Patiala Peg: अंग्रेजों को मैच में चीटिंग से हराने की तरकीब से इजाद हुआ था 'पटियाला पेग', काफी मजेदार है इसका इतिहास
Patiala Peg पटियाला पेग की हिस्ट्री जानने के लिए हमें 100 साल पीछे जाना पड़ेगा। उस वक्त जब देश में रियासतों और रजवाड़ों का दौर था। इन्हीं राजघरानों में शुमार था पटियाला। दरअसल पंजाब के महाराजा भूपिंदर सिंह सन् 1900 से 1938 तक पटियाला रियासत के महाराज रहे। खास बात है कि वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिता थे।
ऑनलाइन डेस्क, चंडीगढ़। पटियाला दो चीजों के लिए बहुत फेमस है। पहला यहां का सूट और पेग (Patiala Peg)। यही कारण है कि शराब के शौकीन महफिलों में 'पटियाला पेग' का जिक्र करना कभी नहीं भूलते। वहीं, गानों से लेकर शराब महकमों में इस पेग का नाम जमकर लिया जाता है।
पटियाला पेग शराबियों के लिए जितना शानदार है उससे भी मजेदार इसका नाम रखने के पीछे का किस्सा भी है।लेकिन इससे पहले हम बता दें कि दैनिक जागरण का उद्देश्य शराब या अन्य किसी भी प्रकार के नशे को बढ़ावा देना कतई नहीं है।
चलिए फिर जानते है पटियाला पेग से जुड़ा रोचका किस्सा और इसके नाम रखने का इतिहास-
100 साल पुराना है इतिहास
पटियाला पेग की हिस्ट्री जानने के लिए हमें 100 साल पीछे जाना पड़ेगा। उस वक्त जब देश में रियासतों और रजवाड़ों का दौर था। इन्हीं राजघरानों में शुमार था पटियाला। दरअसल, पंजाब के महाराजा भूपिंदर सिंह सन् 1900 से 1938 तक पटियाला रियासत के महाराज रहे। खास बात है कि वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिता थे।
क्रिकेट और पटियाला पेग का जुड़ाव
अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 साल तक राज किया। सन् 1947 में देश को आजादी मिली। कहना गलत नहीं कि भारत में क्रिकेट अंग्रेजों की ही देन थी। उस दौरान क्रिकेट का बहुत बोलबाला था। भारतीयों और अंग्रेजों के बीच क्रिकेट में जीत को लेकर होड़ लगी रहती थी। इसी क्रम में महाराजा भूपिंदर सिंह की टीम का मैच अंग्रेजों से होने वाला था। मुकाबला कड़ा था इसलिए महाराज ने एक तरकीब पर विचार किया। कैप्टन अमरिंदर सिंह की किताब कैप्टन अमरिंदर सिंहः द पीपुल्स महाराजा के मुताबिक सन् 1920 में महाराजा ने अंग्रेजों को हराने के लिए पटियाला पेग की शुरुआत की। महाराज का लक्ष्य टीम को हराना और खुद की जीत कायम करना था।अंग्रेजों को दी जाम छलकाने की पार्टी
इस बीच मैच से पहले महाराजा भूपिंदर सिंह ने सभी अंग्रेजों को शाम की पार्टी का न्योता दिया और उनके लिए बड़े-बड़े पेग बनाए गए। महाराज के शागिर्दों ने अंग्रेजों को इतना टल्ली कर दिया कि वो सुबह मैच में टिक ही नहीं पाए और फिर इस मैच में उनकी जीत हुई। जब अंग्रेजों का नशा उतारा तो सभी अंग्रेज क्रिकेटर वायसराय के पास शिकायत के लिए पहुंचे।
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