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Punjab News: 'पंजाब सरकार जल्‍द शुरू करेगी शुगर मिल', वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने किसानों को दिया आश्वासन

पंजाब के वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने शुगर मिलों को जल्‍द शुरू करने का आश्वासन दिया है। गन्ने की कटाई शुरू होने के बावजूद अभी तक मिलों की पिराई का काम शुरू न होने के कारण किसानों में रोष को शांत करने के लिए वित्तमंत्री ने बैठक बुलाई। इस बैठक में किसानों ने गन्ने से जुड़ी अपनी दोनों मांगे रखी। गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य तुरंत निर्धारित कर किया जाए।

By Inderpreet Singh Edited By: Himani SharmaUpdated: Thu, 23 Nov 2023 08:32 AM (IST)
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वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने किसानों को दिया आश्वासन (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब सरकार जल्द ही अपनी शुगर मिलों को शुरू कर देगी। गन्ने की कटाई शुरू होने के बावजूद अभी तक मिलों की पिराई का काम शुरू न होने के कारण किसानों में पनपे रोष को शांत करने के लिए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने यह आश्वासन भारतीय किसान यूनियन के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल को उस समय दिया जब वह बैठक करने के लिए आज चंडीगढ़ में आए हुए थे।

बैठक में किसानों ने रखी मांग

इस बैठक में किसानों ने गन्ने से जुड़ी अपनी दोनों मांगे रखते हुए कहा कि गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य तुरंत निर्धारित कर किया जाए और मिलों को शुरू किया जाए। जिस पर वित्त मंत्री ने किसान नेताओं को आश्वासन दिया कि मिलों को दो-तीन दिन में ही शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन गाने की कीमत संबंधी उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इसकी बैठक होनी है , उसमें ही यह विचार किया जाएगा।

किसानों के बच्‍चों को नौकरियां देने का भी उठाया मुद्दा

किसान नेताओं ने अन्य मांगों के अलावा किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के बच्चों को नौकरियां देने का मामला भी उठाया और कहा कि अभी भी बहुत से केस ऐसे हैं जिन्हें नौकरी नहीं मिली है।

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वित्त मंत्री ने आश्वासन लिया कि लंबित केसों का निपटारा जल्द ही कर दिया जाएगा। इसके अलावा किसान नेताओं ने कर्ज के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठाने वाले किसानों के लिए भी मुआवजा राशि जल्द अदा करने की मांग उठाई जिस पर चीमा ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस मामले पर भी सरकार विचार कर रही है।

तीन दिवसीय मार्च की तैयारियों को अंतिम रूप

बाद में चीमा ने बताया कि किसानों की जिन मांगों का उनसे संबंध था वह हल कर दी गई है और किसानों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह धरने पर नहीं बैठेंगे। शेष मांगों को संबंधित विभागों को भेज दिया गया है। 26 को चंडीगढ़ कूच करेंगे किसान उधर संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में 26 नवंबर से 28 नवंबर तक सभी राज्यों की राजधानियों में होने वाले प्रदर्शन के तहत चंडीगढ़ में होने वाले तीन दिवसीय मार्च की तैयारियों और रूट को अंतिम रूप दिया गया।

ट्रॉलियों और वाहनों के माध्यम से पहुंचेंगे चंडीगढ़

इस धरने की जानकारी देते हुए किसान नेताओं जोगिंदर सिंह उगराहां, बूटा सिंह बुर्जगिल आदि ने कहा कि पूरे पंजाब से हजारों युवा, किसान और महिलाएं ट्रैक्टर ट्रॉलियों और वाहनों के माध्यम से चंडीगढ़ पहुंचेंगे। किसान आइसर चौक से ट्रिब्यून चौक रोड पर आएंगे। नेताओं ने कहा कि इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए सभी किसान संगठन गांवों में अभियान चला रहे हैं। ट्रॉलियां सजाई जा रही हैं और राशन इकट्ठा किया जा रहा है।

अपनी मांगों को लेकर शुरू होगा प्रदर्शन

25 नवंबर को पंजाब के लगभग सभी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां चंडीगढ़ के लिए रवाना होंगी। ऐसे में एक बार फिर दिल्ली आंदोलन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। किसान नेताओं ने कहा कि दिल्ली कूच के दौरान केंद्र सरकार ने जो वादे किये थे, वे पूरे नहीं किए। इसलिए, संयुक्त किसान मोर्चा अपनी मांगों को लेकर सभी राज्यों की राजधानियों में प्रदर्शन करेगा और केंद्र सरकार से मांग करेगा कि सभी फसलों की एमएसपी को स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के अनुसार C-2 50% के फॉर्मूले के साथ लागू किया जाए।

किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे किए जाएं रद्द

सरकारों की नीतियों के कारण किसानों पर हुए सभी कर्ज रद्द करें, लखीमपुर खीरी के दोषियों को सजा दें, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को पद से बर्खास्त कर दंडित किया जाए। किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं। दिल्ली आंदोलन के दौरान बिजली संशोधन बिल को लागू करना बंद किया जाए। 60 साल से अधिक उम्र के सभी किसानों को 10 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाए। किसान संघर्ष को राष्ट्रविरोधी कहना बंद किया जाए।

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इसके अलावा एसकेएम ने पंजाब सरकार से पंजाब में बाढ़ और ओलावृष्टि से नष्ट हुई फसलों का मुआवजा देने, धान को खत्म करने के लिए सब्जियों, मक्का, मूंगफली, गन्ना और अन्य फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी देने की मांग की। गन्ना मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल करने और उनके बकाया जारी किया जाए। पराली जलाने पर किसानों पर दर्ज मुकदमे, रेड एंट्री और अन्य सभी कार्रवाई रद्द की जाए, आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दी जाए।

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