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क्या मनीष तिवारी की चली जाएगी सांसदी? हाईकोर्ट में निर्वाचन रद्द करने के लिए याचिका दायर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी (Manish Tewari) के निर्वाचन को रद्द करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। आरोप है कि चुनाव के दौरान तिवारी भ्रष्ट आचरण में लिप्त रहे थे। इतना ही नहीं उन्होंने मतदाताओं को कई तरह के प्रलोभन भी दिए थे। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 9 सितंबर को तय की है।

By Dayanand Sharma Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 09 Aug 2024 06:17 PM (IST)
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मनीष तिवारी के निर्वाचन को रद्द करने के लिए याचिका दायर (जागरण फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चंडीगढ़ संसदीय सीट से सांसद मनीष तिवारी इन दिनों मुश्किलों में नजर आ रहे हैं। कांग्रेस नेता के संसदीय सदस्यता को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।

दरअसल, मनीष तिवारी के खिलाफ पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका में लोकसभा चुनाव 2024 में भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने तथा गलत तरीके से चुनाव में जीत हासिल करने का आरोप लगाया गया है।

मामूली अंतर हुई थी जीत

यह मामला संजय टंडन द्वारा दायर याचिका के मद्देनजर हाईकोर्ट के समक्ष पहुंचा है, जिन्होंने भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तिवारी मात्र 2,504 मतों के मामूली अंतर से विजयी हुए थे।

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जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की विभिन्न धाराओं के तहत दायर अपनी याचिका में टंडन ने तिवारी पर चुनाव के दौरान भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने का आरोप लगाया है।

याचिका के अनुसार, तिवारी को पहले भी इसी तरह की कार्रवाइयों के लिए रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) द्वारा फटकार लगाई गई थी। इसके बावजूद, आरोपों और रिपोर्टों से पता चलता है कि तिवारी और उनके समर्थक चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करने वाली गतिविधियों में लिप्त रहे।

निर्वाचन को रद्द करने की हुई मांग

याचिका में तिवारी के निर्वाचन को रद्द करने और संजय टंडन को चंडीगढ़ से लोकसभा में विधिवत निर्वाचित सांसद घोषित करने के निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिका में तिवारी के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर मतदाताओं को वित्तीय प्रोत्साहन और नौकरी की गारंटी देने सहित भ्रामक वादे करने का भी आरोप लगाया गया है।

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'मतदाताओं को दिए गए कई प्रलोभन'

चुनाव याचिका में कहा गया कि तिवारी ने अपने चुनाव प्रचार में मतदाताओं को कई प्रलोभन दिए हैं, जैसे की उन्होंने मासूम मतदाताओं को गारंटी कार्ड बांटे की उन्हें हर महीने 8500 रुपये देंगे।

पढ़े लिखे युवाओं को पहली नौकरी पर एक लाख रुपये का वेतन , किसानों को एमएसपी और एक लोन माफ करने का वादा, प्रत्येक महिला को हर साल एक लाख रुपये देंगे इस तरह के गारंटी कार्ड भी भरवाए और इसके अलावा कई तरह के और भी प्रलोभन दिए गए थे। जो कि गलत है और यह सब तिवारी के चुनाव को अयोग्य ठहराने का आधार है।

9 सितंबर को होगी सुनवाई

याचिका के अनुसार इस तरह के गारंटी कार्ड का वितरण, विज्ञापन के माध्यम से लोगों को चुनाव के बाद की योजनाओं के लिए पंजीकृत करने का प्रयास मतदाताओं को भ्रामक रूप प्रभावित करना है। इससे लगता है कि तिवारी को वोट देते हैं, तो उनको स्पष्ट रूप से आर्थिक और वित्तीय लाभ होगा।

हाईकोर्ट को बताया गया कि इस तरह के भ्रष्ट आचरण, धारा 100 और 101 के साथ धारा 123 के तहत उनके चुनाव को रद्द करने का आधार हैं। सभी दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 9 सितंबर तय की है।

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