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Chandigarh AQI: प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर, 450 के करीब पहुंचा AQI; सांसद मनीष तिवारी ने की ये मांग

चंडीगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने 450 के करीब पहुंचकर बेहद गंभीर स्थिति ले ली है। सांसद मनीष तिवारी ने पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब कटारिया से तुरंत कार्रवाई का आग्रह किया है। प्रदूषण के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है और आंखों में जलन खुजली और लालिमा की समस्या भी बढ़ रही है।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Thu, 14 Nov 2024 09:14 AM (IST)
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चंडीगढ़ में 400 के करीब पहुंचा AQI (फाइल फोटो)
मोहित पांडेय, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में भारी गिरावट देखी जा रही है, जिससे शहर में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर हो गया है। वीरवार की सुबह AQI 450 के करीब पहुंच चुका है, जो कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जाता है।

प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए वरिष्ठ नेता और सांसद मनीष तिवारी ने पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब कटारिया से इस स्थिति पर तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

प्रदूषण को लेकर सांसद ने कही ये बात

मनीष तिवारी का कहना है कि वायु प्रदूषण का यह स्तर खासकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है। ऐसे में उन्होंने आग्रह किया है कि जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता, तब तक सभी स्कूलों को, विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए, अस्थायी रूप से बंद करने पर गंभीरता से विचार किया जाए।

मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि बढ़ते प्रदूषण के कारण नागरिकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, और इस समय प्राथमिकता लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना होना चाहिए।

अस्पतालों में 10 प्रतिशत मरीजों की संख्या में इजाफा

ठंड के दिनों में प्रदूषण के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या में और वृद्धि हो रही है। पीजीआई के ओपीडी में हर दिन करीब 50 बुजुर्ग मरीज आते हैं, जबकि 15 से 20 बच्चों के मामले भी देखे जा रहे हैं।

दिवाली के बाद प्रदूषण के बढ़ने के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। रोज़ाना 70 मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जिनमें से दस फीसदी नए मरीजों की संख्या शामिल है।

प्रदूषण में उच्च स्तर के बारीक कण निकलते हैं जो फेफड़े और रक्तप्रवाह में आसानी से घुल सकते हैं। ये कण विशेष रूप से सांस की समस्याओं से जुड़े होते हैं और अस्थमा के मरीजों में लक्षणों को बहुत खतरनाक बना सकते हैं। प्रदूषण के कारण मरीजों को सांस लेने में परेशानी, खांसी, और सांस फूलने की समस्या हो सकती है, जिससे अस्थमा का अटैक भी आ सकता है। ऐसे में ऐसे में बचाव बेहद जरूरी है। जरूरत न होने पर घर से न निकले। बेहद जरूरी होने पर घर से निकलते समय मास्क का प्रयोग करें। अधिक से अधिक पानी पीएं। इसके साथ खानपान का विशेष ध्यान रखे।

- डॉ. दीपक अग्रवाल, विभागाध्यक्ष , पल्मोनरी विभाग, जीएमसीएच-32

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जहरीली हवा आंखों में पैदा कर रही जलन

जीएमसीएच के नेत्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि प्रदूषित हवा में नाइट्रोजन और सल्फर जैसे गैसें होती हैं, जो आंखों में जलन, खुजली और लालिमा पैदा कर रही है। हर साल प्रदूषण बढ़ने के साथ मरीज भी बढ़ रहे है।

सीजन में आंखों के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में बचाव बेहद जरूरी है। बाहर से आने के बाद आंखों में पानी के छींटे दें। लुब्रिकेंट आइ ड्रॉप्स का प्रयोग करें। अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

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