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Punjab News: तीन नए आपराधिक कानूनों को शॉर्ट में पुकारा जाएगा, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट कहा- कानून का नहीं होगा उल्लंघन

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Harana High Court)ने कहा कि यदि नए आपराधिक कानूनों को शॉर्ट में पुकारा जाए तो किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि भिन्न-भिन्न भाषाई वाले लोगों के लिए एक साझा भाषाई स्थान बनाना जरूरी है। आपराधिक कानून को संक्षिप्त करने से भाषाई क्षमता से जूझे बिना इन्हें सार्वभौमिक रूप से समझा जा सकता है।

By Dayanand Sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 23 Jul 2024 04:09 PM (IST)
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Punjab News: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (जागरण फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि नए आपराधिक कानूनों को उनके संक्षिप्त नाम जैसे कि बीएनएसएस, बीएनएस, बीएनए के नाम से पुकारा जाएगा, तो यह किसी कानून का उल्लंघन नहीं होगा।

एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा कि, विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए एक साझा भाषाई स्थान बनाना एकता और समावेशिता की भावना को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।

उच्चारण में कठिन शीर्षक भाषाई बाधा, संज्ञानात्मक अराजकता और नीरसता का कारण बनते हैं जो कानूनी प्रणाली को सुचारू रूप से संचालित होने से रोक सकते हैं।

जस्टिस ने कहा नए आपराधिक कानूनों के शीर्षकों को संक्षिप्त नाम बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए में संक्षिप्त करने से शब्दों को इस तरह से मानकीकृत करने में मदद मिलेगी कि भाषाई क्षमता से जूझे बिना उन्हें सार्वभौमिक रूप से समझा जा सके।

'समय आ गया है इन्हें संक्षिप्त नाम से बुलाया जाए'

इससे पाठ को अधिक स्कैन करने योग्य और प्रक्रिया के लिए अधिक सुलभ बनाकर पाठकों पर संज्ञानात्मक भार कम होने की संभावना है, और हिंदी उच्चारण की तुलना में इसका उच्चारण करना सरल है।

कोर्ट ने आगे कहा, "भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023" ; "भारतीय न्याय संहिता, 2023" और "भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023" को पढ़ने से इन कानूनों को उनके संक्षिप्त रूप, बीएनएसएस, बीएनएस और बीएसए से पुकारने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगता है, और अब समय आ गया है कि उन्हें उनके संक्षिप्त रूप से पुकारा जाए, जो किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा।

'लंबी हिंदी शब्दावली का प्रयोग सरल होगा'

नए आपराधिक कानूनों के लिए संक्षिप्त रूप अपनाने से न केवल कानूनी क्षेत्र में लंबी हिंदी शब्दावली का उपयोग सरल होगा, बल्कि समावेशिता को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे अधिक सुलभ और कुशल न्यायिक प्रक्रिया की सुविधा मिलेगी।

उपरोक्त को देखते हुए, अगर एफआईआर, याचिकाओं, आदेशों आदि में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को क्रमश बीएनएसएस, बीएनएस, बीएसए के रूप में संदर्भित किया जाता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।"

संक्षिप्तीकरण की प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हुए कोर्ट ने कहा संक्षिप्तता और उपयोग की सुविधा के लिए एक सनक ने लंबे शब्दों को छोटा और संक्षिप्त बना दिया।

भ्रष्टाचार के एक मामले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, (बीएनएसएस) की धारा 482 के तहत गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका पर सुनवाई पर विचार करते समय कोर्ट ने पाया कि याचिका में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का उल्लेख बीएनएसएस के तौर पर किया गया था।

इसलिए कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के संक्षिप्त नाम को बीएनएसएस के रूप में लिखने तथा अन्य दो अधिनियमित विधियों भारतीय न्याय संहिता 2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को क्रमश बीएनएस तथा बीएसए के रूप में लिखने की गुंजाइश पर विचार किया।

'इतिहास में मौजूद रही है संक्षिप्त करने की घटना'

कोर्ट ने कहा कि शब्दों को पूर्ण रूप से लिखने के बजाय उन्हें संक्षिप्त करना एक ऐसी घटना है जो लिखित संचार के इतिहास में मौजूद रही है, पत्थर पर उकेरे गए प्राचीन शिलालेखों से लेकर मध्ययुगीन पांडुलिपियों तथा आधुनिक समय के त्वरित संदेशों तक।

प्राचीन रोमन साम्राज्य से लेकर आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संक्षिप्ताक्षरों तक का विस्तृत संदर्भ देने के साथ-साथ, कोर्ट ने संक्षिप्ताक्षर में अंतर करने के लिए विभिन्न उदाहरण भी दिए।

कोर्ट ने आगे कहा केवल सांसद और विधायक ही नहीं, बल्कि भारत में विभिन्न राजनीतिक दल, जिनके नाम लंबे हैं, जैसे एआईएमआईएम, भाजपा, डीएमके, जेडीयू, टीडीपी आदि, अपने संक्षिप्त से व्यापक रूप से पहचाने जाते हैं, चाहे उनके नाम किसी भी भाषा में लिखे गए हों।

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