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OMG: खराब टोमेटो सॉस बेचने पर मिली अनोखी सजा, कोर्ट में पूरा दिन खड़े रहने का मिला दंड

अनोखी सजा इस मामले में कोर्ट ने 10 साल बाद फैसला दिया है। आरोपित को दोषी ठहराते हुए दिनभर कोर्ट में खड़ा रहने की सजा दी है। 10 साल पहले नई दिल्ली से उत्तर रेलवे के फूड सेफ्टी सेल की टीम चंडीगढ़ स्टेशन पहुंची थी। खाने में गड़बड़ी मिली थी। लैब में भेजने पर पता चला था कि ये सॉस इंसान के खाने के लिए सुरक्षित नहीं है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 15 Sep 2024 03:23 PM (IST)
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खराब टोमेटो सॉस बेचने पर मिली अनोखी सजा, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला।

रवि अटवाल, चंडीगढ़। रेलवे स्टेशन पर खराब क्वालिटी का टोमेटो सॉस बेचने वाले एक दुकानदार को जिला अदालत ने दिनभर अदालत में रहने की सजा सुनाई है। दोषी की पहचान जिला छपरा बिहार निवासी सुशील कुमार के रूप में हुई है। अदालत ने उस पर 40 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।

10 साल पहले नई दिल्ली से उत्तर रेलवे के फूड सेफ्टी सेल की टीम ने चंडीगढ़ स्टेशन का दौरा किया था। फूड सेफ्टी आफिसर को यहां खाने में गड़बड़ी मिली थी। उन्होंने वहां टोमेटो सॉस का सैंपल लिया था, जिसे जांच के लिए लैब में भेजा गया। लैब से आई रिपोर्ट में पता चला था कि ये सॉस इंसान के खाने के लिए सुरक्षित नहीं है।

साबित नहीं हो सकी कैटरर्स की लापरवाही

इसलिए उनकी शिकायत पर दुकानदार और क्लासिक कैटरर्स के खिलाफ चंडीगढ़ जिला अदालत में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत केस दायर कर दिया गया। करीब 10 साल तक केस चलने के बाद चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सचिन यादव की अदालत ने राजेश शर्मा को दोषी करार दे दिया। हालांकि क्लासिक कैटरर्स की लापरवाही साबित नहीं हो सकी।

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खुले बर्तन में सॉस डालकर बेचते हुए पकड़ा था

उत्तर रेलवे के फूड सेफ्टी आफिसर की टीम ने छह अगस्त 2014 को चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने देखा कि स्टेशन की एक दुकान पर प्लास्टिक के बर्तन में टोमेटो सॉस रखी थी, जिस पर कोई लेबल नहीं था। उन्हें कुछ शक हुआ। उन्होंने दुकानदार सुशील कुमार से बात की। उसने कहा कि ये सॉस यात्रियों को ब्रेड पकौड़े और समोसे के साथ दिया जाता है। ये सॉस आरोपित महज 25 रुपये खरीदकर लाया था।

टोमेटो सॉस में मिली कृत्रिम मिठास व सिंथेटिक रंग

जांच रिपोर्ट में सामने आया कि सॉस में घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा 1.36 प्रतिशत थी जोकि निर्धारित मानक 25 प्रतिशत से कम थी। इसके अलावा उसमें कृत्रिम मिठास और सिंथेटिक रंग भी पाया गया जोकि नियमों का उल्लंघन था। ऐसे में उसके खिलाफ रेलवे ने जिला अदालत में केस दायर कर दिया।

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