सी संभालते ही मेयर की कमिश्नर आनिंदिता मित्रा के साथ भी बैठक होगी। इस साल मेयर और कमिश्नर दोनो महिलाएं हैं। सांसद भी महिला है। कांग्रेस के पार्षद भी मेयर को मिलने के लिए आएंगे। इसके साथ ही अब नगर निगम की वित्त एवं अनुबंध कमेटी का गठन होना है। अब इस कमेटी के चुनाव होने की उम्मीद है।इस कमेटी में पांच पार्षद सदस्य बनते हैं। इसके अलावा अलग अलग कमेटियों का भी गठन किया जाना है।हर बाद सदन मेयर को ही कमेटियों का गठन करने का अधिकार दे देता है जिसकी अधिसूचना प्रशासक की ओर से की जाती है लेकिन इस बार भाजपा पार्षदों की संख्या कम है इसलिए इस बार कमेटियों के गठन को लेकर भी राजनीति होगी।
हर प्रस्ताव के लिए बहुमत होना जरूरी
हर सदन की बैठक में 20 से 22 प्रस्ताव पास होने के लिए आते हैं।प्रस्ताव वहीं आते है जिसे मेयर मंजूरी देता है।लेकिन प्रस्ताव होने के लिए बहुमत होना जरूरी है।ऐसे में भाजपा को कोई भी प्रस्ताव पास करवाने के लिए विपक्ष की जरूरत है।यह जानकारी भाजपा के सीनियर नेताओं को पता है ऐसे में उनका प्रयास रहेगा कि अगले दिनों में आप और कांग्रेस से कुछ पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल करवाया जाए।35 पार्षदों में हर प्रस्ताव को पास करवाने के लिए 19 पार्षदों की जरूरत है। प्रशासन की ओर से अगले दिनों 9 मनोनीत पार्षद नियुक्त किए जाएंगे लेकिन अब उनके पास वोटिंग अधिकार नहीं है।
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