Chandigarh News: 'DNA नमूने के मिलान न होने से आरोपी साबित नहीं होता निर्दोष', नाबालिग से दुष्कर्म मामले में HC सख्त
नाबालिग से दुष्कर्म मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़िता की योनि से लिए सैंपल का आरोपी से DNA मिलान न होना उसे निर्दोष साबित नहीं करता है। आरोपित के पिता द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर जांच एजेंसी ने याचिकाकर्ता का रक्त का नमूना लेकर डीएनए तुलना रिपोर्ट प्राप्त की।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि कथित दुष्कर्म पीड़िता के स्वैब से आरोपित के डीएनए का मिलान न होना बच्चों के यौन शोषण के अपराध को खारिज नहीं करेगा, जब पीड़िता ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत रिकॉर्ड किए गए बयान में अपने बयान का समर्थन किया है।
पीड़िता ने दिया बयान
जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की अदालत 15 वर्षीय किशोरी से दुष्कर्म के आरोपित 37 वर्षीय व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीड़िता के इस बयान पर कि पड़ोसी उसके घर में घुस आया और उसे जबरन खेतों में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
रक्त के नमूने से की जांच
पीड़िता के बयान पर आरोपित के खिलाफ पोक्सो की धारा 4 (यौन उत्पीड़न) के तहत एफआइआर दर्ज की गई थी। इस दौरान आरोपित के पिता द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर जांच एजेंसी ने याचिकाकर्ता का रक्त का नमूना लेकर डीएनए तुलना रिपोर्ट प्राप्त की।कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जांच एजेंसी ऐसे मामलों में क्लोजर रिपोर्ट तैयार करके मामले को जांच को बंद नहीं कर सकती।
हाईकोर्ट ने कहा कि केवल डीएनए जांच रिपोर्ट याचिकाकर्ता के पक्ष में होने के आधार पर, वह गिरफ्तारी से पहले जमानत का हकदार नहीं है, खासकर इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वह पीड़िता का पड़ोसी है, याचिकाकर्ता और नाबालिग दोनों के बीच कोई पिछली दुश्मनी नहीं है। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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