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High Court: कानूनी नोटिस और मांग पर सक्षम प्राधिकारी लेंगे निर्णय, पंजाब में निजी कोचिंग को लेकर बोला हाईकोर्ट

पंजाब में निजी कोचिंग संस्थानों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप एक नीति बनाने की एक याचिका को हाई कोर्ट ने वापस लेने की छूट देते हुए खारिज कर दिया। पिछले दो वर्षों से अधिक समय से इन संस्थानों द्वारा छठी कक्षा से आगे के छात्रों का नामांकन इस अनुमान के साथ किया जाने लगा कि वो मेडिकल पाठ्यक्रम सिविल सेवाओं जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Thu, 23 Nov 2023 05:00 AM (IST)
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत निजी कोचिंग संस्थानों को लेकर
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। प्रदेश में चल रहे निजी कोचिंग संस्थानों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप एक नीति बनाने की एक याचिका को हाई कोर्ट ने वापस लेने की छूट देते हुए खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने याची पक्ष द्वारा इस मामले में सक्षम प्राधिकारी को दिए गए कानूनी नोटिस व मांग पर उचित निर्णय लेने की छूट देते हुए यह आदेश जारी किया।

छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए कर रहे तैयार

करनाल इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने निजी कोचिंग सेंटरों/संस्थानों को चलाने के संबंध में विभिन्न गतिविधियां देखी हैं। ऐसे संस्थानों का अनुमानित दावा यह है कि वे बारहवीं कक्षा के बाद छात्रों को इंजीनियरिंग और मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए तैयार कर रहे हैं।

हालांकि, पिछले दो वर्षों से अधिक समय से इन केंद्रों/संस्थानों द्वारा छठी कक्षा से आगे के छात्रों का नामांकन इस अनुमान के साथ किया जाने लगा कि वे छात्रों को इंजीनियरिंग, मेडिकल पाठ्यक्रम, आईएएस, राज्य सिविल सेवाओं जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करेंगे।

माता-पिता प्रवेश को लेकर चिंतित 

इन निजी कोचिंग सेंटरों ने अपनी कक्षाएं नियमित स्कूलों के समय के समानांतर चलाना शुरू कर दिया है और छात्रों ने नियमित स्कूलों में जाने की बजाय इन निजी कोचिंग सेंटरों/संस्थानों में जाना शुरू कर दिया है, क्योंकि उनके माता-पिता प्रचलित पाठ्यक्रमों इंजीनियरिंग, मेडिकल पाठ्यक्रम, आईएएस, राज्य सिविल सेवाओं में उनके प्रवेश के बारे में अधिक चिंतित हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि स्कूली शिक्षा का मूल उद्देश्य ऐसे निजी कोचिंग संस्थानों द्वारा पूरी तरह से भटका दिया गया है और शिक्षा की भावना ही नष्ट होने लगी है। छात्रों को डमी स्कूल प्रवेश मिल रहा है या वे नियमित रूप से कक्षाओं में भाग नहीं ले रहे हैं और स्कूलों में होने वाली अन्य पाठ्येतर गतिविधियों में भी उनकी कोई रूचि नहीं रह गई है। याचिका में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप देश की युवा पीढ़ी का मानसिक व शारीरिक दोनों तरह से समग्र विकास प्रभावित होने लगा है, जो जीवन के प्रारंभिक वर्षों के बाद आवश्यक है।

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