Punjab News: आय से अधिक संपत्ति मामले में PPS अधिकारी राजजीत को बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने की जमानत याचिका खारिज
Punjab News बर्खास्त पीपीएस अधिकारी राजजीत सिंह हुंदल को हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। उनकी जमानत याचिका खारजि कर दी गई है। हुंदल ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि पुलिस अधिकारी ही नशा माफिया को पनाह देने लगेंगे तो समाज पर इसका प्रभाव भयावह होगा।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Sat, 21 Oct 2023 08:49 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। बर्खास्त पीपीएस अधिकारी राजजीत सिंह हुंदल को आय से अधिक संपत्ति के मामले में बड़ा झटका देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि पुलिस अधिकारी ही नशा माफिया को पनाह देने लगेंगे तो समाज पर इसका प्रभाव भयावह होगा।
आय से अधिक संपत्ति मामले में है एफआइआर दर्ज
राजजीत के खिलाफ विजिलेंस ने 20 अप्रैल को भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में एफआइआर दर्ज की थी। इस मामले में अब हुंदल ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। एनडीपीएस मामले में हुंदल ने हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी और वहां से अंतरिम जमानत मिल गई थी।
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18 अक्टूबर को मिली थी अंतरिम जमानत
18 अक्टूबर को उन्हें पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अंतरिम जमानत मिली थी। ऐसे में उन्होंने आय से अधिक संपत्ति के मामले में राहत के लिए हाई कोर्ट की शरण ली थी। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अब इस मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। याची ने दलील दी थी कि मुख्यमंत्री की मंजूरी से गृह विभाग के सचिव ने डीजीपी को पत्र लिख याची को आइपीएस के दो खेमों के बीच की रस्साकस्सी का शिकार बताया था।
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हाई कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रुचि लेते हैं तो इसे राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा नहीं माना जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि अभी आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच जारी है और यह पता लगाना बाकी है कि पैसा गंभीर अपराधों में जांच को बाधित करने, ऐसे अपराधों में आरोपियों की मदद करने, ड्रग डीलरों को शरण देने या फिर सीधे ड्रग लेनदेन के लिए लिया गया था। यह केवल आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं है।
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