अंग प्रत्यारोपण के लिए 5 साल तक का इंतजार, 90 फीसदी लोग गंवा रहे जान; चंडीगढ़ PGI को हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस
Chandigarh News पीजीआई चंडीगढ़ में नेफ्रोलॉजी विभाग के ऑपरेशन थिएटर के बंद होने और अंग प्रत्यारोपण नीति को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा पीजीआई और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याची ने बताया कि इस समय करीब दो लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें किडनी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक दानकर्ता नौ लोगों का जीवन बचा सकता है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, चंडीगढ़। पीजीआइ में नेफ्रोलॉजी विभाग का ऑपरेशन थियेटर पांच वर्ष से बंद है। इस मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पीजीआइ और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इसके साथ ही, अंग प्रत्यारोपण की नीति को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
एडवोकेट रंजन लखनपाल ने जनहित याचिका दाखिल करते हुए हाई कोर्ट को बताया कि देश में पहला अंग प्रत्यारोपण 1970 में हुआ था और 1994 में मानव अंग प्रत्यारोपण एक्ट को लागू किया गया। बाद में इसे बदल कर ट्रांसप्लांट आफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशू एक्ट बनाया गया।
एक दानकर्ता 9 लोगों की बचा सकता है जिंदगी
याची ने बताया कि इस समय करीब दो लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें किडनी की जरूरत है। एक दानकर्ता नौ लोगों का जीवन बचा सकता है, लेकिन सही नीति नहीं होने से अंगों का इंतजार करने वाले 90 प्रतिशत लोग वेटिंग लिस्ट में ही मर जाते हैं। मृत व्यक्ति से आंखें, किडनी, फेंफडे, दिल, लिवर व स्किन ली जा सकती है।याची ने बताया कि हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ में अंग प्रत्यारोपण के लिए पांच साल तक की वेटिंग है। चेन्नई में वहां के नीतिगत निर्णय के कारण अंग प्रत्यारोपण की वेटिंग केवल तीन माह की है।
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वहां पर निजी व सरकारी अस्पतालों ने ब्रेन डेड की एक सूची तैयार की है। अंग की अवश्यकता की स्थिति में इनकी उपलब्धता करवा दी जाती है। 37 अस्पतालों का एक नेटवर्क तैयार किया गया है।
वर्ष 2012 में पूरे देश में हुए अंग प्रत्यारोपण का आधा मामला तमिलनाडु में था। याची ने बताया कि इस क्षेत्र में पीजीआइ बड़ा संस्थान है। यहां पर स्टाफ मौजूद होने के बावजूद अंग प्रत्यारोपण नहीं हो पा रहा है। पीजीआइ पर हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान, हिमाचल और जम्मू तक के लोग निर्भर हैं।
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