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Punjab By-Election: उपचुनाव के लिए पार्टियों को नहीं मिल रहे उम्मीदवार, दूसरी पार्टी के नेताओं पर AAP की नजर

Punjab Assembly By- Election 2024 पंजाब में चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब उम्मीद है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ पंजाब के उपचुनाव होंगे। वहीं उपचुनाव में प्रत्याशी उतारने के लिए पार्टियों के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं।

By Inderpreet Singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 27 Aug 2024 09:51 AM (IST)
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ हो सकते हैं पंजाब का उपचुनाव (फाइल फोटो)

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव हरियाणा विधानसभा के साथ ही होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब इन उपचुनावों के नवंबर में महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ होने की उम्मीद है। हालांकि राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के पाास इन सीटों पर उम्मीदवार उतारने का संकट बना हुआ है।

इन सीटों पर होना है उपचुनाव

ये सभी सीटें इन विधानसभा सीटों बरनाला से आप विधायक मीत हेयर, गिद्दड़बाहा से कांग्रेस विधायक अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, डेरा बाबा नानक से कांग्रेस विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा और चब्बेवाल सीट से विधायक डॉ. राजकुमार चब्बेवाल के सांसद बनने से खाली हुई हैं।

अब इन सीटों पर उपचुनाव के लिए पार्टियों के पास उम्मीदवारों का संकट बन गया है। पार्टियां काडर से उम्मीदवार उतारने की बजाय दूसरी पार्टियों के नेताओं पर नजर रख रही हैं। कई नवनिर्वाचित सांसद तो अपनी पत्नियों व रिश्तेदारों को आगे कर रहे हैं।

आप ने दूसरी पार्टी से आए उम्मीदवारों को दी है प्राथमिकता

आम आदमी पार्टी ने पिछले ढ़ाई साल में जितने भी उपचुनाव लडे हैं, उनमें संगरूर लोकसभा उपचुनाव को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी सीटों पर उन्होंने दूसरी पार्टियों से आए उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी है।

चाहे वह जालंधर संसदीय सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस के पूर्व विधायक सुशील रिंकू को लाने की बात हो या जालंधर पश्चिमी सीट पर भाजपा से आए मोहिंदर भगत को लड़वाने की बात हो।

इसी प्रकार संसदीय चुनाव में भी पार्टी ने पवन टीनू, डॉ. राजकुमार चब्बेवाल सहित कई उम्मीदवारों को दूसरी पार्टियों से लाकर चुनाव मैदान में उतारा।

कांग्रेस की हालत आम आदमी पार्टी से अलग

कांग्रेस की हालत इससे थोड़ी अलग है। कांग्रेस के पास लड़ने के लिए दूसरी पंक्ति के कई उम्मीदवार हैं, लेकिन उन्हें उतारने की बजाय विधायक से सांसद बने नेता अपनी पत्नियों को आगे कर रहे हैं। खुद पार्टी प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग अपनी पत्नी अमृता वडिंग को गिद्दड़बाहा से उतारना चाहते हैं।

सुखजिंदर सिंह रंधावा भी अपने परिवार में से ही किसी को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। आप सांसद डॉ. राजकुमार चब्बेवाल भी अपने भाई को टिकट दिलाने की बात कर रहे हैं।

शिअद के नेता छोड़ रहे हैं पार्टी

शिरोमणि अकाली दल जो इस समय खुद दोफाड़ होने की स्थिति में है, के नेता भी पार्टी में टिकने की बजाय दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं। उनके विधायक सुखविंदर कुमार सुक्खी हों या अब गिद्दड़बाहा से पार्टी को अलविदा कहने वाले वरिष्ठ अकाली नेता हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों। ये सभी वे नेता हैं जो सुखबीर बादल के करीबी रहे हैं। ढिल्लों जल्द ही आप में शामिल हो सकते हैं।

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भाजपा के लिए उम्मीदवारों का संकट छोटा नहीं

भारतीय जनता पार्टी के लिए भी उम्मीदवारों का संकट छोटा नहीं है। अकाली दल से अलग होकर पार्टी ने अभी तक किसी भी ऐसी सीट पर छाप नहीं छोड़ी है जो उसने गठबंधन के बाद अकेले अपने दम पर लड़ी हो।

गिद्दड़बाहा में पार्टी मनप्रीत बादल को उतारना चाहती थी, लेकिन उनके शिरोमणि अकाली दल में जाने की चर्चा के बीच उनका दावा कमजोर हो गया है। बरनाला में भी पार्टी के पास सिर्फ केवल ढिल्लों ही सशक्त उम्मीदवार हैं, जबकि चब्बेवाल और डेरा बाबा नानक सीटों पर पार्टी को उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं।

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