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जबरन विवाह का विरोध करने वाली एक लड़की को संरक्षण देगी पुलिस, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश

एक नाबालिग लड़की अपने घर से इसलिए भाग क्योंकि उसके माता-पिता जबरदस्ती उसकी शादी एक बूढ़े व्यक्ति से करना चाहते थे। इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नाबालिगों के अधिकारों की पुष्टि करते हुए जबरन विवाह का विरोध करने वाली एक लड़की को संरक्षण देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिगों को भारत के संविधान के तहत वयस्कों के समान मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Tue, 18 Jun 2024 06:00 AM (IST)
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जबरन विवाह का विरोध करने वाली एक लड़की हाईकोर्ट ने संरक्षण देने का आदेश दिया

 राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नाबालिगों के अधिकारों की पुष्टि करते हुए जबरन विवाह का विरोध करने वाली एक लड़की को संरक्षण देने का आदेश दिया है। जस्टिस हर्ष बंगर ने कहा कि नाबालिग फिरोजपुर एसएसपी के कार्यालय में पेश होगी या उसका दोस्त उसे पेश करेगाइस मामले में नाबालिग ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उसका परिवार उसकी सहमति के बिना एक बूढ़े व्यक्ति से उसकी शादी करने की कोशिश कर रहा है।

नाबालिगों को वयस्कों के समान मौलिक अधिकार प्राप्त

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि नाबालिगों को भारत के संविधान के तहत वयस्कों के समान मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मानव जीवन का अधिकार सर्वोपरि है और इसे उम्र की परवाह किए बिना बरकरार रखा जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने बाल कल्याण समिति को नाबालिग के रहने-खाने के संबंध में उचित निर्णय लेने के अलावा नाबालिग की सुरक्षा और भलाई से संबंधित और उसे प्रभावित करने वाले सभी मुद्दों" की जांच करने का निर्देश दिया।

हाईकोर्ट जज ने कही ये बात

हाईकोर्ट के जस्टिस के हर्ष बंगर ने कहा कि संवैधानिक दायित्वों के अनुसार राज्य का यह कर्तव्य है कि वह प्रत्येक नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करे। मानव जीवन के अधिकार को बहुत ऊंचे स्थान पर रखा जाना चाहिए, चाहे नागरिक नाबालिग हो या वयस्क। केवल इस तथ्य से कि याचिकाकर्ता नाबालिग है, उसे भारत के नागरिक होने के नाते भारत के संविधान में परिकल्पित मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि नाबालिग को पीटा गया और उसके माता-पिता द्वारा चुने गए बूढ़े व्यक्ति से शादी करने के लिए दबाव डाला गया, जिसके बाद वह अपने पैतृक घर से भाग गई और एक दोस्त के घर में शरण ली।

इस पर सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि फिरोजपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानून के अनुसार नाबालिग के की शिकायत पर उचित कार्रवाई करेंगे। जस्टिस बंगर ने आदेश जारी करते हुए कहा कि नाबालिग फिरोजपुर एसएसपी के कार्यालय में पेश होगी या उसके दोस्त द्वारा पेश की जाएगी, उसके बाद एक सप्ताह के भीतर अधिकारी एक बाल कल्याण पुलिस अधिकारी को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के तहत गठित समिति के समक्ष उसे पेश करने के लिए नियुक्त करेंगे।

इसके बाद समिति सभी हितधारकों को शामिल करके और किशोर न्याय अधिनियम के उद्देश्यों को अच्छी तरह से पूरा करने के लिए सुनिश्चित करके उचित आदेश पारित करने से पहले जांच करेगी। हाईकोर्ट ने फिरोजपुर एसएसपी को याचिकाकर्ता, उसके दोस्त और उसके परिवार को खतरे की धारणा के संबंध में उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया ।

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