Punjab News: पंचायतों को भंग करने के मामले में CM मान पर विपक्ष का तंज, कहा- 'सरकारी वकीलों पर भरोसा नहीं?'
पंजाब में पंचायत भंग मामलों को लेकर विपक्ष ने जमकर सीएम भगवंत मान पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि सरकार के पास इतने वकील होने के बावजूद भी प्राइवेट वकील को पेश करवाकर 10 लाख फीस देने का क्या मतलब? इसका पैसा क्या सीएम मान अपनी जेब से देंगे। साथ ही उन्हें अपने सरकारी वकीलों पर भरोसा नहीं है क्या?
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Sat, 02 Sep 2023 01:38 PM (IST)
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो: पंचायतों को भंग करने के मामले में केस को अंतिम लड़ाई तक लड़ने में नाकाम रहने पर ग्रामीण विकास सहित पंजाब के आला अधिकारी भी एजी से नाराज हैं। बताया जा रहा है कि यह नाराजगी उन्होंने मुख्य सचिव अनुराग वर्मा के सामने भी व्यक्त की है।
एक सीनियर अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि सरकार को लड़ते हुए दिखना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा अदालत का फैसला हमारे खिलाफ आ जाता लेकिन जिस प्रकार से अदालत में लड़ाई लड़ने से ही पीछे हटा गया है यह सही तरीका नहीं है।
सरकार को अपने वकीलों पर भरोसा नहीं: निर्मल सिंह
काबिले गौर है कि इस केस में पूर्व एडवोकेट जनरल अशोक अग्रवाल भी पहले दिन पेश किए हुए थे । पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के ही पूर्व जज और संयुक्त अकाली दल के नेता निर्मल सिंह ने इस पर सवाल भी उठाया है। उन्होंने कहा कि जब सरकार के पास अपने एडवोकेट की इतनी बड़ी फौज है तो एक प्राइवेट वकील को पेश करवाकर 10 लाख रुपए फीस देने का क्या मतलब है। एक जूनियर वकील को भी ढ़ाई लाख रुपए की अदायगी की गई। क्या सरकार को अपने वकीलों की काबलियत पर भरोसा नहीं है।
उन्होंने बताया कि एडवोकेट जनरल दफ्तर में 140 वकील काम कर रहे हैं। जब एजी दफ्तर में रखे गए वकीलों में कोई भी अनुसूचित जाति से न रखने का मामला आया तो कहा गया कि एजी आफिस में काबलियत के आधार पर वकीलों को रखा जाता है। जस्टिस निर्मल सिंह ने पूछा कि अब उनकी काबलियत कहां गई?
कांग्रेस ने भी सीएम मान पर साधा निशानाकांग्रेस के नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी कहा कि अब एक अतिरिक्त वकील पर खर्च किया गया पैसा क्या मुख्यमंत्री अपनी जेब से देंगे। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी वाले मामले में भी हमारी सरकार के मुख्यमंत्री और मुझे जिम्मेवार ठहराया जा रहा था तो क्या अब मुख्यमंत्री भगवंत मान इस मामले में अपनी जिम्मेवारी लेंगे या अफसरों को बलि का बकरा बनाकर अपनी जिम्मेवारी से पीछे हट जाएंगे।
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