पंजाब कांग्रेस के घमासान में छिपी है परिवर्तन की आहट, वर्तमान और भविष्य के बीच उलझी पार्टी
Punjab Congress पंजाब कांग्रेस में मचा घमासान समाप्त करने के लिए हाईकमान जुटा हुआ है लेकिन वह वर्तमान और भविष्य के बीच उलझ गई है। वर्तमान कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं तो भविष्य नवजोत सिंह सिद्धू। घमासान में परिवर्तन की आहट भी छिपी हुई है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। यह पंजाब कांग्रेस के लिए परिवर्तन की आहट है। लंबी सियासी पारी खेलते आ रहे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रदेश में पार्टी का वर्तमान हैं, पर क्या वह भविष्य भी होंगे? यह सवाल उठ रहा है और इसका जवाब हर कोई जानना चाहता है। कैप्टन के खिलाफ एक के बाद एक कई नेता आवाज उठा रहे हैं। इसकी शुरुआत नवजोत सिंह सिद्धू ने की। अब सिद्धू को प्रदेश प्रभारी हरीश रावत पार्टी का भविष्य बता रहे हैं। सिद्धू समेत कई अन्य नेता भी कैप्टन के खिलाफ विरोध के स्वर उठा रहे हैं। इन नेताओं की बात सुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने कमेटी बना दी है, यानी वह दूसरी पंक्ति के नेताओं का रास्ता नहीं रोकना चाहती है। खास कर सिद्धू का। ऐसे में पंजाब कांग्रेस में मचा घमासान दरअसल परिवर्तन की काेशिश भी है।
हरीश रावत कैप्टन अमरिंदर को वर्तमान तो नवजाेत सिद्धू को बता रहे हैं भविष्य
2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि यह उनका अंतिम चुनाव होगा। लेकिन बाद में कैप्टन ने कहा कि वह एक और पारी खेलेंगे। हाईकमान जानती है कि पंजाब में कैप्टन ही पार्टी का चेहरा बन चुके हैं और अगला चुनाव भी उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। वहीं दूसरी तरफ नवजोत सिंह सिद्धू अगर अनुशासन तोड़ते भी हैं तो भी हाईकमान इसे नजरअंदाज कर देती है। हाईकमान के रुख से लगता है कि वह यह मानती है कि सिद्धू कांग्रेस का भविष्य का चेहरा हैं।
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजाेत सिंह सिद्धू। (फाइल फाेटो)
दूसरी पंक्ति के नेताओं की राह नहीं रोकना चाहता हाईकमान
पंजाब कांग्रेस में अंतरकलह को लेकर पार्टी नेताओं से बात कर रही कमेटी के सामने कांग्रेस के विधायक दो हिस्सों में बंटे नजर आ रहे हैं। एक गुट कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ खड़ा है तो दूसरा उनके खिलाफ। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय प्रधान राहुल गांधी ने कमेटी की बैठक से पहले जिस प्रकार पंजाब के करीब एक दर्जन मंत्रियों और विधायकों को फोन किए उससे साफ है कि पार्टी पंजाब में अब दूसरी पंक्ति के नेताओं को भी तरजीह दे रही है। इनमें ज्यादातर विधायक व मंत्री वे थे जो कैप्टन के विरोधी हैं। वहीं, कांग्रेस के सचिव की तरफ से यह तय करने की कोशिश की गई कि कमेटी के सामने क्या कहना चाहिए।
दूसरी ओर प्रदेश प्रभारी हरीश रावत बार-बार कैप्टन को पार्टी का वर्तमान और सिद्धू को भविष्य बता रहे हैं। क्योंकि उन्हें कोई टोक नहीं रहा तो इसका सीधा मतलब यही निकाला जा रहा है कि यह संदेश रावत नहीं बल्कि कहीं न कहीं हाईकमान की ओर से ही दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद हुए कोटकपूरा गोलीकांड की जांच और एसआइटी को हाई कोर्ट की ओर से रद किए जाने के पश्चात पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है। सिद्धू ने सबसे पहले मुख्यमंत्री पर सवाल दागने शुरू किए। उसके बाद कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी, राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बजावा, रवनीत सिंह बिट्टू ने भी यह मुद्दा उठाना शुरू कर दिया। अहम बात यह है कि इनमें से रंधावा को छोड़कर शेष चारों नेता राहुल गांधी के करीबी हैं।
ऐसे शुरू हुआ विवाद
2019 में नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया तो इसके बाद पार्टी हाईकमान लगातार उन्हें पार्टी या सरकार में एडजस्ट करने की कवायद में जुटी रही। कैप्टन अमरिंदर सिंह कैबिनेट में सिद्धू को दोबारा लेने को तैयार थे लेकिन विभाग पहले वाला ही देने, उपमुख्यमंत्री या पार्टी का प्रदेश प्रधान बनाने के लिए तैयार नहीं थे। दूसरी ओर, हाईकमान हर हाल में सिद्धू का कद बढ़ाना चाहती थी। हाईकमान मानती है कि सिद्धू न केवल भीड़ इकट्ठी कर सकते हैं बल्कि कांग्रेस का भविष्य भी हो सकते हैं। पंजाब प्रभारी बनने के बाद हरीश रावत बार-बार इस बात को दोहराते रहे हैं।
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दूसरी पंक्ति के नेताओं में होड़
कैप्टन के एक और पारी खेलने के एलान के बाद पार्टी के दूसरी पंक्ति के नेताओं में आगे निकलने की होड़ लग गई है। प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने भी 2022 में कैप्टन के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। हालांकि उनके एलान का विरोध भी हुआ लेकिन दूसरी पंक्ति के नेताओं में डिप्टी सीएम का दावेदार बनने की होड़ लग गई।
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