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पंजाब विधानसभा में पेश होंगे तीन नए Money Bill, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले राज्यपाल ने दी मंजूरी; पढ़ें क्या हैं नए बिल

पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब सरकार की ओर से भेजे गए तीन मनी बिलों में से दो को विधानसभा में पेश करने को मंजूरी दे दी है। जिन दो मनी बिलों को राज्य सरकार ने मंजूरी दी है उनमें एक जीएसटी संशोधन बिल 2023 है जबकि दूसरा बिल गिरवी रखे जाने वाली जायदादों पर स्टांप ड्यूटी लगाने को लेकर है।

By Inderpreet Singh Edited By: Preeti GuptaUpdated: Wed, 01 Nov 2023 10:39 AM (IST)
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पंजाब विधानसभा में पेश होंगे तीन नए Money Bill, राज्यपाल ने दी मंजूरी
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब सरकार की ओर से भेजे गए तीन मनी बिलों में से दो को विधानसभा में पेश करने को मंजूरी दे दी है। यह उन्होंने उस समय किया है जब सुप्रीम कोर्ट में तीन नवंबर को राज्य सरकार की ओर से विधानसभा के सत्र बुलाने को लेकर याचिका दायर की हुई है।

पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में पारित बिलों को राज्यपाल पास नहीं कर रहे है। राज्य सरकार 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट गई थी और इस केस की सुनवाई 3 नवंबर को है।

विधानसभा में पेश होंगे ये दो बिल

जिन दो मनी बिलों को राज्य सरकार ने मंजूरी दी है उनमें एक जीएसटी संशोधन बिल 2023 है जिसके अधीन राज्य में जीएसटी एपिलेट ट्रिब्यूनल बनाए जाने हैं, जबकि दूसरा बिल गिरवी रखे जाने वाली जायदादों पर स्टांप ड्यूटी लगाने को लेकर है।

राज्यपाल ने क्यों नहीं दी बिल को मंजूरी

यह बिल जून मे बुलाए गए विधानसभा सत्र के दौरान भी पेश किया जाना था लेकिन सरकार ने इसे सेशन शुरू होने से मात्र एक दिन पहले राज्यपाल को भेजा जिसके चलते राज्यपाल ने इसे मंजूरी नहीं दी। लिहाजा, सरकार को बिल वापिस लेना पड़ा। हालांकि अभी एक और मनी बिल राज्यपाल के पास लंबित है जो फिस्कल रिस्पॉसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट से संबंधित है। इसे अभी मंजूरी नहीं दी गई है।

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अभी चार बिलों को नहीं मिली मंजूरी

राज्यपाल ने जून महीने में विधानसभा सत्र के दौरान पारित चारों बिलों को अभी मंजूरी नहीं दी है इससे साफ है कि राज्यपाल भी सुप्रीम कोर्ट में यह लड़ाई लड़ना चाहते हैं । अगर वह इन बिलों को पास कर देते तो यह संदेश जाता कि राज्यपाल ने जून महीने में उनकी अनुपति बिना बुलाए गए सत्र को मंजूरी दे दी है जिसे वह अब तक असंवैधानिक कहते आए हैं।

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