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Punjab Haryana HC: जेल भेजने वाली पत्नी क्रूर.... गुजारे भत्ते की हकदार नहीं, याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया तलाक का आदेश

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कहा कि पति की प्राथमिकी में अगर पति जेल जाता है तो यह पत्नी की क्रूरता है। अदालत ने कहा कि इस क्रम में पत्नी गुजारा भत्ता की पात्र भी नहीं है। पति ने याचिका में बताया कि वह 19 वर्षों से एक साथ रह रहे हैं। लेकिन पत्नी ने उसे क्रूरता मामले में जेल भिजवा दिया।

By Dayanand Sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 07 Aug 2024 11:01 AM (IST)
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पति को जेल पहुंचाने वाली पत्नी क्रूर, गुजारा भत्ता की हकदार नहीं: हाईकोर्ट

राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति की अपील को स्वीकार करते हुए तलाक का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में यदि पति जेल जाता है तो यह पत्नी की क्रूरता है, पति तलाक का हकदार है और पत्नी क्रूरता के लिए गुजारा भत्ता की पात्र नहीं है।

पति ने याचिका में बताया कि वह और उसकी पत्नी पिछले 19 वर्षों से अलग-अलग रह रहे हैं और क्रूरता मामले में याची को जेल होने के बाद अब वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रह सकता। याचिका का विरोध करते हुए पत्नी ने तर्क दिया कि वह अभी भी उसके साथ रहने के लिए तैयार और इच्छुक है।

पत्नी के खिलाफ लगाए गए क्रूरता के आरोप अप्रमाणित

हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने तलाक के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि पत्नी ने 2007 में वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने पत्नी के क्रूरता के कृत्य को माफ कर दिया था। साथ ही पत्नी के खिलाफ लगाए गए क्रूरता के आरोप अप्रमाणित रहे, जबकि न्यायालय ने यह नहीं देखा कि वास्तव में पत्नी की ओर से क्रूरता हुई।

हाईकोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी कोई संपत्ति नहीं हैं कि न्यायालय उन्हें साथ रहने के लिए बाध्य कर सकता है। निस्संदेह न्यायालय और संबंधित पक्षों की जिम्मेदारी है कि वे यथासंभव विवाह को बचाएं।

लेकिन जब कोई गुंजाइश नहीं हो अपने रास्ते अलग कर लेने चाहिए। वर्तमान मामले में, विवाह का भावनात्मक आधार पूरी तरह से खत्म हो चुका है।

यदि न्यायालयों को लगता है कि व्यावहारिक रूप से उनके साथ रहने की कोई संभावना नहीं है तथा विवाह पूरी तरह से टूट चुका है, जैसा कि वर्तमान मामले में देखा गया है, तो तलाक का आदेश दिया जाना चाहिए।

बेटी के लिए 10 हजार रुपए देने का निर्देश

यह देखते हुए कि बेटी के विवाह के पश्चात, माता-पिता दोनों ही बेटी की जरूरतों को ध्यान में रखने तथा उसे प्यार और स्नेह देने के लिए बाध्य होंगे, हाईकोर्ट ने याची को बेटी का विवाह होने तक उसे 10,000 रुपये मासिक भुगतान करने का निर्देश दिया।

पत्नी द्वारा दर्ज एफआईआर के कारण पति को जेल जाना पड़ा, पत्नी की यह कार्रवाई क्रूरता का गठन करती है। जिस व्यक्ति के कारण किसी को जेल जाना पड़े उसके साथ एक छत के नीचे एक साथ रहना व्यावहारिक रूप से असंभव है।

ऐसे में अदालत मानती है कि पत्नी ने पति पर क्रूरता की। क्ररता करने के चलते पत्नी किसी भी स्थायी गुजारा भत्ते की हकदार नहीं है।

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