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PM Modi Oath Ceremony: पीएम शपथग्रहण समारोह में पंजाब से एक भी मंत्री नहीं होगा मौजूद, जानें आखिर क्‍या है इसकी वजह

PM Modi Oath Ceremony पीएम शपथग्रहण समारोह में पंजाब से एक भी मंत्री मौजूद नहीं रहेगा। लगभग तीन दशक बाद ऐसा पहली बार होगा जब पंजाब से एक भी मंत्री सरकार में नहीं होगा। दरअसल इन संसदीय चुनाव में पंजाब की 13 सीटों पर या तो आईएनडीआई गठबंधन के उम्मीदवार जीते हैं या फिर निर्दलीय हैं जो किसी भी गठबंधन के साथ नहीं हैं।

By Inderpreet Singh Edited By: Himani Sharma Updated: Sat, 08 Jun 2024 05:10 PM (IST)
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पीएम शपथग्रहण समारोह में पंजाब से एक भी मंत्री नहीं होगा मौजूद (फाइल फोटो)
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। PM Modi Oath Ceremony: नरेंद्र मोदी जब रविवार को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार का गठन करेंगे तो उसमें इस बार पंजाब से कोई मंत्री नहीं होगा।

लगभग तीन दशक बाद ऐसा पहली बार होगा जब पंजाब से एक भी मंत्री सरकार में नहीं होगा। दरअसल इन संसदीय चुनाव में पंजाब की 13 सीटों पर या तो आईएनडीआई गठबंधन के उम्मीदवार जीते हैं या फिर निर्दलीय हैं जो किसी भी गठबंधन के साथ नहीं हैं।

पंजाब से एक भी नहीं भाजपा का मंत्री

एक शिरोमणि अकाली दल का जीता है वह भी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। इसी तरह पंजाब से सात राज्यसभा के सदस्य भी हैं लेकिन वे सभी आम आदमी पार्टी के हैं। अब सवाल उठता है कि क्या इस बार पंजाब के हाथ खाली रहेंगे? शिअद और भाजपा के गठजोड़ के कारण हरसिमरत कौर बादल केंद्र में मंत्री बनती रही हैं।

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प्रधानमंत्री अकाली दल की सीटें कम होने के बावजूद उन्हें कैबिनेट में स्थान देते रहे हैं। इसके अलावा भाजपा भी अपने हिस्से की तीन सीटों में से दो पर जीतती रही है जिनमें से एक को राज्य मंत्री बनाया जाता रहा है। 2014 में विजय सांपला को और 2019 में सोम प्रकाश मंत्री बने थे।

भाजपा के पंजाब में रहे खाली हाथ

इस बार भाजपा के भी पंजाब से खाली हाथ ही रहे हैं। पूर्व अमेरिकी राजदूत तरणजीत सिंह संधू को विशेष रूप से अमृतसर से चुनाव लड़वाया गया। तेजा सिंह समुंद्री के पोते आईएफएस अधिकारी संधू विदेश मंत्री एस.जयशंकर के काफी करीबी रहे हैँ लेकिन वह भी चुनाव हार गए।

संभवत: वह जीतते तो पंजाब से एक बड़े मंत्री के रूप में उन्हें कैबिनेट में जगह मिलती। ऐसा नहीं है कि यह गलत अमृतसर वासियों ने पहली बार की है। इससे पहले उन्होंने इसी सीट से 2014 में अरुण जेटली को एक लाख के मतों से हराया तो दूसरी बार 2019 में हरदीप पुरी को हराया।

अकाली दल और भाजपा इस चुनाव में रहीं अलग

भाजपा ने दोनों ही नेताओं को अन्य प्रदेशों से राज्य सभा का सदस्य बनाकर उन्हें केंद्र में मंत्री ले लिया लेकिन इस बार भाजपा की सीटें घटने के कारण दूसरे दलों को प्राथमिकता देने की वजह से संभवत: तरणजीत सिंह संधू को राज्यसभा से सीट दिलाकर मंत्री न बनाया जाए। यह केवल उस स्थिति में ही होगा अगर केंद्र सरकार पंजाब को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देना चाहे।

शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी में इस बार गठबंधन नहीं था जिस कारण अकाली दल भी केवल बठिंडा सीट पर ही हरसिमरत बादल को जितवा पाया है लेकिन वह एनडीए का हिस्सा नहीं हैं इसलिए उनका मंत्री बनना मुश्किल है।

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सात सीटें कांग्रेस के हिस्से आई हैं जो लगातार तीसरी बार विपक्षी बैंचों पर ही बैठेगी। तीन सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती हैं जो आईएनडीआईए का ही हिस्सा है। दोनों पार्टियां बेशक एक ही गठबंधन की हैं लेकिन दोनों ने पंजाब में अलग अलग चुनाव लड़ा है। दो सीटों पर निर्दलीय सरबजीत सिंह खालसा और अमृतपाल सिंह जीते हैं। दोनों ही किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।

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