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Punjab News: 'जेल में बंद आरोपी के शिक्षा के मौलिक अधिकार में नहीं आनी चाहिए बाधा', हत्यारोपी के हित में HC की टिप्पणी

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक हत्यारोपी के हित में बोलते हुए कहा कि कारावास में विचाराधीन कैदी के शिक्षा के मौलिक अधिकार में बाधा नहीं आनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यदि उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया तो यह अपूरणीय क्षति होगी। अदालत ने कहा कि यदि वह एलएलएम पूरी नहीं कर पाएगा तो उसका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।

By Dayanand Sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 22 Jun 2024 07:31 PM (IST)
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Punjab Latest News: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट फाइल फोटो (File Photo Jagran)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कारावास में विचाराधीन कैदी के शिक्षा के मौलिक अधिकार में बाधा नहीं आनी चाहिए, हत्या के एक आरोपित को पुलिस सुरक्षा में एलएलएम परीक्षा देने की अनुमति देते हुए हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।

हाई कोर्ट के जस्टिस विकास बहल ने कहा अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता को परीक्षा में बैठने का अवसर न देने से अपूरणीय क्षति होगी, क्योंकि इससे वह एलएलएम पूरी नहीं कर पाएगा और उसका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।

जस्टिस बहल ने 14 जून को प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी उस आदेश को भी पलट दिया, जिसमें परीक्षा के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था।

यह निर्णय छात्र द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद आया, जिसमें अदालत से राज्य और अन्य प्रतिवादियों को मोहाली विश्वविद्यालय में द्वितीय सेमेस्टर परीक्षा में शामिल होने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

हत्या और आपराधिक साजिश रचने के लगे इल्जाम

कोर्ट को बताया गया कि 24 वर्षीय याचिकाकर्ता वर्तमान में मोहाली के आईटी सिटी पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 302 और 120-बी के तहत हत्या और आपराधिक साजिश के लिए 10 मई को दर्ज एक एफआईआर में रूप नगर जेल में बंद है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अदालतों ने हमेशा 'जीवन के अधिकार' की व्याख्या एक सम्मानजनक जीवन के लिए आवश्यक सभी अधिकारों को शामिल करने के लिए की है, जिसमें 'शिक्षा का अधिकार' भी शामिल है।

सरकारी वकील ने जवाब दिया कि अगर याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाती है, तो उसे हत्या के मामले में उसकी संलिप्तता के कारण पर्याप्त खर्च वहन करना चाहिए।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिए ये निर्देश

जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 75,000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया, जिसके बाद पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी उसे रूपनगर जिला जेल से मोहाली में परीक्षा केंद्र तक परीक्षा के सभी चार दिनों के लिए ले जाएंगे।

परीक्षा के बाद पुलिसकर्मी याचिकाकर्ता को वापस जिला जेल ले जाएंगे। विश्वविद्यालय को यह भी निर्देश दिया गया कि वह याचिकाकर्ता को पहचान पत्र दिखाने पर परीक्षा देने की अनुमति दे।

यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि याचिकाकर्ता के साथ आने वाले पुलिसकर्मी ऐसी जगह पर तैनात हों, जहां से वे परीक्षा अवधि के दौरान लगातार दिखाई देते रहें।

याचिकाकर्ता के भागने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए उन्हें कड़ी निगरानी रखने का भी निर्देश दिया गया।

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