अब खुलेगा महाठग Nirmal Singh Bhangoo की मौत का राज! उठी जांच की मांग; आखिर कैसे किया था 60 हजार करोड़ का घोटाला?
पर्ल ग्रुप के एमडी निर्मल सिंह भंगू (Nirmal Singh Bhangoo) की मौत के बाद भी निवेशक अपना पैसा वापस लेने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। हालांकि अब निवेशकों को इस बात की चिंता सता रही है कि पैसा वापस मिलेगा भी या नहीं। वहीं इस घोटाले में पंजाब के निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे महिंदर पाल सिंह दानागढ़ ने भंगू की मौत की जांच के लिए मांग उठाई है।
रोहित कुमार, जागरण। पर्ल ग्रुप के एमडी निर्मल सिंह भंगू की मौत के बाद भी कंपनी में निवेश करने वाले निवेशक अपना पैसा वापस लेने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। हालांकि, जिन निवेशकों ने कंपनी में पैसा इंवेस्ट कर रखा है उन्हें अब इस बात की चिंता है कि पैसा वापस मिलेगा भी या नहीं।
60 हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले में पंजाब के निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे महिंदर पाल सिंह दानागढ़ के मुताबिक भंगू की मौत से निवेशकों को मिलने वाले पैसे पर कोई फर्क नहीं पडे़गा क्योंकि 2016 के बाद भंगू का निवेशकों के पैसे लौटाने में कोई दखल नहीं था।
पैसा केंद्र की ओर से दिया जाना है। मामले में बनाई कमेटी की ओर से अब तक 400 करोड़ वापस करने का दावा किया गया है लेकिन वह भी सही तरीके से वापस नहीं किए गए।
सीएम मान ने पैसे लौटाने का किया था वादा
निवेशकों ने पर्ल्स एग्रोटेक कार्पोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) में निवेश किया था। कंपनी के चार डायरेक्टर सुखदेव सिंह, हिरदयपाल सिंह ढिल्लों, संदीप सिंह महल, धर्मेंद्र सिंह संधू तिहाड़ जेल में बंद है। चूंकि इस घोटाले के शिकार निवेशक बड़ी संख्या संख्या में पंजाब में हैं, यह मुद्दा पंजाब में अकसर चुनावी मुद्दा भी बन जाता है।
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2022 में भी विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि अगर उसकी सरकार बनी तो पोंजी कंपनियों की संपत्ति बेच कर निवेशकों के पैसे लौटाए जाएंगे। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 29 जून 2023 को घोषणा की कि राज्य सरकार ने पर्ल समूह की पंजाब में मौजूद सारी संपत्ति को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्दी ही कानूनी कार्रवाई पूरी करके लोगों के पैसे वापस किए जाएंगे। मामले की जांच पंजाब विजिलेंस ब्यूरो और ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन की ओर से की जा रही है।
उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के पैसा रिफंड करवाने के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा के नेतृत्व में एक समिति बनाई। समिति ने समूह की सारी संपत्ति जब्त कर ली और मार्च 2016 में संपत्ति की नीलामी शुरू की। सीबीआई ने पीएसीएल कंपनी के स्वामित्व वाले 42,950 प्रॉपर्टी के कागजात समेत रोल्स रॉयस, पोर्श क्यान, बेंटले और बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज जैसी लग्जरी गाड़ियां की सूची भी सौंपी थी।
कंपनी ने आम लोगों से खेती और रियल एस्टेट जैसे कारोबार के आधार पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी ने यह निवेश 18 वर्षों के दौरान गैरकानूनी तरीके से हासिल किया था। जब लौटाने की बारी आई तो कंपनी पीछे हटने लगी। तब इस मामले में सेबी ने दखल दिया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। इस कंपनी के निवेशक लंबे समय से अपना पैसा वापस पाने का इंतजार कर रहे हैं।
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सेबी और निवेशकों ने 2003 में सुप्रीम कोर्ट में पर्ल समूह के खिलाफ मामला दायर किया था। समूह पर सामूहिक निवेश योजनाओं के जरिये करीब 5.5 करोड़ लोगों को धोखा देकर उनसे लगभग 45,000 करोड़ रुपये निवेश करवाने के आरोप लगाए गए थे।दो दशकों की जांच के बाद अब यह रकम 60,000 करोड़ तक पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में ठोस निर्देश आते-आते 10 साल बीत गए। फरवरी 2013 में अदालत के आदेश पर सीबीआई ने मामले में जांच शुरू की। 2014 में सीबीआई ने इस मामले में 76 एफआईआर दर्ज की और फिर जनवरी 2016 में भंगू समेत समूह के चार निदेशकों को गिरफ्तार किया। यह भी पढ़ें: पर्ल्स ग्रुप के मालिक महाठग निर्मल सिंह भंगू का निधन, 5 करोड़ से अधिक लोगों को ठगकर बना था अरबपतिउसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के पैसा रिफंड करवाने के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा के नेतृत्व में एक समिति बनाई। समिति ने समूह की सारी संपत्ति जब्त कर ली और मार्च 2016 में संपत्ति की नीलामी शुरू की। सीबीआई ने पीएसीएल कंपनी के स्वामित्व वाले 42,950 प्रॉपर्टी के कागजात समेत रोल्स रॉयस, पोर्श क्यान, बेंटले और बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज जैसी लग्जरी गाड़ियां की सूची भी सौंपी थी।
क्या है पीएसीएल स्कैम?
निर्मल सिंह भंगू ने 1996 में पीएसीएल नामक रियल एस्टेट कंपनी बनाई और फिर इसे निवेश स्कीम में बदल दिया। लोगों को मोटा मुनाफा देने का लालच देकर करोड़ों रुपये निवेश करवाए और देखते ही देखते करोड़ों लोगों से निवेश करवा लिया। कंपनी लोगों से बांड के रूप में पैसा लेती थी और मोटी रकम देने का वादा करती थी। यह भी पढ़ें: Nirmal Singh Bhangoo: कौन था निर्मल सिंह भंगू? अमीर बनने की भूख ने करोड़ों लोगों को कर दिया कंगालकंपनी ने आम लोगों से खेती और रियल एस्टेट जैसे कारोबार के आधार पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी ने यह निवेश 18 वर्षों के दौरान गैरकानूनी तरीके से हासिल किया था। जब लौटाने की बारी आई तो कंपनी पीछे हटने लगी। तब इस मामले में सेबी ने दखल दिया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। इस कंपनी के निवेशक लंबे समय से अपना पैसा वापस पाने का इंतजार कर रहे हैं।