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    पीयू पर कब्जे की कोशिश, सब आरएसएस के इशारे पर हो रहा, मुद्दा पंजाब की गलियों से लेकर लोकसभा तक उठाएंगे, पूर्व सीएम चन्नी का दावा

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Tue, 04 Nov 2025 12:44 PM (IST)

    पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र सरकार पर पंजाब विश्वविद्यालय पर कब्जा करने की कोशिश का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को पंजाब की गलियों से लेकर लोकसभा तक उठाया जाएगा। चन्नी ने पंजाब के लोगों से एकजुट होने की अपील की और कहा कि पीयू को हर कीमत पर बचाया जाएगा।

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    पीयू में धरना दे रहे छात्रों से मिलने पहुंचे पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) में चल रहे हालात को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि पंजाब की विरासत है।

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    चन्नी ने कहा कि यह वही विश्वविद्यालय है जिसने देश को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जैसा नेता दिया। मैं खुद 1982 से इस विश्वविद्यालय से जुड़ा हूं और 1984 में सेक्टर-26 गुरु नानक कॉलेज की स्टूडेंट्स काउंसिल का हिस्सा रहा हूं।


    चन्नी ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में अब सब कुछ आरएसएस के इशारे पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीनेट को घटाकर 31 सदस्यों तक सीमित कर दिया गया है, जिससे चुने हुए प्रतिनिधियों की भूमिका खत्म हो गई है। सिंडिकेट को भंग कर दिया गया है और अब पूरा प्रशासन केंद्र के नियंत्रण में चल रहा है।

    पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि धीरे-धीरे पंजाब से पीयू को अलग करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले लाहौर में यह यूनिवर्सिटी थी, फिर होशियारपुर आई और अब चंडीगढ़ में है। अब पंजाब से इसे निकालने की कोशिश की जा रही है। बॉर्डर पर पहले ही बीएसएफ का दायरा बढ़ाया गया है और अब शिक्षा संस्थानों पर कब्जे की तैयारी है।

    चन्नी ने कहा कि अगर पंजाब यूनिवर्सिटी में यह माहौल जारी रहा तो गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे यहां पढ़ नहीं पाएंगे। विश्वविद्यालय में छात्रों की राजनीति को खत्म किया जा रहा है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।

    उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को पंजाब की गलियों से लेकर लोकसभा तक उठाया जाएगा। वह राज्यपाल से भी मिलेंगे और मांग करेंगे कि पंजाब सरकार तुरंत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए। यह सिर्फ एक यूनिवर्सिटी का नहीं, बल्कि पंजाब की अस्मिता का सवाल है।