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अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद एक्टिव मोड में भगवंत मान, रुके हुए कामों के तेजी से निपटाने के लिए खुद संभाली कमान

Punjab CM Bhagwant Mann मुख्यमंत्री भगवंत मान की सक्रियता ने एक बार फिर से सबको चौंका दिया है। चार दिन अस्पताल में रहने के बाद वे अचानक से ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। रुके हुए कामों को पूरा करवाने के लिए वह अधिक एक्टिव नजर आ रहे हैं। खास बता है कि मुख्यमंत्री स्वयं पेंडिंग मामलों को देख रहे हैं।

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 02 Oct 2024 07:35 PM (IST)
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भगवंत मान ने रुके हुए कामों के तेजी से निपटाने में लिए खुद संभाली कमान

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। चार दिन अस्पताल रहने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान अचानक से ज्यादा सक्रिय होते दिखाई पड़ रहे हैं। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि महीनों से जिन रुके हुए कामों को करवाने के लिए उनका हस्तक्षेप बन रहा था, वह स्वस्थ होकर लौटने के बाद से इन मामलों को हल कर रहे हैं।

पराली निस्तारण को लेकर जून महीने से गले की फांस बने घुंगराली सीबीजी प्लॉन्ट पर किसानों को मनाने के लिए आगे मुख्यमंत्री भगवंत मान उस समय आगे आए जब हाई कोर्ट में यह केस सुनवाई पर लगा हुआ था और जस्टिस विनोद भारद्वाज ने जिस प्रकार से आजकल विभिन्न केसों में सरकार को फटकार लगाई हुई है उससे सरकार की फजीहत हो रही है।

सीएम ने किसानों को दिया आश्वासन

यही नहीं, घुंगराली के सीबीजी प्लांट को चलाने को लेकर सरकार हर संभव प्रयास कर चुकी है। मुख्यमंत्री के स्पेशल चीफ सेक्रेटरी वीके सिंह सहित तमाम आला अधिकारी पीएयू और आईआईटी रोपड़ के वैज्ञानिकों को बुलाकर उनकी किसानों के साथ बैठकें भी करवाई जा चुकी हैंलेकिन प्लॉन्ट को न चलने देने को लेकर किसान टस से मस नहीं हुए।

ऐसे में मुख्यमंत्री ने बीते कल इन किसानों से खुद बात की और आश्वासन दिया कि इस प्लांट से कोई प्रदूषण नहीं होगा और अगर ऐसा हुआ तो सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। तब कहीं जाकर पिछले चार महीनों से बंद पड़े प्लांट को चलवाने पर राजी हुए।

इस प्लांट के बंद होने का प्रभाव इस प्रकार के बीस अन्य प्लॉन्टोंपर भी पड़ रहा है। हिंदोस्तान पैट्रोलियम, गेल और रिलायंस जैसी कंपनियों ने सीबीजी प्लॉन्ट्स लगाने पर रुचि दिखाई हुई है।

जर्मनी की कंपनी वर्बियो ने लहरागागा में ऐसा प्लांट लगाया हुआ है और वह इस प्रकार के और प्लांट भी लगाना चाहते हैं। लेकिन किसानों के विरोध के कारण कोई कंपनी निवेश की हिम्मत नहीं कर रही है।

इसी प्रकार एक अक्टूबर से धान की खरीद शुरू हो चुकी है । लेकिन न तो अभी मिलरों की मांगों पर गौर किया गया है और न ही आढ़तियों की। लेबर भी अलग से नाराज है क्योंकि पिछले लंबे समय से उनकी मजदूरी में कोई वृदि्ध नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री ने इसको लेकर बैठक की और एक रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करके मसले का हल कर दिया है।

मिलरों की कई जायज मांगों को लेकर उन्होंने केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र भी लिखा। इसमें सीएम ने कहा कि मिलरों को चावल की डिलीवरी के लिए उसी मिलिंग सेंटर के भीतर जगह आवंटित की जाती है और ऐसे केंद्र आमतौर पर मिलों से 10-20 किलोमीटर के अंदर होते हैं।

चावल डिलीवरी के लिए नहीं लिया जाएगा परिवहन शुल्क

पिछले साल जगह की कमी के कारण एफसीआई ने उन्हें चावल की डिलीवरी के लिए ऐसी जगह आवंटित की जो कई मामलों में 100 किलोमीटर से अधिक थी, जबकि इसके लिए उन्हें कोई परिवहन शुल्क नहीं दिया गया था।

इसी प्रकार आढ़तियों के कमीशन के मामले को लेकर भी मुख्यमंत्री ने उनके साथ बैठक की और यह मामला हल करने का आश्वासन दिया। केंद्र सरकार अब आढ़त को एमएसपी के साथ जोड़ने की बजाए एक निश्चित राशि देना चाहता है।

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