Punjab News: चार हजार मरीजों के लिए PGI बना वरदान, अब ब्लड कैंसर से ग्रस्त रागियों को मिलेगा नया जीवनदान
PGI Chandigarh पीजीआइ और मैक्स फाउंडेशन टीम ने इस बीमारी से मरीजों को नया जीवनदान मिलेगा। पीजीआइ के हेमाटोलाजी ओन्कोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. पंकज मलहोत्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह बीमारी कुछ वार्षों पहले तक लाइलाज थी। वर्ष 2005 तक इस बीमारी के इलाज के लिए कोई सटीक तरीक या दवाइयां उपलब्ध नहीं थी। अभी तक यह बीमारी लाइलाज थी।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Sat, 23 Sep 2023 02:24 PM (IST)
चंडीगढ़, जागरण संवाददाता। क्रोनिक मिलाइड ल्यूकेमिया (सीएमएल) एक प्रकार का असामान्य कैंसर है। यह कैंसर बोन मैरों में समय के साथ बदल जाता है। यह एक प्रकार का ब्लड कैंसर है। अभी तक यह बीमारी लाइलाज थी, लेकिन पीजीआइ के डाक्टरों और मैक्स फांउडेशन की टीम ने इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों को जीवन की उम्मीद बांधी है।
कार्यक्रम में पहुंचे 800 मरीज
कार्यक्रम में पीजीआइ के हेमाटोलाजी, मेडिकल ओन्कोलाजी, पीडियाट्रिक हेमाटोलाजी एवं ओन्कोलाजी के साथ मैक्स फाउंडेशन टीम के वरिष्ठ डॉक्टर व सदस्य मौजूद थे। इस दौरान कार्यक्रम में 800 मरीज पहुंचे, जो इस गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे। यह मरीज पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से यहां पहुंचे थे।
चार हजार मरीजों को इलाज मुहैया
पीजीआइ के हेमाटोलाजी ओन्कोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. पंकज मलहोत्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह बीमारी कुछ वार्षों पहले तक लाइलाज थी। वर्ष 2005 तक इस बीमारी के इलाज के लिए कोई सटीक तरीक या दवाइयां उपलब्ध नहीं थी। यहां तक की पीजीआइ में उस समय तक 100 के करीब ही मरीज थे। लेकिन पीजीआइ अब इस बीमारी से पीड़ित पूरे उत्तर भारत से चार हजार मरीजों को इलाज मुहैया करा रहा है।यह भी पढ़ें: India-Canada Row: स्टडी वीजा पर भी लटकी विवाद की तलवार, कनाडा एजुकेशन फेयर स्थगित; छात्रों की बढ़ेगी परेशानीयहां तक की इन चार हजार में से 50 प्रतिशत मरीजों को निशुल्क दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही है, इन दवाइयों की बदौलत आज इन मरीजों के जीवन का खतरा कई गुना कम हो गया है। वर्ष 2001 में पीजीआइ ने सीएमएल से पीड़ितों के लिए शुरू किया अभियान क्रोनिक मिलाइड ल्यूकेमिया से एक व्यक्ति के ग्रस्त होने पर उसका जीवनकाल केवल दो से तीन साल का होता था, लेकिन पीजीआइ और मैक्स फाउंडेशन ने वर्ष 2001 में ऐसे मरीजों के लिए विशेष प्रोग्राम शुरू किया।
इस प्रोग्राम के तहत इन मरीजों को लाइफ सेविंग ड्रग जिसे मैजिक बुलेट के नाम से जाना जाता है। दवाई का नाम इमैटिनिब मेसाइलेट है। शुरुआती दौर में इस दवाई का खर्च 1.3 लाख रुपये था। जोकि कुछ समय में जेनेरिक में उपलब्ध होने से यह दवाई 20 हजार रुपये में उपलब्ध हो गई। अब यह दवाई एक हजार रुपये में उपलब्ध है।
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