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Punjab News: पंजाब सरकार ने धान मिलिंग नीति में किए बड़े बदलाव, शेलर और मालिकों को मिलेगी राहत

Punjab News पंजाब कैबिनेट ने राज्य की खरीद एजेंसियों द्वारा खरीदे गए धान को मिलिंग के लिए सौंपने और उससे बनने वाले चावल को केंद्रीय पूल में समय पर पहुंचाने के लिए खरीफ सीजन 2024-25 की कस्टम मिलिंग नीति (Custom Milling Policy) को मंजूरी दी है। इस नीति में कई बदलाव किए गए हैं जिससे शेलर मालिकों को काफी लाभ होगा।

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 09 Oct 2024 10:30 AM (IST)
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मंगलवार को चंडीगढ़ में कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान l जागरण

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब कैबिनेट ने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अध्यक्षता में राज्य की खरीद एजेंसियों पनग्रेन, मार्कफेड, पनसप व पंजाब वेयरहाउस कॉर्पोरेशन द्वारा खरीदे गए धान को मिलिंग के लिए सौंपने और उससे बनने वाले चावल को केंद्रीय पूल में समय पर पहुंचाने के लिए खरीफ सीजन 2024-25 की ‘कस्टम मिलिंग नीति’ को स्वीकृति दी।

यह निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। मिलिंग नीति प्रतिवर्ष बनाई जाती है। खरीफ मार्केटिंग सीजन 1 अक्टूबर से शुरू हो चुका है व खरीद का काम 30 नवंबर तक पूरा होगा। कैबिनेट मीटिंग के निर्णयों की जानकारी देते हुए मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण शेलर मालिकों को काफी नुकसान हो रहा था।

सिक्योरिटी राशि को किया गया कम

राज्य सरकार ने उसे ध्यान में रखते हुए नीति में कई बदलाव किए हैं। शेलर मालिकों को अपने यहां धान लगवाने के लिए धान के बराबर कीमत की बैंक सिक्योरिटी जमा करवानी होती थी जिसे नई पॉलिसी में कम करके पांच लाख रुपये कर दिया गया है।

इसके अलावा उन्हें स्टॉक के समान बैंक गारंटी देनी पड़ती थी। शेलरों-मालिकों से कहा गया है कि वे अपने शेलर की प्रापर्टी के पेपर एजेंसी के नाम पर लियन (गिरवी) करवा सकते हैं।

चावल मिलों को मंडियों से जोड़ा जाएगा

उन्होंने बताया कि एक अन्य राहत में कस्टम मिलिंग पॉलिसी की फीस, जो 175 रुपये प्रतिटन थी, उसे दस रुपये कम कर दिया गया है। इससे शेलर मालिकों को काफी लाभ होगा।

मंत्री ने बताया कि विभाग चावल मिलों को मंडियों से ऑनलाइन जोड़ेगा। रिलीज ऑर्डर योजना में शेलर मिलों को दिए जाने वाले धान का वितरण ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ऑटोमैटिक होगा।

मंडियों से उठाया जाने वाला धान मिलों की क्षमता के अनुसार स्टोर किया जाएगा। मिलरों को अगले वर्ष 31 मार्च तक मिलिंग करके चावल की डिलिवरी देनी होगी।

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