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कृषि कानूनों पर पंजाब में सियासी जंग जारी, सुखबीर ने पूछे चार सवाल तो कैप्‍टन का पलटवार

केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में सियासी जंग थम नहीं रही। राजनीतिक दल इसको लेकर एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले में मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह से चार सवाल पूछे हैं। कैप्‍टन ने इस पर पलटवार किया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sun, 25 Oct 2020 08:32 AM (IST)
पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब में केंद्रीय कृषि कानूनों पर सियासी जंग जारी है। पंजाब विधानसभा में चार कृषि विधेयक सर्वसम्‍मति से तो पारित हो गए, लेकिन अब इस पर भी सियासी घमासान तेज हो गया है। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल और पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के बीच जुबानी जंग तेज को गया है।

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर फिर निशाना साधा है और उनसे चार सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि कैप्टन के पास इनका कोई जवाब नहीं है फिर भी हम उन्हें इनका जवाब देने के लिए 15 दिन का समय देते हैं। वह बताएं कि आपने किसानों के साथ धोखा क्यों किया और आप क्यों केंद्र के हाथों में खेल रहे हो।

सुखबीर ने कैप्टन से चार सवालों के 15 दिन में मांगे जवाब

सुखबीर के चार सवाल -

1. क्या राज्य सरकार ने केंद्रीय कानूनों को रद्द कर दिया है?

2 विधानसभा में पास हुए बिल कब तक लागू हो जाएंगे?

3 क्या न्यूनतम समर्थन मूल्य संवैधानिक हक हो गया है?

4. क्या आपने सभी 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की गारंटी दी है।

सुखबीर ने कहा कि ये मेरे सवाल नहीं है बल्कि आज हर कोई मुख्यमंत्री से यही पूछ रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने अभी तक एपीएमसी एक्ट 2017 को भी रद्द नहीं किया है जो केंद्रीय बिलों की कापी है।

कैप्टन बोले, सुखबीर मानसिक तौर पर निराश लग रहे

दूसरी ओर, मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने सुखबीर सिंह बादल पर पलटवार किया। मुख्‍यमंत्री अमरिंदर ने कहा कि सुखबीर ने राजनीति हितों के कारण कृषि कानूनों पर यू टर्न लिया है। उनको किसानों के हितों से कोई लेना-देना नहीं है।

कैप्टन ने सुखबीर के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सुखबीर के बयानों से साफ है कि उन्हें राजनीति के बारे में कुछ भी पता नहीं है। भाजपा से मिलीभगत के आरोप पर कैप्टन ने कहा कि सुखबीर मानसिक तौर पर निराश नजर आ रहे हैं  और इसी कारण ऐसे बेतुके बयान दे रहे हैं। ऐसी टिप्पणियों का एक तर्कपूर्ण स्पष्टीकरण यह है कि अकाली नेता और उसकी पार्टी पूरी तरह से गुमनामी में है, जिसे दूर-दूर तक कोई संभावना नजर नहीं आती।

कैप्टन ने कहा, 'राज्य के संशोधित बिलों का मकसद केंद्र के खेती कानूनों के किसानों पर विनाशकारी प्रभाव को खत्म करना है। मैंने विधानसभा में ही बता दिया था कि राज्यपाल और राष्ट्रपति बिलों पर अपनी सहमति दे भी सकते हैं और नहीं भी। दूसरी ओर सुखबीर बादल कह रहे हो कि मैं इमानदार नहीं हूं।' उन्होंने सुखबीर से कहा कि आप अपना मन बना लो कि आपका और पार्टी का स्टैंड क्या है।

सुखबीर राजनीतिक हितों के लिए कृषि कानूनों पर ले रहे यू टर्न : कैप्टन

कृषि कानूनों संबंधी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रधान सुखबीर बादल द्वारा लिए गए एक और यू-टर्न पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने उन्हें आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष ने अपनी संकुचित राजनीतिक चालों और झूठ से किसानों के हितों को बार-बार चोट पहुंचाई है। उनकी यह चालें साफ तौर पर केंद्र सरकार के किसान विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ा रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के संशोधन बिलों को, जिनका शिअद ने विधानसभा में समर्थन किया था, उसे अब रद करके सुखबीर ने भाजपा नेताओं के हालिया बयानों की भी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इससे साफ़ जाहिर होता है कि शिअद और भाजपा में साठगांठ है और हरसिमरत बादल का केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा देना और अकालियों की तरफ से एनडीए से नाता तोडऩा और कुछ नहीं सिर्फ एक विश्वासघात था। इसका मकसद किसानों को धोखा देना और केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसानों की जंग को कमजोर करना था।

उन्होंने कहा कि शिअद द्वारा पंजाब और इसके किसानों से जुड़े इतने गंभीर मसले संबंधी बार-बार यू-टर्न लेना यह साबित करता है कि वह अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए शैतान के साथ भी हाथ मिलान से परहेज नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री ने सुखबीर का यह तर्क रद्द कर दिया कि अकालियों को राज्य सरकार के संशोधन बिलों को ठीक तरह से पढऩे का मौका नहीं मिला।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शायद यही कारण है कि अकाली बीते छह साल से केंद्र के सभी प्रकार के लोक विरोधी, भारत विरोधी और पंजाब विरोधी बिलों पर मोहर लगाते रहे हैं। सुखबीर की दलील को हास्यप्रद करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या आप यह कहना चाहते हो कि आपके विधायकों को 370 शब्दों का प्रस्ताव पढऩे और समझने में दिक्कत थी जिसमें 100 शब्द तो केवल ऑर्डीनेंसों/एक्टों के नाम थे? उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में राज्य को प्रमुख मंडी क्षेत्र घोषित करना जरूरी नहीं था बल्कि एमएसपी की रक्षा करना जरूरी था और यह यकीनी बनाना कि बिना किसी दंडनीय कार्यवाही के राज्य अपना कंट्रोल कायम रखे।

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