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Punjab Haryana HC: 'सजा पूरी होने के बाद भी क्यों जेल', विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखने के मामले में HC सख्त, मांगा जवाब

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस जी एस संधावालिया और जस्टिस विकास बहल की बेंच ने पंजाब सरकार के अधिकारी को तलब करते हुए 48 विदेशी नागरिकों को सजा पूरी होने के बावजूद हिरासत में रखने के मामले में जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने पंजाब हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ की जेलों में बंद विदेशी नागरिकों की दुर्दशा पर लिए गए स्वतः संज्ञान पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए हैं।

By Jagran News Edited By: Jagran News NetworkUpdated: Wed, 17 Jul 2024 04:32 PM (IST)
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विदेशी नागिरकों को जेल में रखने के मामले में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार के अधिकारी को तलब करते हुए यह बताने को कहा है कि किन परिस्थितियों में 48 विदेशी नागरिकों को सजा पूरी होने के बावजूद हिरासत में रखा गया है।

जस्टिस जी एस संधावालिया और जस्टिस विकास बहल ने पंजाब सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामे का अवलोकन करते हुए कहा सूची का अवलोकन करने से पता चलता है कि कुछ मामलों में, वर्ष 2008 में ही काउंसलर एक्सेस प्रदान किया गया था, लेकिन राष्ट्रीयता की स्थिति सत्यापित नहीं की गई है।

इसी तरह, जहां राष्ट्रीयता सत्यापित की गई है, वहां भी हिरासत में रहने वाले व्यक्तियों को अभी तक निर्वासित नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि एक ऐसा मामला है जिसमें नाइजीरियाई राष्ट्रीयता के व्यक्ति को स्पष्ट रूप से बरी कर दिया गया है, लेकिन बरी किए जाने के खिलाफ अपील लंबित है और टिप्पणियों के कॉलम में की गई टिप्पणी यह है कि अपील खारिज होने के बाद उसे निर्वासित कर दिया जाएगा।

सजा पूरी होने के बाद क्यों हैं हिरासत में: HC

खंडपीठ ने कहा कि उक्त परिस्थितियों में, संबंधित अधिकारी को न्यायालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है ताकि वे उन परिस्थितियों को स्पष्ट कर सकें जिनमें सजा पूरी होने के बावजूद 48 लोगों को हिरासत में रखा जा रहा है। यूटी चंडीगढ़ द्वारा प्रस्तुत हलफनामे पर पीठ ने कहा चंडीगढ़ की मॉडल जेल में 18 विदेशी कैदी बंद हैं और ऐसा कोई विदेशी कैदी नहीं है जिसने अपनी सजा पूरी कर ली हो और अभी भी सलाखों के पीछे हो।

परिणामस्वरूप यूटी को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। जिससे यह स्पष्ट किया जाए कि पिछले पांच वर्षों में सजा पूरी करने वाले कितने विदेशी नागरिकों को विधिवत निर्वासित किया गया और किस प्रक्रिया का पालन किया गया, क्योंकि जाहिर तौर पर पंजाब राज्य को उक्त उदाहरण का पालन करना है।

हाई कोर्ट पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ की जेलों में बंद विदेशी नागरिकों की दुर्दशा पर लिए गए स्वतः संज्ञान पर सुनवाई कर रहा था। वर्तमान मामले में, पीठ ने विदेश मंत्रालय के सचिव के माध्यम से भारत संघ को भी प्रतिवादी के रूप में शामिल किया। हाई कोर्ट द्वारा लिए गए एक अन्य स्वतः संज्ञान में, कोर्ट ने केंद्र सरकार को सजा पूरी होने के बावजूद जेलों में बंद पाकिस्तानी नागरिकों को निर्वासित करने का निर्देश दिया हुआ है।

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