Punjab News: प्रदेश के राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजे तीन बिल, पिछले 5 महीनों से थे लंबित
पिछले 5 महीनों से राज्य के तीन बिल पंजाब यूनिवर्सिटीज लॉ संशोधन बिल सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल 2023 और पंजाब पुलिस संशोधन बिल 2023 को पंजाब के राज्यपाल ने राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया है। संविधान की धारा 200 में मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए राज्यपाल ने इन तीनों बिलों को खुद पास न करते हुए इन्हें राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा है।
इंद्र प्रीत सिंह, चंडीगढ। Punjab Governor Sent Bills For President Approval: राज्यपाल (Governor Banwarilal Purohit) ने पिछले 5 महीनो से लंबित तीन बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया है। संविधान की धारा 200 में अपनी मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए राज्यपाल ने इन तीनों बिलों को खुद पास करने की बजाय इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया है।
आपको बता दें कि 19 और 20 जून को बुलाए गए विधानसभा के सत्र में सरकार ने चार बिल पारित करवाए थे, जिनमें से एक बिल यूनिवर्सिटी सेवाएं संशोधन बिल को पिछले दिनों ही उन्होंने पारित किया गया था। जबकि तीन बिल पंजाब यूनिवर्सिटीज लॉ संशोधन बिल, सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल 2023 और पंजाब पुलिस संशोधन बिल 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी ये टिप्पणी
याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल से बिलों को लंबित करने के मामले में कहा था कि वह चुने हुए नुमाइंदे नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पास बिलों को लेकर केवल तीन ही विकल्प होते हैं। इनमें या तो वह बिल को पास करें या फिर राज्य सरकार को वापस भेज दें और तीसरा उन्हें मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेज दें।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, केरल व तमिलनाडु तीनों राज्यों के केसों का निपटारा करते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि अगर राज्यपाल एक बार बिल को विधानसभा को वापस भेज देते हैं और विधानसभा उसे दोबारा पारित कर देती है, तो राज्यपाल के पास इसे पारित करने के अलावा कोई चारा नहीं है। वह इसे राष्ट्रपति को पारित करवाने के लिए नहीं भेज सकते।
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पंजाब सरकार ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
राज्यपाल द्वारा बिल पारित न किए जाने और विधानसभा सत्र को मंजूरी न देने को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिए थे।
यही नहीं तमिलनाडु और केरल सरकार भी अपने-अपने राज्यपालों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया की राज्यपालों को हर हालत में बिल पर कोई भी फैसला लेना जरूरी है। वह लंबे समय तक बिल को अपने पास नहीं रख सकते। उन्हें संविधान के अनुसार उचित समय में बिलों पर निर्णय लेना जरूरी है यही स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा है।
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