ये है चंडीगढ़ का कलाग्राम, पहले कभी जहां होता था नाटक और बजते थे संगीत, अब वहां उगी झाड़ियां
एक तरफ डायरेक्टर न होने के चलते कलाग्राम में होने वाले कार्यक्रम बंद हो गए हैं तो वहीं दूसरी तरफ कलाग्राम भी जंगल के रूप में तब्दील हो रहा है। जिसकी सफाई करने वाला कोई नहीं है। 50 एकड़ में फैला कलाग्राम के अंदर जंगल और झाड़ियां उग चुकी हैं।
By Ankesh ThakurEdited By: Updated: Fri, 24 Sep 2021 12:20 PM (IST)
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। उत्तर भारत की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से नोर्थ जोन कल्चर पटियाला स्थापित किया गया। पटियाला जोन में पंजाब के अलावा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तराखंड की संस्कृति को शामिल किया गया। सभी कलाकारों को कोई परेशानी न हो इसके लिए चंडीगढ़ के सेक्टर-13 स्थित मनीमाजरा में कलाग्राम कार्यालय बनाया गया। लेकिन दुख की बात है कि चंडीगढ़ स्थित कलाग्राम में डायरेक्टर का पद से खाली पड़ा है।
पूर्व डायरेक्टर सौभाग्य वर्धन का कार्यकाल सात फरवरी 2021 को पूरा हो गया था। इसके बाद नए डायरेक्टर के लिए आवेदन मांगे गए लेकिन उन आवेदन का क्या हुआ किसी के पास कोई जानकारी नहीं है। एक तरफ डायरेक्टर न होने के चलते कलाग्राम में होने वाले कार्यक्रम बंद हो गए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कलाग्राम भी जंगल के रूप में तब्दील हो रहा है। जिसकी सफाई करने वाला कोई नहीं है। 50 एकड़ में फैला कलाग्राम के अंदर जंगल और झाड़ियां उग चुकी हैं।
डायरेक्टर नहीं, कार्यक्रमों पर भी लगी ब्रेक
कलाग्राम में स्थायी डायरेक्टर न होने के चलते शहर में होने वाले उत्तरी संस्कृति के कार्यक्रम पर पूरी तरह से रूक चुके है। जिससे स्थानीय कलाकारों के साथ दूसरे राज्यों के कलाकार भी परेशान है। कोरोना महामारी के चलते कई कार्यक्रम भारत सरकार की तरफ से आयोजित करके आनलाइन चल रहे है लेकिन स्थानीय कलाकारों की माने तो वह कार्यक्रम के लिए कैसे एंट्री करें, किससे मिले, अब आवेदन करें इसकी जानकारी देने वाला उनके पास कोई भी मौजूद नहीं है।
कलाग्राम में बनाए गए है दो मंच
कलाकारों को कला दिखाने और प्रतिभा को निखारने के लिए कलाग्राम में दो मंचों का निर्माण किया है। दोनों मंच ओपन एयर है जिसमें काेरोना काल में बेहतर तरीके से कार्यक्रम का आयोजन किया जा सकता है। एक मंच को बीते चार साल से इनडोर बनाने की प्लानिंग चल रही है लेकिन वह भी अभी ठंडे बस्ते में है। ऐसे में मंच का भी कोई उपयोग नहीं बचा है।
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