Punjab News: तीन नए आपराधिक कानूनों को शॉर्ट में पुकारा जाएगा, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट कहा- कानून का नहीं होगा उल्लंघन
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Harana High Court)ने कहा कि यदि नए आपराधिक कानूनों को शॉर्ट में पुकारा जाए तो किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि भिन्न-भिन्न भाषाई वाले लोगों के लिए एक साझा भाषाई स्थान बनाना जरूरी है। आपराधिक कानून को संक्षिप्त करने से भाषाई क्षमता से जूझे बिना इन्हें सार्वभौमिक रूप से समझा जा सकता है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि नए आपराधिक कानूनों को उनके संक्षिप्त नाम जैसे कि बीएनएसएस, बीएनएस, बीएनए के नाम से पुकारा जाएगा, तो यह किसी कानून का उल्लंघन नहीं होगा।
एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा कि, विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए एक साझा भाषाई स्थान बनाना एकता और समावेशिता की भावना को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।
उच्चारण में कठिन शीर्षक भाषाई बाधा, संज्ञानात्मक अराजकता और नीरसता का कारण बनते हैं जो कानूनी प्रणाली को सुचारू रूप से संचालित होने से रोक सकते हैं।
जस्टिस ने कहा नए आपराधिक कानूनों के शीर्षकों को संक्षिप्त नाम बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए में संक्षिप्त करने से शब्दों को इस तरह से मानकीकृत करने में मदद मिलेगी कि भाषाई क्षमता से जूझे बिना उन्हें सार्वभौमिक रूप से समझा जा सके।
'समय आ गया है इन्हें संक्षिप्त नाम से बुलाया जाए'
इससे पाठ को अधिक स्कैन करने योग्य और प्रक्रिया के लिए अधिक सुलभ बनाकर पाठकों पर संज्ञानात्मक भार कम होने की संभावना है, और हिंदी उच्चारण की तुलना में इसका उच्चारण करना सरल है।कोर्ट ने आगे कहा, "भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023"
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"भारतीय न्याय संहिता, 2023" और "भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023" को पढ़ने से इन कानूनों को उनके संक्षिप्त रूप, बीएनएसएस, बीएनएस और बीएसए से पुकारने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगता है, और अब समय आ गया है कि उन्हें उनके संक्षिप्त रूप से पुकारा जाए, जो किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा।
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