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महादान: एक बच्चे और दो युवकों के अंगदान से बदला 14 लोगों का जीवन, मिली नई जिंदगी

पीजीआइ निदेशक ने कहा आज अंगदान को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हम किसी दूसरे की जिंदगी को बचा सकें। बता दें पीजीआइ में तीन लोगों ने इस दुनिया को हमेश के लिए अलविदा करने से पहले उनके परिजनों ने अंगदान का फैसला कर 14 लोगों को नया जीवन दिया जो जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Thu, 14 Sep 2023 06:10 PM (IST)
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एक बच्चे और दो युवकों के अंगदान से बदला 14 लोगों का जीवन

विशाल पाठक, चंडीगढ़: अंगदान के जरिए पीजीआइ हर साल हजारों लोगों की जिंदगी बचा रहा है। लेकिन यह सब उन लोगों की वजह से मुमकिन हो पाता है, जो लोग अपनों को खो देने के बावजूद मानवता की सेवा में अंगदान का फैसला कर दूसरों की जिंदगी बचाने का कदम उठाते है। यह कहना है पीजीआइ निदेशक प्रो. विवेक लाल का।

आज अंगदान को बढ़ावा देने की जरूरत है

पीजीआइ निदेशक ने कहा आज अंगदान को बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि हम किसी दूसरे की जिंदगी को बचा सकें। बता दें पीजीआइ में तीन लोगों ने इस दुनिया को हमेश के लिए अलविदा करने से पहले उनके परिजनों ने अंगदान का फैसला कर 14 लोगों को नया जीवन दिया, जो जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे। इसमें हरियाणा के कैथल के आठ साल का बच्चा, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के 22 साल का युवक और पंजाब के संगरुर का 25 साल का युवक था। इन तीनों की सड़क हादसे के पीजीआइ में इलाज के दौरान मौत हो गई।

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हरियाणा के आठ साल के मासूम ने पांच लोगों दी नई जिंदगी

हरियाणा के कैथल के आठ साल के बच्चे के साथ बीते एक सितंबर को सड़क हादसा हुआ था। सड़क हादसे में गंभीर रूप से जख्मी होने के कारण उसे कैथल के एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे पीजीआइ रेफर कर दिया गया।

पीजीआइ के डाक्टरों ने मासूम को बचाने की सभी कोशिशें की। लेकिन 10 सितंबर को इलाज के दौरान पीजीआइ के डाक्टरों ने आठ साल के मासूम को ब्रेड डेड घोषित कर दिया। जिसके बाद मासूम के पिता ने इस दुख की घड़ी में भी अंगदान का फैसला किया।

आठ साल के मासूम का लिवर जयपुर के एसडीएम हास्पिटल में एक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया।जबकि बच्चे की दोनों किडनी अलग-अलग मरीजों में प्रत्यारोपित की गई। जबकि बच्चे की आंखें दो मरीजों में प्रत्यारोपित कर उनकी रौशनी लौटाई गई। इस तरह मासूम के अंगदान ने पांच लोगों को नया जीवन दिया।

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बिलासपुर के युवक का हृदय पीजीआइ में दूसरे मरीज में हुआ ट्रांसप्लांट

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले 22 साल के युवक का बीते 31 अगस्त को सड़क हादसा हुआ था। उसके स्थानीय सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन हालत गंभीर होने के कारण उसे पीजीआइ में भर्ती कराया गया। पीजीआइ में डाक्टरों ने युवक को बचाने का हर संभव प्रयास किया। लेकिन तीन सितंबर को पीजीआइ के डाक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

युवक के पिता ने अंगदान का फैसला किया। जिससे पीजीआइ के डाक्टरों ने युवक के हृदय को पीजीआइ में भर्ती एक मरीज में प्रत्यारोपित कर उसे नई जिंदगी दी। इसके अलावा युवक के लिवर, किडनी और पैंक्रियाज को चार अलग-अलग मरीजों में प्रत्यारोपित कर नई जिंदगी दी।

संगरूर के युवक के फेफड़े गुरुग्राम में एक मरीज को प्रत्यारोपित किए

पंजाब के संगरूर के 25 वर्षीय एक युवक का बीते 23 अगस्त को सड़क हादसा हुआ था। राह जा रहे युवक को पीछे से एक तेज रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी थी, जिसके कारण युवक के सिर पर गहरी चोटें आई थी।युवक को इलाज के लिए पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 24 अगस्त को उसकी हालत गंभीर होने के कारण पीजीआइ रेफर कर दिया गया। लेकिन पीजीआइ के डाक्टरों ने युवक को 26 अगस्त को ब्रेड डेड घोषित कर दिया।

पिता ने दिखाया साहस

युवक के पिता ने इस दुख की घड़ी में भी साहस दिखाते हुए अंगदान का फैसला किया। युवक के फेफड़ों को गुरुग्राम के एक अस्पताल में एक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया। जबकि युवक की एक किडनी और दोनों कार्निया पीजीआइ में तीन अलग मरीजों में ट्रांसप्लांट किया गया। इस तरह युवक के अंगदान से चार लोगों की जिंदगी बचाई गई।

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